जयपुर के फोर्टिस हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मौत
- परिजनों ने गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया, हॉस्पिटल मैनेजमेंट बोला- हार्ट अटैक आया
जयपुर , 20 जनवरी। जयपुर में किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के बाद एक मरीज की मौत होने पर परिजनों ने फॉर्टिस हॉस्पिटल में हंगामा कर दिया। मरीज की मौत के मामले में परिजनों ने हॉस्पिटल प्रशासन और डॉक्टरों पर गलत इंजेक्शन देने का आरोप लगाया। परिजनों का आरोप है कि गलत इंजेक्शन के रिएक्शन से मौत हुई है। हंगामा होता देख जवाहर सर्किल थाना पुलिस मौके पर पहुंची। परिजनों को समझाया। वहीं, अस्पताल का कहना है कि मरीज की मौत हार्ट अटैक से हुई है।
मरीज के भतीजे उज्जवल जायसवाल ने बताया- उनके चाचा नरेश कुमार जायसवाल (47) का किडनी ट्रांसप्लांट 23 मार्च को फोर्टिस हॉस्पिटल में हुआ था। ट्रांसप्लांट के बाद उन्हें छुट्टी दे दी थी। 4 अप्रैल को रूटीन जांच में इंफेक्शन आने की बात कहकर हॉस्पिटल प्रशासन ने मरीज को दोबारा भर्ती कर लिया। वे तब से लगातार हॉस्पिटल में भर्ती ही थे। शुक्रवार देर शाम हॉस्पिटल प्रशासन उन्हें छुट्टी भी देने वाला था। बाद में अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई। उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया। परिजनों का आरोप है कि गलत इंजेक्शन देने के बाद नरेश की तबियत बिगड़ गई।
आईसीयू में नहीं मिलने दिया
परिजनों ने आरोप लगाया कि जब हमने डॉक्टरों से अचानक तबियत खराब होने का कारण पूछा तो उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया। इतना ही नहीं मरीज से मिलने भी नहीं दिया। आईसीयू के बाहर सुरक्षा गार्ड और अन्य स्टाफ तैनात कर दिया। शुक्रवार को काफी बहस के बाद एक परिजन को मिलने के लिए आईसीयू भेजा। अंदर देखा कि हॉस्पिटल का मेडिकल स्टाफ नरेश को इलेक्ट्रिक शॉट के जरिए सीपीआर दे रहा था। इसके बाद देर रात मरीज को मृत घोषित कर दिया।
बॉडी नहीं उठाई, हंगामा कर दिया
इस पूरे घटनाक्रम के बाद हॉस्पिटल में मरीज के परिजनों ने हंगामा कर दिया। परिजनों ने डेड बॉडी लेने से मना कर दिया। इसके अलावा इस मामले की एक शिकायत जवाहर सर्किल थाने में भी दी, लेकिन थाने की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया।
गलत एनओसी के जरिए हुआ था ऑपरेशन
परिजनों ने बताया- नरेश का किडनी ट्रांसप्लांट 23 मार्च को किया था, जो डॉक्टर जितेन्द्र गोस्वामी और उनकी टीम ने किया था। इस ट्रांसप्लांट के लिए जो एनओसी जारी हुई थी, वह भी फर्जी तरीके से जारी की थी। हालांकि नरेश को किडनी डोनेट मां के द्वारा की गई थी।
मामले में फोर्टिस मैनेजमेंट का कहना है कि जयपुर के 47 साल के मरीज को मां ने किडनी दी थी। उन्हें 30 मार्च को छुट्टी दे दी गई थी। पेल्विक डिसफंक्शन और मूत्र संक्रमण के कारण 4 अप्रैल को फिर से भर्ती कराया गया था। इलाज का अच्छा असर हो रहा था। 19 अप्रैल को एमआईसीयू में कार्डियक अरेस्ट (हार्ट अटैक) हुआ। हमारी मेडिकल टीम की कोशिश के बावजूद मरीज को बचाया नहीं जा सका।