लोगस्स कल्प अनुष्ठान” का भव्य आयोजन हुआ

कोयंबटूर, 28 जुलाई। तेरापंथ जैन भवन में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण के सुशिष्य मुनि श्री दीप‌ कु‌मार जी ठाणा-२ के सान्निध्य में ” लोगस्स कल्प अनुष्ठान” का भव्य आयोजन श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा कोयम्बतूर द्वारा किया गया।उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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मुनि श्री दीप कुमारजी ने लोगस्स का महत्त्व बताते हुए कहा लोगस्स तीर्थंकर स्तुति का महान मंत्र है। यह एक महाशक्ति है।भक्ति साहित्य की एक अमर अलौकिक, रहस्यमयी और विशिष्ठ रचना है। जैन समाज में इतना मान्य, लोकप्रिय कि इसको अत्यन्त श्रद्धा एवं महत्त्व प्राप्त है।

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लोगस्स शाश्वत सुख का राजपथ है। आरोग्य, बोधि, और सिद्धि प्रदाता है। लोगस्स में भक्ति की भागीरथी प्रवाहित है। साधक जब इसका पाठ करता है तो उसका हृदय भक्ति रस से आप्लावित हुए बिना नहीं रहता।इसमें मंत्रों के अक्षरों की ऐसी अपूर्व और अनूठी संयोजना है कि इसके स्तवन से सब मनोरथ सिद्ध होते हैं।

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लोगस्स तीर्थंकरों स्तुति से अनिष्ट, अमंगल नष्ट होते हैं। आंतरिक संताप तनाव समाप्त होते हैं। लोगस्स का पाठ सप्तपदी मंत्र है। सात के प्रसंगों समाप्त होते हैं। सात पदों की संख्या अपने आप में अनूठा रहस्य समेटे हुए है।मुनि श्री ने लोगस्स के प्रभाव के प्रसंगों को सुनाकर भक्ति रस से आप्लावित करा दिया ।मुनि श्री के लोगस्स के विविध प्रयोगों के बारे में बताया। मुनि श्री ने “लोगस्स कल्प अनुष्ठान कराया जिसे उपस्थित जनमेदनी ने तन्मय बनकर सह-संगान किया। प्रारंभ में मुनिश्री काव्य कुमार जी ने त्रिपदी वंदना का प्रयोग कराया।

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