13 ज्ञानशालाओं के लगभग 160 ज्ञानार्थी एवं 60 प्रशिक्षिकाएं हुई सम्मिलित
सत् संस्कार सजृन की शाला है- ज्ञानशाला -साध्वी डॉ गवेषणाश्री
माधावरम, 25अगस्त।( स्वरूप चन्द दांती ) आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री डॉ गवेषणाश्रीजी के सान्निध्य में रविवार को “ज्ञानशाला दिवस” कार्यक्रम का आयोजन जैन तेरापंथ नगर, माधावरम्, चेन्नई स्थिति तीर्थंकर समवसरण में हुआ।
डॉ साध्वी गवेषणाश्री ने फरमाया कि ज्ञानशाला के बच्चे कच्ची मिट्टी के लोंदै होते है, कोरा कागज होते है, इन पर जैसा लिखना है, जैसा आकार देना है, दे सकते है। बच्चों का सुनहरा वर्तमान, उनका भविष्य संवार देता है। जीवन को सजाने के लिए, संवृद्धन के लिए, संस्कारों को पाने के लिए ज्ञानशाला महत्वपूर्ण माध्यम है। नचिकेता, ध्रुव, प्रल्हाद,अतिमुक्तक ने 8-10 वर्ष की आयु में ही ईश्वरत्व को उपलब्ध कर लिया था। ज्ञानशाला का तात्पर्य है- ज्ञानी बनना, नम्र बनना, शालीन बनना और लाजबाब बनना। शैशव अवस्था सृजन की अवस्था है।
साध्वीश्री मयंकप्रभाजी ने कहा कि ज्ञानशाला में जानने, करने और कुछ बनने के लिए आते है। यह व्यक्तित्व विकास का बहुत बड़ा माध्यम है। उस के लिए 5 गोल्डन वर्ड उपयोग में लेने का आह्वान किया। साध्वीश्री मेरुप्रभाजी ने “भेजो भेजो ज्ञानशाला में भेजो” सारगर्भित गितिका प्रस्तुत की। साध्वीश्री दक्षप्रभाजी ने विषय से सम्बंधित सुमधुर गितिका प्रस्तुत की।
इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाएं बहनों के मंगलाचरण से हुई। तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष श्री प्रवीण बाबेल ने स्वागत भाषण दिया। ज्ञानशाला की आंचलिक सहसंयोजिका श्रीमती कविता सोनी व ज्ञानशाला व्यवस्थापक राजेश सांड ने अपने विचार रखें व माधावरम ट्रस्ट के अध्यक्ष घीसुलाल बोहरा की भी उपस्थिति रही।
माधावरम, विल्लीवाक्कम, पैरम्बूर ज्ञानशाला के बच्चों ने ‘अर्हम अर्हम की वन्दना’ गीत से संयुक्त प्रस्तुति दी। मोगपेर, वडपलनी, व्यासरपाडी और नॉर्थ टाउन चारों ज्ञानशाला के ज्ञानर्थियों ने पच्चीस बोल के प्रथम चार बोल पर प्रस्तुति दी। पल्लावरम और ताम्बरम ज्ञानशाला ने गुरुदेव तुलसी के चिन्तन का फलित ज्ञानशाला की अतीत से वर्तमान तक के विकास यात्रा की मनमोहक प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम की सूचारु व्यवस्था में श्रीमती इन्द्रा रांका, श्रीमती कविता मेड़तवाल, श्रीमती विजयलक्ष्मी सियाल, चन्द्रप्रकाश छल्लाणी, सुरेश रांका, मंत्री पुखराज चोरडिया एवं माधावरम् ट्रस्ट की पूरी टीम का सराहनीय सहयोग रहा। कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती संगीता धोका एवं विनीता बैद ने किया। आभार ज्ञापन श्रीमती नीलम आच्छा ने दिया। 13 ज्ञानशालाओं से लगभग 160 ज्ञानार्थी एवं 60 प्रशिक्षिकाएं इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुई।