आचार्य भिक्षु की चेतना अंतर्मुखी थी- साध्वी श्री लावण्यश्री
चेन्नई , 28 सितम्बर। तेरापंथ भवन, साहूकारपेट में साध्वी श्री लावण्यश्री के सानिध्य में “221 वां आचार्य भिक्षु चरमोत्सव” त्याग, तपस्या के साथ मनाया गया। सर्वप्रथम तेरापंथ महिला मंडल, चेन्नई द्वारा मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। तत्पश्चात अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार आचार्य भिक्षु चरमोत्सव पर “भिक्षु म्हारै प्रगटया जी भरत खेतर में, ज्यांरो ध्यान धरू अंतर में” स्तुति परक अभ्यर्थना हुई। साध्वी श्री सिद्धांतश्री जी एंव साध्वी श्री दर्शितप्रभा जी ने आज के विषय पर अपने विचार रखें।
साध्वी श्री लावण्यश्री जी ने विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य भिक्षु के प्रति श्रद्धा सुमन समर्पित करते हुए कहा- विलक्षण प्रतिभा के धनी आचार्य भिक्षु की चेतना अंतर्मुखी थी। उन्होंने शुद्ध साधना के लिए, बनी हुई लकीरों पर न चल कर आने वाली हर मुसीबत को हंसते-हंसते सहन किया। आप असंख्य अवरोधों के बावजूद सत्यपथ से विचलित नहीं हुए। अनेक घटनाओं और प्रसंगों का जिक्र करते हुए आचार्य भिक्षु को धर्म क्रांति का महान जनक बतायाI
तेयुप द्वारा संचालित भिक्षु स्मृति साधना का समापन साधकों की उपस्थिति में, साध्वी श्री जी के सानिध्य में किया गया।
सभा के मंत्री अशोक खंतग द्वारा अग्रिम कार्यक्रमों की सूचनाओं के बाद साध्वी श्री जी द्वारा तपस्याओं के प्रत्याख्यान एवं मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।