देश भर में  आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का 106 वां जन्म दिवस आयोजित हुआ

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महाप्रज्ञ बन कर ही महाप्रज्ञ को जान सकते : साध्वी उदितयशा

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चेन्नई , 22 जून। (स्वरूप चन्द दांती ) युगप्रधान प्रेक्षा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञ का 106वाँ जन्म दिवस ‘प्रज्ञा दिवस’ साध्वी उदितयशा ठाणा -4 के सान्निध्य में, नॉर्थ टाउन तेरापंथ परिवार के प्रायोजकत्व में, श्री सुमतिवल्लभ श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ भवन में सोमवार को मनाया गया। नमस्कार महामंत्र समुच्चारण के पश्चात साध्वी भव्ययशा, साध्वी शिक्षाप्रभा ने महाप्रज्ञ अष्टकम से मंगलाचरण किया।

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धर्म परिषद को सम्बोधित करते हुए साध्वी उदितयशा ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ की साधना द्वैत से अद्वैत की थी, भेद से अभेद की साधना थी। उनका चिंतन और अचिंतन की परिस्थित में सन्तुलन था। महाप्रज्ञ को जानने, समझने के लिए स्वयं हमें महाप्रज्ञ बनना पड़ेगा। महाप्रज्ञ राग-द्वेष से ऊपर उठ वीतराग की साधना में प्रणत थे। वे बाहर रहते हुए भी भीतर की साधना में रत थे। अपने सूक्ष्म शरीर की आराधना से संघ में अनेकों नवीनतम आयाम स्थापित किए।
साध्वीश्री ने विशेष पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि हम शब्दों का कम प्रयोग कर सूक्ष्म शरीर, आत्मदर्शन के लिए ध्यान साधना में यात्रायीत बने। कुशल संचालन करते हुए साध्वी संगीतप्रभा ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ विविध रूपों से परिपूर्ण थे। वे कुशल संघ संचालक, महान दार्शनिक, विशद् वैज्ञानिक थे। महाप्रज्ञ सफल मन के ज्ञाता थे, सामने वाले के मन को पढ़, वस्तु स्थिती को जानने वाले कुशल कारीगर थे।
साध्वी शिक्षाप्रभा ने काव्यात्मक शैली के माध्यम से कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ प्रज्ञा का आलौक लिए, धरती पर महासूर्य की तरह दैदिप्यमान बने। हमें उनके गुणों को आत्मसात कर नतमस्तक बनना चाहिए।
अपने आराध्य की अभिनन्दना में तेरापंथ सभाध्यक्ष अशोक खतंग, महिला मंडल, चेन्नई अध्यक्षा लता पारख, तेरापंथ युवक परिषद निवर्तमान अध्यक्ष संदीप मुथा ने अपने विचार व्यक्त किए। महिला मंडल, चेन्नई ने सामुहिक गीतिका प्रस्तुत की।
इस अवसर पर तेरापंथ सभा, चेन्नई के तत्वावधान में आगामी 29 जून को आयोजित होने वाले मेघा हेल्थ चेकअप कैम्प के बैनर का अनावरण किया गया। कार्यक्रम की समायोजना में नाॅर्थ टाउन परिवार के सदस्यों का महनीय सहयोग रहा। साध्वीश्री द्वारा आज रात्रि भोजन त्याग और आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन चरित्र पर आधारित ‘यात्रा एक अकिंचन की’ पुस्तक को पढ़ने का संकल्प दिला कर, मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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आचार्य महाप्रज्ञ के हर एक ग्रंथ में जीवन को बदल देने की शक्ति – मुनि रश्मिकुमार

वाणियंबाड़ी (तमिलनाडू) .( स्वरूप चन्द दांती ) आचार्य श्री महाप्रज्ञजी की 106वाॅ जन्म जयंती दिवस वाणियंबाड़ी में मुनिश्री रश्मिकुमारजी एवं मुनिश्री प्रयांशुकुमारजी की पावन सानिध्य में मनाई गई। इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में द इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्र के संस्थापक रामनाथ गोयनका के पौत्र प्रशांत गोयनका उपस्थित रहे। दिलीप बाफना ने स्वागत भाषण दिया।
मुनिश्री रश्मिकुमार ने आचार्य महाप्रज्ञजी के जीवन चरित्र, उनकी दीक्षा की प्रक्रिया, उन्होंने संन्यास कैसे लिया, उनके त्यागमयी जीवन की प्रेरणादायक घटनाओं को अत्यंत सुंदर रूप में प्रस्तुत किया। मुनिवर ने आगे कहा आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने 300 से अधिक ग्रंथों की रचना की है और उनके हर एक ग्रंथ में जीवन को बदल देने की शक्ति है।
वनियामबाड़ी महिला मंडल ने अपनी प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला के बच्चों ने आचार्य श्री महाप्रज्ञजी को बचपन में कैसे वैराग्य आया और उन्होंने आचार्य श्री कालूगणी से दीक्षा ली, उनका बच्चो ने अच्छी तरह तैयारी करके नाटक के रूप में सबके सामने प्रस्तुति दी। इस विशेष अवसर पर वाणियंबाड़ी, गुड़ियात्तम मायवरम, कृष्णागिरी, मादनुर, तिरूपत्तूर आदि क्षेत्रों से अच्छी संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने भाग लिया। वनियामबाड़ी के सभा अध्यक्ष चंद्रप्रकाश दूगड़, महेंद्र दूगड़, दिलीप बाफना, धीरज बाफना, नरेंद्र दुगड आदि कार्यकर्तागण इस कार्यक्रम की सफलता के लिए सहयोगी रहे।

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आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का जन्म दिवस प्रज्ञा दिवस के रूप में मनाया

बीकानेर , 23 जून। तेरापंथ धर्म संघ के दशमा धिशास्ता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का जन्म दिवस बीकानेर तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी सुशिष्या शासन श्री द्वय साध्वी मंजू प्रभा जी व साध्वी कुंथु श्री जी के सानिध्य में मनाया गया कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण के द्वारा विजय लक्ष्मी जी सेठिया ने सुमधुर गीत संगान कर श्रद्धा भावना प्रेषित की l साध्वी जयंत प्रभा जी ने आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के विलक्षण विशिष्टताएं साहित्यकार, सृजनशील, योगी पुरुष, पुरुषार्थी आदि विशेषताओं पर प्रकाश डाला l साध्वी सुमंगला श्री जी ने मंगल भावना का प्रयोग करवाया l
धर्म सभा को अपने मंगल उद्बोधन में साध्वी श्री कुंथु श्री जी ने फरमाया करुणा के महासागर थी आचार्य महाप्रज्ञ जी l जो व्यक्ति एक बार आपकी करुणा को प्राप्त कर लेता वह अपने आप में धन्यता की अनुभूति करता l महाप्रज्ञ उस विशिष्ट चेतना का नाम है जिन्होंने जिंदगी का हर पल आनंद से जिया,आप युग प्रधान आचार्य थे युगानूरूप जनता का मार्गदर्शन करते थे l आधुनिक युग में साल सर्वाधिक समस्या टेंशन (तनाव) को माना जाता है उनके लिए प्रेक्षाध्यान के प्रयोग शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक तनाव को दूर करने का पैगाम दिया l प्रज्ञा पुरुष की प्रज्ञा की एक किरण भी जीवन में उतर जाए तो जन्म दिवस मनाना सार्थक होगा l आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की ज्ञान रश्मि को प्रणाम, ध्यान रश्मि को प्रणाम ,योग रश्मि को प्रणाम, प्रयोग रश्मि को प्रणाम l साध्वी वृंद ने सामूहिक गीत “तेरी वाणी में सबका इलाज था” को स्वर दिया l प्रतिभा सेठिया ने अपने विचार व्यक्त किए l शांता बाई भूरा ने युग ज्योति बनकर तुम आए गुना का भंडार है कविता की प्रस्तुति दी l

आज का कार्यक्रम दो चरणों में मनाया गया दूसरी चरण में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में निर्देशित मातृत्व की कार्यशाला का आयोजन हुआ l महिला मंडल की मंत्री रेणु बोथरा ने आभार ज्ञापन किया l मातृत्व शक्ति के कारण नथमल से मुनि नथमल बन तथा गुरु की कृपा दृष्टि से प्रज्ञा जागरण से प्रेक्षा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञ बने l मोनिका बैद ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया l उपस्थिति बहुत अच्छी रही और मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ l

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