आचार्य श्री महाश्रमण जी का 64 वां जन्म दिवस मनाया गया

shreecreates

गंगाशहर , 6 मई। आचार्य श्री महाश्रमण जी का 64 वां जन्म दिवस के अवसर पर बोलते हुए मुनि श्री कमल कुमार जी ने कहा कि आचार्य महाश्रमण जी पर आचार्य तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की असीम कृपा थी। मुनि श्री ने कहा कि श्रद्धा के जागरण से सभी कार्य संभव हो जाते हैं। देवगुरु और धर्म पर हमें श्रद्धा रखनी चाहिए। वीतराग देवों की आराधना करनी चाहिए। आचार्य श्री महाश्रमण जी की समिति गुप्तियों की जागरूकता अप्रमत्त चर्या व मृदु अनुशासन से केवल तेरापंथी साधु साध्वियां ही नही जैन अजैन सभी प्रभावित है।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
DIGITAL MARKETING

आपका त्रिसूत्री अभियान सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति हर इन्सान को इन्सान ही नहीं महान बनाने वाला है। इन तीन बिन्दुओं को अपनाने वाला बिन्दु भी सिन्धु बन सकता है। तेरापंथ धर्म संघ में आप प्रथम आचार्य है जिन्होंने देश विदेश की पैदल यात्रायें की। एक साथ 43 योग्य भाई बहनों को दीक्षाये दी। इस प्रकार आचार्य महाश्रमण जी की अनेक विशेषताओं का वर्णन किया। आचार्य श्री के स्वस्थ जीवन और दीर्घकालीन नैतृत्वमिलते रहने की मंगल कामना की।
मुनिश्री श्रेयांश कुमार जी ने आचार्य श्री महाश्रमण जी के जन्मोत्सव एवं पट्टोत्सव के अवसर पर मुक्तकों के माध्यम से अपनी भावांजलि अभिव्यक्त की।

pop ronak

इस अवसर पर मुनि श्री नमि कुमार जी ने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण जी की मुझ पर बहुत बड़ी कृपा रही। उन्होंने मुझे संयम मार्ग प्रदान किया। जिससे आज मैं त्याग तपस्या के माध्यम से मोक्ष मार्ग की ओर आगे बढ़ रहा हूं। आचार्य भिक्षु के शासन में एक से बढ़कर एक आचार्य हुए हैं। आचार्य श्री महाश्रमण जी बहुत मेहनत कर रहे हैं , परिश्रम करते हैं, उनके पुरुषार्थ को नमन। इस अवसर पर मुनि श्री मुकेश कुमार जी ने एक गीत के माध्यम से पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी के चरणों में अपनी श्रद्धा भक्ति अभिव्यक्त की।

इस अवसर पर अहमदाबाद से पधारे डॉक्टर धीरज मरोटी ने कहा कि प्रेक्षाध्यान में बहुत बड़ी ताकत है। प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं है। प्रेक्षाध्यान से दर्द को कैसे कम किया जा सकता है, इस पर बहुत प्रयोग हो रहे हैं। साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा जी के घुटनों के ऑपरेशन के समय मैंने स्वयं महसूस किया कि उन्हें बहुत कम दर्द की दवाइयां का सेवन किया क्योंकि उन्होंने प्रेक्षाध्यान और कायोत्सर्ग के माध्यम से दर्द को सहन करने की शक्ति अपने आप में उत्पन्न कर ली थी। डाॅ.मरोटी ने कहा नमि मुनि के पैरों मे शल्य चिकित्सा की जरूरत थी लेकिन उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी ने ध्यान, योग, तप व जप के माध्यम से मुनि श्री को स्वस्थ कर दिया एवं वे लंबे-लंबे विहार के लिए अनुकूल हो गये।

इस कार्यक्रम में तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यक्ष अमरचंद सोनी, मंत्री जतनलाल संचेती, तेरापंथ न्यास से बिमल चोपड़ा, महिला मंडल अध्यक्ष संजू लालाणी, अणुव्रत समिति से मनोज छाजेड़, आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान , तेरापंथ युवक परिषद से देवेंद्र डागा, भगवान महावीर युनिर्वसिटी, सुरत से मंजू नाहटा, मोहनलाल भंसाली, निर्मल बैद, राजेंद्र बोथरा, चैनरूप छाजेड़ , किरण देवी छाजेड़, कमल भंसाली, आसकरण पारख, गौरादेवी सेठिया आदि वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये एवं गीत कविताएं मुक्तक के माध्यम से आचार्य श्री महाश्रमण जी के 64 वें जन्मोत्सव पर अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *