आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने बीकानेर में चातुर्मासिक प्रवेश किया

बीकानेर, 16 जुलाई। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी बीकानेर के सम्यक रत्न सागर, समवेग सागर, संवर रत्न सागर, सन्मार्ग रत्न सागर, सहित 17 मुनियों व साध्वीश्री चन्द्रप्रभा की शिष्या साध्वीश्री प्रभंजना,सुव्रताश्रीजी, चिद्यशाश्रीजी सहित पांच साध्वीवृंद, श्रावक श्रावक-श्राविकाओं के चतुर्विद संघ के साथ गाजे बाजे से सर्व मंगलमयी वर्षावास ( चातुर्मासिक) प्रवेश किया।

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श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा ने बताया कि आचार्यश्री व मुनिवृंद गंगाशहर के अरिहंत भवन से मंगलवार सुबह लक्ष्मीनाथ घाटी स्थित पन्नालाल हनुमान मल सिपानी निवास में नवकारसी करते हुए भांडाशाह जैन मंदिर पहुंचे। भांडाशाह जैन मंदिर से चतुर्विद संघ की शोभायात्रा के साथ गाजे बाजे से भगवान आदिनाथ, चिंतामणिजी, बैदों का महावीरजी सहित विभिन्न जैन बहुल्य मोहल्लों से होते हुए जिनालयों में दर्शन वंदन करते हुए ढढ्ढा चौक के प्रवचन पांडाल ’’यशराग निकेतन’’ पहुंचे। मार्ग में अनेक स्थानों पर श्रावक-श्राविकाओं ने आचार्यश्री, मुनिवृंद व साध्वीवृंद का गंगली सजाकर व देव, गुरु व धर्म का नारा लगाकर स्वागत वंदन किया।

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ढढ्ढा चौक के प्रवचन पांडाल ’’यशराग निकेतन’’ मेंं धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने धर्म व आध्यात्म जागरण के भजन सुनाते हुए कहा कि परमात्मा को अपना तथा अपने को समर्पण भाव से परमात्मा का मानकर भक्ति करें। देव, गुरु व धर्म के बताएं नियमों की पालना करें। ’’हो मां तु कितनी अच्छी है, कितनी भोली है’’ का मुखड़ा सुनाते हुए एक चिकित्सक के प्रसंग को सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जो परमात्मा को नहीं मानता, देव, गुरु व धर्म के बताए मार्ग पर नहीं चलता वह कभी शारीरिक, मानसिक रूप् से आरोग्य व मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकता।

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उन्होंने भजन का मुखड़ा ’’ मेरे प्रभुजी प्यारे है, जग से न्यारे है’’ सुनाते हुए कहा कि परमात्मा को सबसे प्रिय, तथा कभी नहीं बिछड़ने वाले प्रियतम मानते हुए भावना रखे कि भगवान मेरे है। उन्होंने कहा कहा कि प्रतिदिन देव दर्शन वंदन, पूजा करते हुए चातुर्मासिक नियमों का पालन करते हुए वर्षावास को सफल बनाना है। बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर सूरीश्वरजी ने एक संत व राजा के दर्पण की कहानी के माध्यम से बताया कि चातुर्मास का समय साधना, आराधना, देव गुरु की भक्ति में समर्पित रहते हुए अपने भीतर से आत्म निरीक्षण व परीक्षण समय है। चातुर्मास में अपने भीतर के दर्पण से देखना है तथा दोषों को दूर करते हुए परमात्म भक्ति करना है।

धर्मसभा में बीकानेर मूल की साध्वीश्री चन्द्रप्रभा की शिष्या साध्वी प्रभंजनाश्रीजी ने कहा कि चातुर्मास में सद्गुरु संत धर्म संस्कृति का बसंत लेकर आते है। बीकानेर के नंदनवन में वर्षाकाल के दौरान देव, गुरु व धर्म की अधिकाधिक पालना करें, जप, जप व नियमों की पालना करें। मुनि संवर रत्न सागर ने कहा कि चातुर्मास काल का समय आत्म निरीक्षण परीक्षण करते हुए अधिकाधिक धर्म ध्यान में जुड़ने का संदेश देता है। धर्मसभा में श्री जिनेश्वर युवक परिषद के संरक्षक पवन पारख ने भी विचार व्यक्त किए।
गुरु पूजा की तथा कंबली ओढाकर किया अभिनंदन

आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरिश्वरजी का गुरु भक्त मंडल में बोथरा व बेगानी परिवार के सदस्यों ने वासक्षेप से गुरु पूजन वंदन किया। सुश्रावक कंवर लाल संतोष देवी नाहटा परिवार की ओर से आचार्यश्री व साध्वीश्री प्रभंजनाश्रीजी को कंबली ओढ़ाकर स्वागत वंदन किया।

चातुर्मास पत्रक का विमोचन
उद्योग संघ के अध्यक्ष द्वारका प्रसाद पच्चीसिया व वरिष्ठ श्रावक पूनम चंद नाहटा ने धर्मसभा स्थल पर चातुर्मास पत्रक का विमोचन किया। पत्र में आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में होने वाले धर्म व आध्यात्मिक चेतना से संबंधित कार्यक्रमों का विवरण है। खरतरगच्छ सहस्त्राबदी कार्यक्रमों के राष्ट्रीय संयोजक ललित नाहटा व जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने बताया कि लघु पुस्तिका के रूप् में प्रकाशित इस पत्रक में खरतरगच्छ प्रवर्तक श्री जिनेश्वर सूरी म.सा. के साथ दादा गुरुदेव जिनदत्त सूरि, महोपाध्याय क्षमा कल्याणजी महाराज, गणनायक शिरोमणि श्री सुख सागर जी म.सा., गणाधीश्वर त्रैलोक्य सागरजी म.सा., खरतरगच्छाधिपति जिन आनंद सागर सूरीश्वरजी, जिन उदयसागर सूरीश्वरजी, जिन महोदय सागर सूरिजी उदयसागर सूरीजी, जिना कैलाश सागर सूरीजी के साथ साध्वीश्री विचक्षणश्रीजी, प्रवर्तिनी चन्द्रप्रभाश्रीजी के चित्र प्रकाशित किए गए है। इसके अलावा आचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में खरतरगच्छ सहस्त्राब्दि महामहोत्सव के दौरान हुए कार्यक्रमों की, आचार्य पदारोहण 2015 के पश्चात शासन प्रभावना के साथ विभिन्न गतिविधियों को प्रकाशित किया गया है।

इसके अलावा जिन देशना, निजात्मावलोकन का दर्पण-स्वाध्याय, प्रतिक्रमण, महावीर कॉलेज फॉर बेसिक नॉलेज, श्री पंच परमेष्ठी तप, श्री 45 आगम तप, उपकार स्मरण यात्रा, अभिषेकान्जलि, सास बहू अधिवेशन, पर्यूषण पर्व, कर्मों की गति न्यारी, कर्म सता सब पर भारी, परिवरिश (संस्कार और सदाचार की पाठशाला), 81 दिवसीय 5 करोड़ नवकार जाप अभियान, पदानोत्सव, ट्रस्टी अधिवेशन, प्रखर बीकानेर दो दिवसीय अधिवेशन, सर्वमंगलमय वर्षावास के लाभार्थियों का विवरण, चातुर्मासिक हाईलाइट के साथ बीकानेर के महाप्रभावी जिनालय एवं दादाबाड़ियों का चित्र सहित लघु विवरण प्रकाशित किया गया है।

इनका हुआ सम्मान
आचार्यश्री के चातुर्मासिक प्रवेश में हिस्सा लेने के लिए बाड़मेर, फलौदी आदि स्थानों से विशेष बसों में तथा छतीसगढ़, दिल्ली, गुजरात सहित देश के अनेक हिस्सों से करीब 200 श्रावक-श्राविकाओं का समूह बीकानेर आया।

विभिन्न जैन समाज संगठनों के पदाधिकारियों का सम्मान श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ,मंत्री मनीष नाहटा, मनोज सेठिया, नरेन्द्र मनू मुसरफ, हस्तीमल सेठी आदि ने खरतरवसई,पालीताणा, गुजरात के ट्रस्टी बाबूलाल संखलेचा, नाकोड़ा तीर्थ व बाड़मेर जैन श्रीसंघ के पूर्व अध्यक्ष अमृत लाल छाजेड़, लक्ष्मीचंद बच्छावत, उद्योग संघ के अध्यक्ष द्वारका प्रसाद पच्चीसिया, आदिनाथ जैन ट्रस्ट मंडल बाड़मेर के अध्यक्ष बुधरमल भंसाली, चातुर्मास कमेटी बाड़मेर के गौत्तम डूंगरवाल, प्रकाश सकलेचा, शिवबाड़ी गंगेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर के वास्तुकार अहमदाबाद के कमलेश भाई पुरोहित, मकराना के मकसूद भाई, धोलपुर के रमाकांत व उड़िसा के शिल्पकार हरीश भाई का श्रीसंघ की ओर से दुपटा, प्रशिस्त पत्र से सम्मान किया गया।

भजन व लघु नाटिका

धर्मसभा का आगाज गुरु वंदन व मंगलाचारण से हुआ। विचक्षण महिला मंडल जिनेश्वर महिला मंडल, रौनक कोचर, वीरेन्द्र उर्फ पप्पूजी बांठिया, महावीर दुग्गड़, कौशल दुगड़ ने भजनों की, ज्ञान वाटिका के बच्चों ने लघु नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी। नमन बरड़िया व पूर्वी बरड़िया ने आचार्यश्री, बीकानेर के मुनि व साध्वीवृंद का परिचय रोचक तरीके से दिया।

दादा गुरुदेव की पूजा आज
ढढ्ढा चौक के प्रवचन पांडाल ’’यश राग निकेतन’’ में बुधवार सुबह आठ बजे आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में दादा गुरुदेव की पूजा भक्ति गीतों के साथ होगी। पूजा के बाद आचार्यश्री के प्रवचन होंगे।

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