सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रॉकेट बना अदाणी ग्रुप का स्टॉक, शेयरधारकों की बल्ले-बल्ले

Adani Group stock: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अडाणी ग्रुप में लिस्टिड कंपनी के स्टॉक 2.2 फीसदी से 10 फीसदी तक चढ़ गए हैं।

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Adani Hindenburg Case : नयी दिल्ली , 3 जनवरी। अडानी-हिंडनबर्ग विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया है। शीर्ष कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए कोई एसआईटी या विशेषज्ञों का समूह बनाने से साफ इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेबी को कानून के अनुसार अपनी जांच को एक निष्कर्ष तक ले जाना चाहिए।

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इस मामले में जांच सेबी से हटाने की जरूरत नहीं है। 3 जजों की बेंच ने कहा कि सेबी की जांच उचित है और वह इस मामले की जांच के लिए सक्षम एजेंसी है। इस फैसले के बाद अडानी ग्रुप के सभी कंपनी के शेयरों में तेजी देखने को मिली है। आज अडाणी ग्रुप में लिस्टिड कंपनी के स्टॉक 2.2 फीसदी से 10 फीसदी तक चढ़ गए हैं।

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कंपनी/शेयर            शेयर प्राइस (रुपये में)       इतने चढ़े कंपनी के शेयर
अदाणी एंटरप्राइजेज              3,002.30                 2.38%
अदाणी पोर्ट्स                   1092.80                 1.34%
अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस       1,158.15                    9.01%
अदाणी पावर                     538.95                    3.92%
अदाणी ग्रीन                     1,662.00                 3.65%
अदाणी टोटल गैस                1,073.10                   7.21%
एसीसी                         2,285.55                   0.80%
एनडीटीवी                       5.60                      4.70%
अदाणी विल्मर                   381.40                       4.04%
अंबुजा सीमेंट                    536.00                       1.11%

जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

शीर्ष अदालत ने कहा कि संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) और हिंडनबर्ग रिसर्च जैसे तीसरे पक्ष के संगठनों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को “निर्णायक सबूत” नहीं माना जा सकता। बता दें कि इससे पहले 24 नवंबर को इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मार्केट रेग्यूलेटर सेबी की जांच और एक्सपर्ट्स कमेटी पर उठाए जा रहे सवालों को नकारते हुए अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

तीन महीने के अंदर करवाए लंबित जांचें

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील पर कि अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ आरोपों से संबंधित 24 जांचों में से 22 को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है, पीठ ने बाजार नियामक को तीन महीने में लंबित दो जांचें पूरी करने के लिए कहा। पीठ में जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

सत्य की जीत हुई है : गौतम अडानी

अडानी ग्रुप के चेयरपर्सन गौतम अडानी ने ट्वीट किया, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पता चलता है कि सत्य की जीत हुई है। मैं उन लोगों का आभारी हूं जो हमारे साथ खड़े रहे। भारत की विकास गाथा में हमारा विनम्र योगदान जारी रहेगा।
कोर्ट ने खारिज की याचिकाकर्ताओं की दलीलें
कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी के सदस्यों की ओर से हितों के टकराव के संबंध में याचिकाकर्ताओं की दलीलों को खारिज कर दिया। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि भारत सरकार और सेबी भारतीय निवेशकों के हितों को मजबूत करने के लिए कमेटी की सिफारिशों पर विचार करेंगे।

एक्सपर्ट कमेटी के पुनर्गठन की मांग की गई थी
एक याचिका में एक्सपर्ट कमेटी के पुनर्गठन की मांग की गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था कि यह कमेटी के साथ बहुत अन्याय होगा और लोग सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति में काम करना बंद कर देंगे। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा था कि मार्केट रेगुलेटर सेबी को सभी मामलों में जांच पूरी करनी होगी।

सेबी के खिलाफ अवमानना ​​की कार्रवाई करने की मांग
SEBI की ओर से रिपोर्ट में देरी के कारण सुप्रीम कोर्ट में सेबी के खिलाफ अवमानना ​​की कार्रवाई करने की मांग को लेकर भी एक याचिका दायर की गई थी। जनहित याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कहा था कि SEBI को दी गई समय सीमा के बावजूद वह अदालत के निर्देशों का पालन करने में विफल रही है और अपनी फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है।

SEBI को 2 पहलुओं पर जांच करने के लिए कहा था

क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (A) का उल्लंघन हुआ?
क्या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर किया गया?
मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग से जुड़ा है नियम 19 (A)
कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स का नियम 19 (A) शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है। भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियां मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए। इसने अडाणी ग्रुप को कानून से बचने में मदद की।

SEBI जांच में अब तक क्या-क्या हुआ?

2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक कमेटी बनाई थी और SEBI को भी जांच के लिए 2 महीने का समय दिया था।
SEBI को 2 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन SEBI ने सुनवाई के दौरान जांच के लिए 6 महीने की मोहलत मांगी।
बेंच ने इसे अगस्त तक बढ़ा दिया। यानी SEBI को अपनी जांच कर रिपोर्ट सौंपने के लिए कुल 5 महीने का समय मिला।
14 अगस्त को SEBI ने अपनी जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन का समय और मांगा।
25 अगस्त को SEBI ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट फाइल की। बताया कि 22 जांच फाइनल हो चुकी हैं और 2 अधूरी हैं।
24 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। कहा था हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सही मानने की जरूरत नहीं है।
19 मई को कमेटी सार्वजनिक कर चुकी है रिपोर्ट
वहीं सुप्रीम कोर्ट की कमेटी अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच रिपोर्ट 19 मई 2023 को सार्वजनिक कर चुकी है। कमेटी ने कहा था कि अडाणी के शेयरों की कीमत में कथित हेरफेर के पीछे SEBI की नाकामी थी, अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। कमेटी ने ये भी कहा था कि ग्रुप की कंपनियों में विदेशी फंडिंग पर SEBI की जांच बेनतीजा रही है।

एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के पॉइंट…

कमेटी ने रिपोर्ट में कहा- SEBI को संदेह है कि अडाणी ग्रुप में निवेश करने वाले 13 विदेशी फंडों के प्रमोटर्स के साथ संबंध हो सकते हैं।
अडाणी ग्रुप के शेयरों में वॉश ट्रेड का कोई भी पैटर्न नहीं मिला है। वॉश ट्रेड यानी वॉल्यूम बढ़ाने के लिए खुद ही शेयर खरीदना और बेचना।
कुछ संस्थाओं ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने से पहले शॉर्ट पोजीशन ली थी। जब शेयर के भाव गिरे तो इसे खरीदकर मुनाफा कमाया।
अब तक कुल 6 याचिका दायर

  • मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR की मांग की थी। इसके साथ ही इस मामले में मीडिया कवरेज पर रोक की भी मांग की गई थी।
  • विशाल तिवारी ने SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की थी। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया था जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं।
  • जया ठाकुर ने इस मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की भूमिका पर संदेह जताया था। उन्‍होंने LIC और SBI की अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की थी।
  • मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की थी। मुकेश कुमार ने अपने वकीलों रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिए ये याचिका दाखिल कराई थी।
  • एक और याचिका दायर की गई थी जिसमें याचिकाकर्ता अनामिका जायसवाल ने नई कमेटी बनाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि कमेटी में ऐसे व्यक्तियों को शामिल किया जाए, जिनकी छवि बेदाग हो और इस केस से कोई लेना-देना न हो।
  • विशाल तिवारी ने SEBI की रिपोर्ट में देरी के कारण एक और याचिका दायर की थी। इसमें अवमानना ​​कार्यवाही की मांग की गई थी। कहा था कि SEBI को दी गई समय सीमा के बावजूद वह अदालत के निर्देशों का पालन करने में विफल रही है।

 

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