एटक का 105 वाँ स्थापना दिवस मनाया गया

बीकानेर , 3 नवम्बर। एटक का 105 वाँ स्थापना दिवस जिला एटक कार्यालय में पिछले दिनों समारोह पूर्वक मनाया गया। एटक़ के जिला अध्यक्ष कॉम प्रसन्न कुमार ने ध्वजारोहण करते हुए कहा कि आज देश की आर्थिक आजादी के लिए एकताबद्ध संघर्ष ही हमारा कर्तव्य हैं।

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वरिष्ठ मजबूर नेता कॉम रामेश्वर शर्मा के सानिध्य में सम्पन्न हुवे कार्यक्रम में उन्होंने कहा की 1852 से लेकर 1880 के मध्य जो भी कारखाने लगे उसके मालिक देशी हो या विदेशी चाहे पवित्र हिंदू हो या धार्मिक मुसलमान हो, एक समान रूप से आदमी औरतें और बच्चे जो श्रमिकों के रूप में कार्य करते थे उनका अमानवीय रूप से शोषण होता था। शोषण से मुक्ति और विदेशी शासन की मुक्ति की चेतना से लेस होकर महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में सन 1920 में देश के पहले मजदूर संगठन एटक की स्थापना हुई।

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कार्यक्रम में रोडवेज रिटायर्ड असोसीएशन कॉम गिरधारीलाल ने कहा कि देश में नई आर्थिक नीति के कारण मज़दूरों पर बढ़ रहे हमलों के विरुद्ध एटक़ के ही कॉम गुरदासदासगुप्ता के नेतृत्व मैं ही संयुक्त संघर्ष की शुरुआत हुवी। इसी संगठन के कॉम देवीलाल ने कहा की हमें मज़दूरों मैं चेतना विकसित करने के लिये अनवरत अभियान चलाना चाहिये। मोहता रसायनशाला लेबर यूनियन के अध्यक्ष प्रभात ग़जानी ने कहा की संघर्षों से प्राप्त मज़दूरों के अधिकारों को छीना जा रहा हैं।

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लालगढ़ होटल यूनियन के अध्यक्ष पर्वतसिंह ने कहा की मज़दूर अधिकारों की रक्षा करना ही हमारा पहला कर्तव्य है। नौजवान सभा के कॉम सरजू गहलोत, एवं लॉयर्स असोसीएशन आलोक पाराशर ने स्वाधीनता आंदोलन में मजदूर संगठनों के योगदान को रेखांकित किया। भाकपा के ज़िला सचिव कॉम अविनाश व्यास ने कहा की एटक की स्थापना से पूर्व विभिन्न समाज सुधारकों ने मजदूरों को शिक्षित करने और उनकी समस्याओं के निवारण हेतु प्रयास किये।

एटक की स्थापना से पहले ही मजदूर उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष की चेतना से सम्पन्न थे। राष्ट्रीय आंदोलन के।साथ साथ मजदूर आंदोलन भी विकसित होता गया। एटक की स्थापना के बाद देश में हड़तालों का एक दौर शुरू हुआ और 1924 मैं ब्रिटिश सरकार द्वारा,मज़दूर नेताओं की गिरफ्तारी इस बात का प्रमाण थी की अंग्रेज सरकार मज़दूर आंदोलन को एक बड़ा ख़तरा समझतीं थी। भारत के मज़दूर आंदोलन की एकजुटता अंतरराष्ट्रीय मज़दूर आंदोलन से रही क्योंकि एटक से गठन से पूर्व 1919 मैं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना हो चुकी थी। जिसमें एटक़ के नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

कार्यक्रम का संचालन करते हुवे कॉम अब्दुल रहमान क़ोहरी ने कहा की आज के दौर में मजदूर विरोधी आर्थिक नीतियों से लड़ने एकमात्र रास्ता एकजुट संघर्ष का ही है।

 

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