आचार्यश्री के सान्निध्य में अक्षय निधि तप साधना शुरू, ’कर्मों की अदालत’’ पर विशेष प्रवचन 25 को

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बीकानेर, 23 अगस्त। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरिश्वरजी के सान्निध्य में श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट व श्री जिनेश्वर युवक परिषद के संयुक्त तत्वावधान शुक्रवार को ढढ्ढों के चौक के यशराग प्रवचन पंडाल बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने 15 दिवसीय अक्षय निधि व समवसरण तप का पच्चक्खाण (संकल्प) लिया तथा कलश स्थापित किए। आचार्यश्री के सान्निध्य में मुनि व साध्वीवृंद ने विधि विधान से सुगनजी महाराज के उपासरे में तपस्वियों के कलश स्थापित करवाए।

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श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य मनोज सेठिया व जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने नव्हाणु यात्रा करने वाले जोधपुर में चातुर्मास कर रही साध्वीश्री सम्यक निधि के सांसारिक वीर भाई महावीर लोढ़ा, स्वाति लोढ़ा, पांच व नौ वर्ष के दीक्षा के भाव रखने वाले बालक वीर व पर्व लोढ़ा का पगड़ी, दुपट्टा व श्रीफल से अभिनंदन किया।

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आचार्यश्री ने प्रवचन में कहा कि जो देव,गुरु व संतों की अवहेलना, निंदा करता है वह कभी श्रावक नहीं बन सकता। देव, गुरु व धर्म पर सदा श्रद्धा व विश्वास रखे । नित्य जिनवाणी का श्रवण कर उस पर चिंतन मनन करते हुए अपने में व्याप्त बुराईयों व पाप प्रवृतियों का त्याग करें तथा पुण्यार्जन करें। बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर ने संवत्सरी तक चलने वाले अक्षय तप लोक-परलोक के लिए कल्याणकारी बताया।

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श्री भक्त परिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र की आराधना

आचार्यश्री के सान्निध्य में चल रहे श्री 45 आगम तप में शुक्रवार को ढढ्ढा चौक की आगम वाटिका में श्री भक्त परिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र की आराधना व जाप किया गया। श्राविकाओं ने आगम पूजा विधि में भक्ति स्तुति ’’भव्य नमो गुण ज्ञान ने, स्वपर प्रकाशक भावे जी। पर्याय धर्म अनंतता भेदाभेद स्वभावे जी’’ सामूहिक रूप् की। । आचार्यश्री ने धर्मचर्चा में बताया कि इस सूत्र में मृत्यु के समय में जीवों को चार आहार का पच्चक्खाण कराने के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। प्रारंभ में तीन प्रकार के मरण का उल्लेख करके भक्त परिज्ञा के योग्य कौन, इसको दर्शाया गया है।

कर्मों की अदालत 25 को

आचार्यश्री के सानिध्य में रविवार को सुबह नौ बजे बताया कि से प्रवचन पंडाल में ’’कर्मों की अदालत’’ विशेष प्रवचन माला का आयोजन किया जाएगा। श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा ने विशेष प्रवचन माला में संसार की अदालत व कर्म की अदालत का विस्तृत वर्णन किया जाएगा।

संसार की अदालत में अपराध साबित होने पर सजा, सबूत चाहिए , सीमित नजर, अपराधी, वकील व जज,, अपील व दलील होती है जबकि कर्मों की अदालत में इन सबकी की आवश्यकता नहीं होती, न अपील न दलील, भव करते पर भी सजा, सर्वव्यापी नजर, स्वयं कर्ता स्वयं भोक्ता, कर्मसता ही न्यायालय आदि विषयों की विस्तृत जानकारी जैन धर्म के प्रमाणों व उदाहरणों के माध्यम से दी जाएगी।

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