एचएमपीवी वायरस को लेकर सभी कलेक्टरों को किया अलर्ट
- सरकार ने अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट, वेंटिलेटर, बेड सहित सभी संसाधनों का जायजा लेने के निर्देश दिए
बीकानेर , 7 जनवरी। कोरोना महामारी के बाद अब मानव मेटा न्यूमोनिक वायरस (एचएमपीवी) को लेकर सरकार अलर्ट मोड पर आ गई है। सभी कलेक्टराें काे अस्पतालाें में बेड, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन प्लांट आदि संसाधनाें का जायजा लेने के निर्देश दिए गए हैं। बेंगलुरु और अहमदाबाद में डूंगरपुर की एक बच्ची में यह वायरस डिटेक्ट होने के बाद साेमवार काे सरकार ने सभी कलेक्टराें और स्वास्थ्य विभाग काे निर्देश जारी किए हैं।
पीबीएम हॉस्पिटल प्रशासन ने भी अपने संसाधन संभालने शुरू कर दिए हैं। कोविड-19 महामारी से दुनियाभर में लंबा लॉकडाउन लगा रहा और लाखों लोगों की मौत भी हुई। लगभग 4 साल बाद इस महामारी से उबरने के बाद चैन की सांस ली ही थी कि अब एचएमपीवी को लेकर लोगों की नजरें टीवी और सोशल मीडिया पर टिकी हुई हैं।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में वीडियाे कांफ्रेंसिंग के जरिए हालात पर नजर रखनी शुरू कर दी है। साेमवार काे इस संबंध में विभाग की वीसी हुई। मंगलवार को भी वीडियो कांफ्रेंसिंग में इस पर चर्चा होने की संभावना है। पीबीएम हॉस्पिटल प्रशासन में भी इस बीमारी को लेकर विचार विमर्श चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि एमसीएच को वापस तैयार किया जाएगा। कोरोना के वक्त मरीजों को वहीं पर रखा गया था।
सरकार ने कहा-एचएमपीवी की निगरानी कर रहे हैं, निर्देश जारी
ह्यूमन मेटा-न्यूमोवायरस (एचएमपीवी) एक श्वसन संबंधी हल्की बीमारी है जो वर्ष 2001 से मौजूद है, यह समाज के लिए चिंता का कोई नया वायरस नहीं है, और आज तक कोई मौत की सूचना नहीं मिली है।
लक्षण सामान्य संक्रमण के समान होते हैं जैसे नाक बहना, खांसी-जुकाम, बुखार आदि और यह तीन से पांच दिनों के भीतर अपने आप सीमित हो जाता है। किसी विशिष्ट उपचार की आवश्यकता नहीं है, प्रभावित लोगों को विशेष रूप से छोटे बच्चों को डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
सभी अधीक्षकों/पीएमओ/सीएमएचओ को इन्फ्लूएंजा/एच1एन1 और कोविड-19 की श्वसन संबंधी बीमारियों के बारे में निवारक और नियंत्रण उपायों के लिए एक परिपत्र जारी कर दिया है, जो सर्दियों में आम तौर पर होती हैं। राजस्थान में पांच वीआरडीएल प्रयोगशालाएं हैं जो एचएमपीवी वायरस का निदान करने में सक्षम हैं। कलेक्टर बेड, ऑक्सीजन प्लांट, दवा, आईसीयू, वेंटिलेटर, पीपीई किट, एचआर और अन्य लॉजिस्टिक्स (जैसे मास्क, सैनिटाइजर आदि) का जायजा लेंगे। नवंबर में इनकी माॅक ड्रिल हुई थी।
सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की सरकार के साथ साेमवार काे वीसी में इस पर चर्चा हुई। जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि एचएमपीवी घातक नहीं है। भारत में हर साल एचएमपीवी के मामले सामने आते हैं। संबंधित लक्षणों के गंभीर मामलों की जांच की जानी चाहिए।
क्या मानव मेटान्यूमो वायरस सिर्फ सर्दी-जुकाम है?
ह्यूमन मेटा न्यूमोनिक वायरस के कारण अक्सर सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण होते हैं, लेकिन कुछ लोग बहुत बीमार हो सकते हैं। पहली बार एचएमपीवी होने पर गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना अधिक होती है, यही कारण है कि छोटे बच्चों में गंभीर बीमारी का जोखिम अधिक होता है।
पहले संक्रमण से कुछ सुरक्षा (प्रतिरक्षा) मिलती है। दूसरा संक्रमण होता है तो हल्के, सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण होने की अधिक संभावना होती है। 65 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों और सांस लेने में समस्या या कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को भी गंभीर लक्षण हो सकते हैं। इस वायरस को लेकर जारी एडवाइजरी में बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वालों को सावधान रहने को कहा गया है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
पीबीएम हॉस्पिटल में मेडिसिन विभाग के हैड डॉ. सुरेंद्र कुमार वर्मा का कहना है कि एचएमपीसी के कारण रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम हो जाता है। इस वायरल इंफेक्शन के कारण निमोनिया होने पर मरीज की मौत तक हो जाती है। कोरोना की तरह यह वायरस भी सीधे फेफड़ों पर अटैक करता है। जुकाम, खांसी, बुखार, जोड़ों में दर्द, निमोनिया इसके लक्षण हैं।
आरटीपीसीआर आरएनए जांच से इसका पता लगाया जा सकता है, लेकिन जांच किट फिलहाल अवेलेबल नहीं है। कोरोना जांच की तरह इसका सैंपल भी गले से ही लिया जाता है। यह वायरस कितना गंभीर है, कहा नहीं जा सकता। इसे लेकर फिलहाल कोई डिटेल नोट जारी नहीं हुआ है।
सीएमएचओ डॉ. राजेश कुमार गुप्ता का कहना है कि “राज्य सरकार पूरी तरह से अलर्ट है। साेमवार काे आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। मंगलवार काे वीसी में इस पर चर्चा हाेगी। एचएमपीवी काे लेकर चिंतित हाेने की जरूरत नहीं है।”