आचार्यश्री के तप की अनुमोदना, नवपद ओली की आराधना मंगलवार को

  • मां-बाप व स्वजन को दुखी करने वाले सुख-चैन प्राप्त नहीं कर सकते- मुनि सम्यक रत्न सागर

बीकानेर, 8 अक्टूबर। जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में मंगलवार को ढढ्ढा चौक में प्रवचन में बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर म.सा. ने कहा कि मां-बाप,स्वजन, पांच महाव्रतधारी मुनि व साध्वी को दुःखी और परेशान करने वाले, हाय व बद दुआ लेने वाले जिन्दगी में कभी सुख-चैन, धर्म, आध्यात्म की प्राप्ति नहीं कर सकते ।

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उन्होंने कहा कि माता-पिता, स्वजन, गरीब व मेहनतकश मजदूर और घर परिवार को छोड़कर साधना, आराधना व भक्ति में लीन सच्चे संत का तिरस्कार, अपमान कर उन्हें शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्ट पहुंचाने वाला, हाय लेने वाला कभी सुरक्षित, आनंद व धर्म और सुखमय जीवन नहीं जी सकता । शाश्वत धर्म क्रिया व आराधना नहीं कर सकता । उसके मानवता के गुण भी नष्ट हो जाते है।

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आचार्यश्री की सूरी मंत्र साधना में तपस्या
जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी 16 दिन की पांचवीं सूरी मंत्र साधना के दौरान मंगलवार को पांच दिन की तपस्या पूर्ण की। आचार्यश्री सूरी मंत्र साधना 19 अक्टूबर तक चलेगी। आचार्यश्री की सूरीमंत्र के साथ पांच दिवसीय तप की अनुमोदना चतुर्विद संघ ने की।

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नवपद ओली के जप-तप
जैनाचार्य श्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 18, साध्वी श्री विजय प्रभा श्रीजी, प्रभंजना श्रीजी आदि ठाणा के सान्निध्य में बुधवार से नवपद ओली की तपस्या, जाप व विशेष व्याख्यान शुरू होगा। नवपद ओली के अनुष्ठान 17 अक्टूबर को (भगवान श्री नेमिनाथ परमात्मा के च्यवन कल्याणक) संपन्न होंगे। इसी दिन जैनाचार्य के सान्निध्य में 29 जुलाई को (भगवान श्री कुंथुनाथ परमात्मा के च्यवन कल्याणक) पर शुरू हुआ 81 दिवसीय 5 करोड़ नवकार महामंत्र जाप अभियान संपन्न होगा।

मुनिश्री सम्यक रत्न सागर म.सा. ने सोमवार को बताया कि नवपद ओली के दौरान पंच परमेष्ठी के पांच पद अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय व साधु के साथ तप, ज्ञान, दर्शन व चारित्र की साधना आराधना की जाएगी। श्रावक-श्राविकाएं आयम्बिल की तपस्याएं करेंगे। आयम्बिल की तपस्या के दौरान कई श्रावक-श्राविकाएं पंच परमेष्ठी के पद के वर्ण अनुसार लूखा व नीरस भोजन दिन में एक बार करेंगे।

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