नवपद ओली पर्व में साधु पद की वंदना, बच्चों का शिविर व भांडाशाह जैन मंदिर में अष्टोतर वृहद शांति स्नात्र पूजा
बीकानेर,13 अक्टूबर। जैनाचार्य श्री जिनपीयूष सागर सूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 18, साध्वीश्री विजय प्रभाश्रीजी, प्रभंजनाश्रीजी आदिठाणा के सान्निध्य में बीकानेर की महा मांगलिक प्रदात्री साध्वीश्री चन्द्रप्रभा म.सा. के प्रवर्तिनी पदारोहण दिवस पर भांडाशाह जैन मंदिर में रविवार को स्नात्र व अष्टोतर वृहद शांति स्नात्र पूजा की गई।
शिविर रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में बच्चों का शिविर आयोजित किया गया। आचार्यश्री की निश्रा में सोमवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में साध्वीश्री चन्द्रप्रभा म.सा. के प्रवर्तिनी पदारोहण दिवस पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रमों का समापन दोपहर ढाई बजे सामूहिक सामयिक के बाद होगा।
नवपद ओली पर्व के तहत रविवार को साधृ पद की वंदना गई। बीकानेर की साध्वी प्रभंजनाश्रीजी ने साधु पद की महिमा बताई। जैनाचार्य जिनपीयूष सागर सूरीश्वरजी के 10 दिन की तपस्या के साथ सूरीमंत्र साधना की अनुमोदना की गई। श्री सुगन जी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा व कोलकाता के सी.ए. कमल चंद पारख ने अमेरिका के वरिष्ठ श्रावक मालूजी का अभिनंदन किया।
जैनाचार्यश्री, मुनि व साध्वीवृंद की निश्रा में श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट, श्री जिनेश्वर युवक परिषद व श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के तत्वावधान में भांडाशाह जैन मंदिर में रविवार को जयपुर के विधिकारक यशवंत गोलछा व संजय ककरेजा ने स्नात्र पूजा, व अष्टोतर वृहद शांति स्नात्र पूजा मंत्रोच्चारण व भक्ति गीतों के साथ करवाई।
पूजा व अभिषेक का लाभ मुंबई प्रवासी बीकानेर निवासी अभय-साधना डागा, सिद्धकरण-मंजू देवी, महावीर चंदा देवी डागा, विनोद नाहटा-मंजू देवी ने लिया। शनिवार शाम को यज्ञ किया गया। पूजा के दौरान बालमुनि श्रुत रत्न सागर व शौर्य रत्न सागर व सुनील पारख ने भक्ति गीत प्रस्तुत किए।
श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने बताया कि सुगनजी महाराज के उपासरे में मुनि शाश्वत रत्न सागर व मुनि संवर रत्न सागर महाराज की निश्रा में बच्चों का शिविर आयोजित किया गया। शिविर में मुनिवृंद ने, पुण्य के 9 भेद का ज्ञान करवाया। उन्होंने बताया कि अन्न, पान, रहन, शयन, वस्त्र, मन, वचन, काया, व नमस्कार पुण्यों का अर्जन करें तथा पापों का विसर्जन करें। माता पिता, स्वजन, गुरुजन, उपकारी एवं अपने से बड़ों के चरणों में भावपूर्वक नमस्कार करने से आयु, बल, विद्या की वृद्धि होती है। शिविर में बच्चों को जैन संस्कार व शिक्षा देने वाले खेल भी खेलाए गए।