तपस्विनी शानू मालू के मासखमण तप करने पर अभिनंदन समारोह आयोजित हुआ


31 दिनों तक निराहार रहकर कर्मों की निर्जरा की

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बीकानेर\शांति निकेतन, गंगाशहर। ,16 अक्टूबर। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा गंगाशहर द्वारा तपस्विनी शानू मालू के मासखमण तपस्या करने पर आज शासन श्री साध्वी श्री शशिरेखा जी एवं साध्वी श्री ललितकला जी के सान्निध्य में मासखमण तप अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। जिसमें अपने मुख्य उद्बोधन में साध्वीश्री शशिरेखा जी ने तप का महत्व बताते हुए कहा कि तपस्या मोक्ष प्राप्ति का एक साधन है। तपस्वी तप के द्वारा अपने पूर्व जन्मों के संचित कर्मों को काटता है। अपनी आत्मा को उज्जवल बनाता है। साध्वी श्री ललित कला जी ने कहा की तपस्या करना बहुत कठिन है। उन्होंने तप शब्द की व्याख्या करते हुए कहा की त से आशय तपना व प से आशय पकना है अर्थात जो तप करके पकता है, वही लाभकारी है। साध्वीश्री कांतप्रभा जी व साध्वी श्री योगप्रभा जी ने गीतिका का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ तपस्विनी बहन के पारिवारिकजन द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ। साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी ने किया। तेरापंथ युवक परिषद के कोषाध्यक्ष महावीर बोथरा, महिला मंडल मंत्री मीनाक्षी आंचलिया ने तप अनुमोदना व्यक्त करते हुए अपना वक्तव्य दिया। सुमधुर गायिका कोमल पुगलिया ने तप की महिमा व्यक्त करते हुए गीतिका प्रस्तुत की। सभाध्यक्ष अमरचंद सोनी, जीवराज सामसुखा, पवन छाजेड़ व मदनलाल बोथरा ने तपस्विनी शानू मालू का जैन पताका, साहित्य व अभिनंदन पत्र से सम्मानित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीमती रुचि छाजेड़ ने किया।

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