श्रद्धा से सराबोर हुआ बाबा गंगाईनाथ धाम, हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई धोक
- इकतालीसवें निर्वाण दिवस पर हुई विशेष पूजा, संतों का हुआ समागम एवं भंडारा महाप्रसादी
बीकानेर ,26 दिसम्बर।जामसर स्थित बाबा गंगाईनाथ जी महाराज की तपोस्थली गुरूवार को श्रद्धा से सराबोर रही। परम श्रद्धेयी बाबा गंगाईनाथ महाराज के इकतालीसवें निर्वाण दिवस आयोजित धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने और बाबा की समाधी पर धोक लगाने के लिये राजस्थान समेत हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्यप्रदेश से साधू संत और हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचे।
बर्फानी सर्दी के बावजूद साधू संतों और श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह नजर आया, वहीं बाबा गंगाईनाथ समाधि स्थल सेवा समिति की सेवादार भी श्रद्धाभाव से श्रद्धालुओं और संत महात्माओं की सेवादारी में जुटे रहे। इस दौरान बाबा के जयकारों से समूचा माहौल गूंजायमान रहा। इस मौके पर गुरूवार सुबह मंगलबेला में बाबा की समाधि का अभिषेक और विशेष पूजा अर्चना के बाद आयोजित विशाल भंडारे में सबसे पहले साधंू संतों ने प्रसादी ग्रहण की। समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्रपाल शर्मा एवं पदाधिकारियों और श्रद्धालुजनों ने साधू संतों का सम्मान कर उन्हे श्रद्धा से दक्षिणा भी प्रदान की। इसके बाद विशाल पंडाल में भंडारे श्रद्धालुजनों ने बाबा की प्रसादी ग्रहण की। सर्दी के कहर को देखते हुए समिति की ओर से संत महात्माओं और श्रद्धालुओं के लिये विशेष बंदोबश्त किये गये।
दिन चढ़ता गया कतार बढ़ती गई
सर्द मौसम में बर्फानी आलम के बावजूद बाबा गंगाईनाथ धाम में भक्तों की उमड़ती भीड़ देखते ही बनती थी। मंदिर के बाहर जहां सडक के दोनों और खिलौनो से लेकर पूजन सामग्री और घरेलु सामान सहित श्रृंगार के वस्तुओं की दुकानें सजी थी, खरीदारों की भीड़ भी उमड़ती दिखाई दी। वहीं मंदिर के अंदर बाबा के दर्शन और समाधी पर चादर चढ़ाने वालों की कतार बाबा के प्रति भक्तों की आस्था बयां कर रही थी।
भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया।
मंदिर के एक ओर विशाल पण्डाल में बाबा के भक्त सेवादार भण्डारे का प्रसाद कतारबद्ध लोगों को पूड़ी राम, सब्जी राम, हलवा राम के संबोधन के साथ पुरसा रहे थे। वहीं भक्त भी राम के संबोधन के साथ आवश्यकता अनुसार मांग कर ग्रहण भी कर रहे थे।
रोचक किंतु सत्य
मंदिर में बरसों से अपनी सेवा दे रहे वरिष्ठ पन्नालाल नागल ने बताया कि वे लम्बे समय से बाबा के धोरे पर हर वर्ष सेवादार के रूप में आते हैं और सेवा देते हैं। यहां हर वर्ष होने वाले आयोजन में किसी प्रकार का कोई चंदा मांगकर नहीं लिया जाता है। भक्त स्वयं आकर अर्पण कर जाते हैं। यहां तक की चाय बनाने से लेकर भोजन व्यवस्था तक किसी प्रकार की कोई भी व्यवस्था के लिए किसी को कहा नहीं जाता है। बाबा के आशीर्वाद से स्वत चलता रहता है। भण्डारे का प्रसाद हजारों भक्त ग्रहण करते हैं लेकिन कभी भी ना अन्न खूटते दिखाई दिया और ना अव्यवस्था देखने को मिलती है। यह आस्था और श्रद्धा का केन्द्र है, जहां सच्चे मन से आने वालों की हर मुराद पूरी होती है। यही वजह है कि लोग दूर दराज से इस दिन मंदिर में आते हैं और अपने साथ चादर जरूर लेकर आते हैं, जो बाबा की समाधी पर चढ़ाई जाती है।
जन-जन का आस्था का केन्द्र है बाबा गंगाई नाथ धाम
शहर से 25 किलोमीटर दूर जामसर गांव में श्रीश्री 1008 बाबा गंगाई नाथ जी महाराज का धाम जन जन की आस्था केन्द्र है, यहां बाबा की समाधी स्थल पर हर साल सफला एकादशी पर उनकी बरसी पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। गुरुवार को बाबा की 41वीं बरसी के मौके पर शहर से लेकर गांवो और आसपास के प्रदेश सहित देश और विदेश से हजारों भक्तों का आगमन हुआ। इस मौके पर हवन-पूजन, चादर चढ़ाने और भण्डारे में बाबा का प्रसाद पाने वाले भक्तों की भारी भीड़ इस वर्ष भी उत्साहित करने और श्रद्धाभाव जगाने वाली थी। इस अवसर पर मंदिर परिसर में बाबा के सेवादारों ने श्रद्धालु महिलाओं व पुरुषों के लिए पंगत की व्यवस्था की। जहां पहले संतो ने भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया और इसके बाद श्रद्धालु भक्तों को एक लाइन में प्रसाद ग्रहण करवाया गया। बाबा गंगाईनाथ समाधि स्थल सेवा समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र पाल शर्मा ने बताया कि मंदिर परिसर में दो दिवसीय आयोजन के तहत गुरुवार को संत समागम और भण्डारे का आयोजन किया। जिसमें सर्वधर्म के लोग बाबा में आस्था रखते हुए प्रसाद ग्रहण भी करते हैं और करवाते हैं। इतना ही नहीं हर कोई तन-मन-धन से व्यवस्था में सहयोग भी करता है।
चारों प्रहर सेवादारी में जुटी रही सेवादारों की टीम
बाबा गंगाईनाथ महाराज के निर्वाण दिवस पर संत महात्माओं और श्रद्धालू जनों की सेवादारी के लिये बाबा गंगाईनाथ समाधि स्थल सेवा समिति के सेवादार चारों प्रहर जुटे रहे। इनमें समिति के अध्यक्ष एडवोकेट सुरेन्द्र पाल शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार पन्नालाल नागल, कमलेश शर्मा, राकेश ओझा, रामकुमार सारस्वत, गणेश ओझा, गणेश प्रजापत, रामलाल प्रजापत, रामलाल हलवाई, श्याम बाबू शर्मा, योगेन्द्र शर्मा, कन्हैयालाल पुरोहित, कानाराम कुमावत धोलेरा, रामूराम धोलेरा, जगदीश बिष्ट, उमेश स्वामी, पदमाराम खारा, मोहन मोदी, ईश्वर प्रसाद अग्रवाल, रवि अग्रवाल, श्यामसुंदर शास्त्री, रूपाराम, करणीराम, बदलदेव, सत्यनारायण, कालूसिंह धोलेरा, जितेन्द्र, मनीष, गणेश, दीपू, दिनेश, गौरव शर्मा, सचिन, महेश समेत अनेक सेवादार श्रद्धाभाव के साथ श्रद्धालूओं की सेवादारी में जुटे रहे।