मरने से पहले अधिकारी ने लिखा नोट, 2 बड़े बैंकों में चल रही धांधली का भंडाफोड़

नई दिल्ली, 14 अगस्त। कर्नाटक सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ सभी लेनदेन निलंबित करने का आदेश जारी किया है. दोनों बैंकों पर सरकारी खातों से धन के दुरुपयोग का आरोप है.

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इन दोनों बैंकों का स्वामित्व केंद्र सरकार के पास है. कर्नाटक सरकार के वित्त विभाग ने सभी राज्य विभागों को इन बैंकों में अपने खाते बंद करने और अपनी जमाराशि तुरंत वसूलने का निर्देश दिया है.

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आदेश में कहा गया है, “राज्य सरकार के विभागों, सार्वजनिक उद्यमों, निगमों, स्थानीय निकायों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों द्वारा भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक में रखे गए खातों को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए।

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इसके अतिरिक्त, इन बैंकों में कोई और जमा या निवेश नहीं किया जाना चाहिए.” यह आदेश ऐसे समय में आया है जब राज्य द्वारा संचालित कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड से जुड़े कथित धन हस्तांतरण घोटाले को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच वहां रस्सकसी चल रही है. बता दें कि कर्नाटक में इस वक्त कांग्रेस की ही सरकार है.

आत्महत्या के बाद खुली बात
कथित घोटाले का खुलासा तब हुआ जब निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखर पी ने 26 मई को आत्महत्या कर ली और उन्होंने एक नोट छोड़ा. नोट में दावा किया गया है कि निगम से संबंधित ₹187 करोड़ बिना मंजूरी के ट्रांसफर कर लिए गए. कुल राशि में से ₹88.62 करोड़ को आईटी कंपनियों और हैदराबाद की एक सहकारी समिति के खातों में भेज दिया गया।

आदेश में, राज्य के वित्त विभाग ने कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड के फंड से जुड़ी एक कथित धोखाधड़ी का उल्लेख किया. यह आरोप लगाया गया है कि पंजाब नेशनल बैंक के खातों से बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के साथ धन निकाला गया था. सरकार ने कहा कि मामला अदालतों में लंबित है और कई करोड़ रुपये अभी भी वापस नहीं किए गए हैं।

इसी तरह, कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एसबीआई बैंक में पैसा जमा किया था, जिसे कथित तौर पर 2013 में जाली दस्तावेजों का उपयोग करके एक निजी कंपनी के लिए ऋण के साथ एडजस्ट कर दिया गया था. यह मामला भी अदालत में लंबित है. आदेश में कहा गया है कि दोनों बैंकों के साथ खाते बंद करने और धन वापस लेने की प्रक्रिया सभी विभागों द्वारा 20 सितंबर तक पूरी की जानी चाहिए और उप सचिव को सूचित किया जाना चाहिए।

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