भामाशाह पूनमचन्द मंजूदेवी बोथरा परिवार को आशीर्वाद मिला
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मुनिश्री कमल कुमार जी का 54 वां दीक्षा दिवस
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गंगाशहर , 12 फ़रवरी। गंगाशहर के शिवा बस्ती में प्रस्तावित तेरापंथ भवन के स्थान पर मंगल प्रवचन में फरमाते हुए उग्रविहारी तपोमुर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी स्वामी ने कहा कि गंगाशहर के श्रावक श्राविकाओं मे सेवा भावना बहुत है। गंगाशहर सेवाकेन्द्र में विराजित साध्वियां बताती है कि हमें यहां किसी भी चीज की कमी नहीं है यहां गुरूदेव के प्रताप से सब सताकारी है। यहां के श्रावकों में सेवा की प्रबल भावना रहती है। गंगाशहर की भूमि सेवा भावना से ओत प्रोत भूमि है। मुनि श्री ने आज यानी पूर्णिमा के दिवस को बहुत पावन बताया और दो के संयोग की बात बताई। मुनिश्री ने बताया कि आज मेरा और मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी स्वामी का दिक्षा दिवस है हम दोनो की साथ दिक्षा हुई थी। मुनिश्री ने शिवा बस्ती में प्रस्तावित तेरापंथ भवन के स्थान देने भवन बनाकर देने वाले भामाशाह पूनमचन्द मंजूदेवी बोथरा परिवार को भी बहुत बहुत आशीर्वाद प्रदान किया। मुनिश्री ने उस स्थान की मिट्टी को देखकर कहा कि आज तो आनन्द की अनुभूति हो रही है कि आज हम मखमल पर बैठे है। मुनिश्री ने कहा कि जो सुख शान्ति में मिलता है वो सुख किसी पदार्थ में नहीं मिलता है। शान्ति से सुख मिलता है। त्याग का सुख शास्वत है। अपने क्षेत्र की गरिमा बढाने का कार्य करते रहना चाहिए।
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प्रवचन में मुनि श्री कमल कुमार जी ने कहा कि गुरू कृपा में बडा़ बल होता है। हमें गुरु दृष्टि की आराधना करनी चाहिए। गंगाशहर का साध्वी सेवा केन्द्र अभी भारत में, तेरापंथ धर्म संंध में सबसे बड़ा केन्द्र है। इस केन्द्र में रहने की, चिकित्सा की पूर्ण व्यवस्था है। गंगाशहर के श्रावकों में आहार प्रदान करने की उतकृष्ट भावना रहती है। साधू घर बार छोड़ता है, परन्तु भाग्य तो उनका उनके साथ ही रहता है। तेरापंथ साधू – साध्वी आहार के लिए श्रावकों को फोन नही करवाते।
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मुनिश्री सुमति कुमार जी ने कहा कि जीवन दो प्रकार का होता है संयमी जीवन और असंयमी जीवन। आज मुनिश्री कमल कुमार जी और मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी स्वामी का संयमी जीवन का दिवस है। आज ही के दिवस पर दोनों मुनिश्री ने एक साथ दिक्षा ग्रहण की थी। मुनिश्री ने कहा कि शिवा बस्ती के श्रावक श्राविकाओं की भावना फलित हो गई. वर्षों से उनके मन में तेरापंथ भवन के लिए भावना थी इस भावना को मुनिश्री कमल कुमार जी स्वामी की प्रेरणा से श्री पूनमचन्द जी मंजूदेवी बोथरा ने इस भावना को फलित कर दिया। मुनिश्री ने आज मंगल प्रवचन में श्रावक श्री सोहनलाल जी दूगड़ को याद किया। मुनिश्री ने बताया कि आचार्य श्री भिक्षू ने फरमाया है कि जो दानवीर दान देता है और कोई दूसरा व्यक्ति उसे दान देने से मना करता है अन्तराय देता है तो जो व्यक्ति दान देने से मना करता है उसे इसका फल भोगना ही पड़ता है। उन्होंने कहा कि मुनिश्री कमल कुमार जी पिछले 46 वर्षों से एकान्तर तप कर रहें है जिससे संघ की प्रभावना बढ़ रही है तथा इनकी आत्मा का कल्याण भी हो रहा है। मुनिश्री 14 फ़रवरी को विहार करके खाजूवाला की तरफ जाएंगे। मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी स्वामी ने अपने और मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी की दिक्षा दिवस पर एक कविता का संगान किया।
प्रोफेसर धनपत जैन ने अपने विचार वयक्त करते हुए कहा कि सुरवीर आदमी ही इतना बड़ा विसर्जन कर सकता है। उन्होंने पूनमचन्द बोथरा परिवार को इस नेक कार्य के लिए साधुवाद दिया। तेरापंथी महासभा के संरक्षक जैन लूणकरण छाजेड़ ने इतने बड़े विसर्जन के लिए पूनमचन्द बोथरा परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया।उन्होंने कहा कि शिवा बस्ती में तेरापंथ भवन बने यह मांग बस्ती के तेरापंथी अनुयायिओं की लम्बे समय से चल रही थी।मुनिश्री कमलकुमार जी का पधारना गंगाशहर के लिए उपलब्धि भरा रहेगा। सभी को अपने जीवन में विसर्जन करते रहने की अपील की। उन्होंने बताय की चोपड़ा परिवार द्वारा समाज को बहुत सहयोग दिया गया है। छाजेड़ ने दोनों मुनिजनों के प्रति दीक्षा दिवस पर आध्यात्मिक विकास की मंगल भावना व्यक्त की। तेरापंथी सभा गंगाशहर के निवर्तमान अध्यक्ष अमरचन्द जी सोनी ने आचार्य श्री महाश्रमण जी से मुनिगणों के प्रति प्राप्त संदेश का वाचन किया व बोथरा परिवार को बधाई देते हुए आभार ज्ञापित किया।
पूनमचन्द जी बोथरा ने कहा कि इस विसर्जन की मूल भावना मेरी पत्नी मंजूदेवी की रही अतः उन्होंने श्रीमती मंजूदेवी को इस विसर्जन के लिए धन्यवाद दिया तथा मुनि श्री के प्रति कृतज्ञता व जैन लूणकरण जी छाजेड़ को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए इनकी प्रेरणा के लिए आभार व्यक्त किया । संचालन सभा के मंत्री जतनलाल संचेती ने किया।