बिज्जी’ की कहानियां कालजयी है – कमल रंगा

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बीकानेर , 25 मई। अजित फाउण्डेशन द्वारा ‘हथाई’ कार्यक्रम के अन्तर्गत विजयदान देथा कि कहानियों पर चर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्ष्यता करते हुए राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि विजयदान देथा ने जीवनभर साहित्य का रचाव किया तथा उन्होंने अपने जीवन काल में साहित्य संवर्द्धन हेतु उल्लेखनीय कार्य किए। देथा ने लोक कथाओं का संग्रह कर उनको व्यवस्थित भाषा एवं व्याकारण के द्वारा कालजयी बना दिया। उनके द्वार रचित लोक कथाएं ‘‘बाता री फुलवारी’’ नाम से प्रसिद्ध है। कमल रंगा ने कहा कि विजयदान देथा लोकममर्ज्ञ, मानवीय चेतना एवं संवेदनाओं के व्यक्तित्व थे। और यह व्यक्तित्व उनकी कहानियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

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संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने विजय दान देथा की ‘‘आशा अमरधन’’ कहानी पर बोलते हुए कहा कि बिज्जी ने इस कहानी में जो मानवीय संवदेनाओं को उकेरा है वह अद्वितीय है। बिज्जी की लेखनी में वह दमखम है जो आशा के सहारे किसी व्यक्ति को एक वर्ष तक जिन्दा रख सकती है।

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इस अवसर मोहम्मद फारूक चौहान ने अपनी बात रखते हुए कहा कि विजय दान देथा पर आधारित एवं मालचंद तिवाड़ी द्वारा कृत ‘‘बोरूदा डायरी’’ पुस्तक बहुत ही उल्लेखनीय है। उन्होंने कहा देथा का व्यक्तित्व सादगी एवं प्रेरणादायी था।
कार्यक्रम के तहत युवा लेखक वैभव ने विजय दान देथा की ‘‘बेटा किसका’’ कहानी पर अपने विचार रखते हुए कहा कि यह कहानी सामाजिक जटिलताओं को हमारे सामने प्रस्तुत करती हे।
इसी क्रम में युवा लेखक आनन्द कुमार छंगाणी ने बिज्जी की ‘‘पुटिया चाचा’’ पर अपनी बात रखते हुए कहा कि पुटिया चाचा कहानी मनोविज्ञान पर आधारित मार्मिक कहानी है। कार्यक्रम के अंत में आकाशवाणी उद्घोषक महेश उपाध्याय ने संस्था की तरफ से आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि हमें जीवन में लिखने एवं पढ़ने की आदत डालनी चाहिए जिससे हमारा शैक्षणिक विकास होता है। तथा इस तरह के आयोजनों से हमारा जीवन कौशल का विकास होता है।

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