बीकानेर की लोक कला एवं लोक संस्कृति समृद्ध विरासत है-नम्रता वृष्णि

बीकानेर, 3 मई। नगर वैभव एवं नगर की यश गाथा को समर्पित पांँच दिवसीय ‘उछब थरपणा’ में आज प्रातः 11 बजे नत्थूसर गेट के बाहर स्थित नालन्दा सृजन सदन परिसर में राजस्थानी साफा, पाग-पगड़ी, कला-संस्कृति संस्थान एवं थार विरासत द्वारा चंदा-कला एवं बीकानेर की विभिन्न कलाओं की कलात्मक प्रदर्शनी का भव्य एवं गरिमामय उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि माननीय जिला कलेक्टर महोदया नम्रता वृष्णि ने मांगलिक फीता खोलकर किया।
उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपने विचार रखते हुए जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने कहा कि बीकानेर की लोक कला एवं लोक संस्कृति समृद्ध विरासत है। इसी संदर्भ में बीकानेर में कला एवं साहित्य की समृद्ध परंपरा रही है, जिसे नई पीढी तक ले जाने का सकारात्मक उपक्रम ऐसे आयोजनों के माध्यम से हो रहा है। जिसके लिए आयोजक संस्था एवं कलाकार साधुवाद के पात्र है। बीकानेर कला जगत सच्चे अर्थो में आगे बढ़ा रहा है, जिसका सुंुदर उदाहरण यह नवाचार लिए हुए बीकानेर का कला वैभव है।
मुख्य अतिथि नम्रता वृष्णि ने भव्य एवं कलात्मक बीकानेर के करीब 30 कलाकारों की विभिन्न तरह की कला शाखाओं जिसमें खासतौर से लोकचित्र कला, यर्थाथ कला, आधुनिक कला, से संबंधित एक-एक कलाकृतियों को गौर से देखा और कलाकारों से संवाद किया, जिससे कई तरह की कला संबंधी नवीन जानकारियां साझा हुई और साथ ही बीकानेर के इस कला वैभव को राष्ट्रीय फलक तक ले जाने के लिए बारे में भी चर्चा करते हुए कलाकृतियांे को अनुपम एवं सुंदर बताया।
उद्घाटन समरोह के विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के राष्ट्रीय मुख्य पुरस्कार एवं अनुवाद पुरस्कार से पुरस्कृत वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि बीकानेर के कला विश्ेाषज्ञों ने अपनी कला के माध्यम से जहां एक ओर जीवन के यर्थाथ और मानवीय संवेदनाओं को उकेरने का उपक्रम किया है, वहीं रंगों के माध्यम से सम्पूर्ण प्रकृति के साथ मरु वैभव को अपनी-अपनी कला शाखाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है वह सराहनीय है।
समारोह में अपने विचार रखते हुए सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के सहायक निदेशक एवं साहित्यकार हरिशंकर आचार्य ने कहा कि पाँच दिवसीय ‘उछब थरपणा’ समारोह के माध्यम से किए गए नवाचार हेतु आयोजक संस्था और सभी संबंधित कलाकार प्रशंसा के पात्र है। साथ ही उन्होंने विशेष तौर से मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर का आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि आपके उद्बोधन से कलाकारों का उत्साहवर्द्धन हुआ जिससे बीकानेर कला जगत नए आयाम स्थापित करेगा।
प्रारंभ में  शिक्षाविद् एव संस्कृतिकर्मी आयोजक राजेश रंगा ने अतिथियों एवं कलाकारों का स्वागत करते हुए पांँच दिवसीय उछब थरपणा की रूपरेखा बताते हुए कहा कि हमे प्रसन्नता है कि बीकानेर की लोक कला और लोकसंस्कृति के साथ अन्य नवाचारों के माध्यम से नगर के 537वें स्थापना दिवस को मनाने में अपनी रचनात्मक भूमिका का निवर्हन किया है।
इस अवसर पर आयोजक कृष्णचंद पुरोहित एवं राजेश रंगा ने अतिथियों को बुके प्रदत कर, साफा एवं शॉल ओढाकर अभिनंदन किया। उद्घाटन से पूर्व मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि का नव वर्षीय बाल कलाकार कृतिका रंगा ने तिलक कर स्वागत किया।
इस अवसर पर डॉ. मोना सरकार डुडी की कुरेचन कला, धर्मा स्वामी मॉडर्न आर्ट, महावीर रामावत पेन्सिल पोटैªट, कृष्णचंद पुरोहित साफा पगडी कला, योगेन्द्र पुरोहित इन्स्टोलेशन आर्ट, कमल किशोर जोशी पोटेªट कला, रामकुमार भादाणी सुनहरी कलम, रवि उपाध्याय यर्थाथ आर्ट, फराह कन्टेम्परी आर्ट, प्रिया मारू दृश्य कला, सैफ अली उस्ता उस्ता आर्ट, संगीता चौधरी मिनियचर आर्ट, गणेश रंगा पेन्सिल आर्ट, केशव जोशी लीफ आर्ट, पुलकित हर्ष पेन्सिल आर्ट, भूमिका रांकावत मण्डाला आर्ट, कृष्णकांत व्यास वुडन आर्ट, मुकेश जोशी सांचीहर मॉडर्न आर्ट, मंशा रावत लिपन आर्ट, योगेश रंगा पिछवाई आर्ट, मुस्कान मालु कनटेम्परी आर्ट, तनिशा निर्वाण मॉर्डन आर्ट, मोहित पुरोहित चन्दा आर्ट, आदित्य चन्दा आर्ट, मयंक रामावत डिजिटल आर्ट, दिनेश नाथ लेंडस्केप आर्ट, निकिता सारण चारकोल आर्ट को अतिथियों एवं सैकड़ों कला प्रेमियों द्वारा अवलोकन करते हुए विभिन्न तरह की कलाओं से रूबरू हुए जिससे सृजन सदन का सम्पूर्ण परिवेश बीकानेर की वैभवपूर्ण कलाकारों की कला से कलामय हो गया।
इस कार्यक्रम में विशेष तौर से गोपीकिशन छंगाणी, मदन मेाहन ओझा, हरिनारायण आचार्य, हेमलता व्यास, कार्तिक मोदी, भवानीसिंह, तोलाराम सारण, वासु, घनश्याम ओझा, अशोक शर्मा, आशीष रंगा, दिनेश व्यास सहित सभी संस्था के सहभागियों ने अपनी रचनात्मक भूमिका निभाते हुए अतिथियों का माला अर्पित की।
इस भव्य एवं कलात्मक समारोह का संचालन करते हुए  उद्घोषक ज्योति प्रकाश रंगा ने बीकानेर के कला इतिहास के बारे में कई अनछुए प्रसंग साझा किए।  इस अवसर पर कमल रंगा द्वारा अपने परिवार की तीन पीढियों के कीर्तिशेष लक्ष्मीनारायण रंगा, कमल रंगा, पुनीत रंगा, सुमीत रंगा एवं डॉ चारूलता रंगा के साहित्य की चुनिंदा कृतियां जिला कलेक्टर महोदया को ससम्मान अर्पित की। इस अवसर पर सभी कलाकारों का मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर ने माला अर्पित कर स्वागत किया एवं अंत में चंदा-कला-साफा-पाग-पगड़ी कला विशेषज्ञ कृष्णचंद ने सभी का आभार ज्ञापित किया।
bhikharam chandmal

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