दिल्ली स्थित बीकानेर हाउस की होगी कुर्की
- नोखा नगरपालिका ने ठेकेदार को नहीं दिए थे रुपए, कोर्ट का प्रॉपर्टी अटैच करने का आदेश
नई दिल्ली , 21 नवम्बर। दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थित बीकानेर हाउस पर गुरुवार को कुर्की का नोटिस चिपकाया गया। कुर्की के इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार कॉमर्शियल कोर्ट में रिकॉल एप्लिकेशन दायर करेगी। अगर सरकार को वहां से राहत नहीं मिलती है तो सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की तैयारी भी कर ली है।
दरअसल, दिल्ली की कॉमर्शियल कोर्ट-2 ने बीकानेर हाउस को अटैच करके उसे कुर्क करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने प्रदेश की नोखा नगर पालिका द्वारा मैसर्स एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को 50.31 लाख रुपए की मध्यस्थता राशि का भुगतान नहीं करने पर यह आदेश दिया। क्योंकि नोखा नगरपालिका राजस्थान सरकार के अधीन आती है। ऐसे में कोर्ट ने दिल्ली में स्थित राजस्थान सरकार की बीकानेर हाउस प्रॉपर्टी को अटैच करने का आदेश जारी कर दिया।
सितंबर में दिया था कुर्की आदेश
दिल्ली में राजस्थान सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने बताया- कॉमर्शियल कोर्ट ने बिना सरकार का पक्ष सुने सितंबर में एकतरफा कुर्की आदेश जारी किया था। आदेश की जानकारी सामने आने के बाद सरकार ने तुरंत प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा- हम पहले कॉमर्शियल कोर्ट में रिकॉल एप्लिकेशन दायर करके सरकार का पक्ष सुनने का आग्रह करेंगे। इस मामले में जिन अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती गई है। उनकी जवाबदेही सुरक्षित करने के लिए भी सरकार मामले की जांच करवाएगी।
बीकानेर हाउस में है सीएम का दफ्तर
दरअसल, बीकानेर हाउस दिल्ली में राजस्थान सरकार की ऐतिहासिक इमारत है। इस बिल्डिंग में सीएम भजनलाल शर्मा का भी कार्यालय है। इसके अलावा यहां हाईकोर्ट, पर्यटन, राजस्थान फाउंडेशन, आरएसआरटीसी सहित कई विभागों के कार्यालय संचालित हैं।
महाराजा गंगा सिंह ने कराया था निर्माण
बीकानेर हाउस का निर्माण बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह के शासनकाल के दौरान हुआ था। बीकानेर हाउस की स्थापत्य शैली मुख्य रूप से पश्चिमी राजस्थान की है। शाही निवास के रूप में उपयोग में होने पर इसके ग्राउंड फ्लोर पर रिसेप्शन सुइट्स, निजी कमरे और अतिथि कमरे थे, जबकि महिलाओं के क्वार्टर, पहली मंजिल पर थे।
1947 में भारतीय स्वतंत्रता के समय, बीकानेर हाउस भारतीय शाही परिवारों के बीच कई महत्वपूर्ण बैठकों का स्थान था, जहां वो अपने भविष्य पर विचार-विमर्श करते थे। इसे 18 नवंबर 2015 को जनता के लिए खोल दिया गया। अब यह राजस्थान सरकार द्वारा संचालित एक विश्व स्तरीय सांस्कृतिक केंद्र है।