बीकानेर का 537 वां बर्थ-डे, घरों में बना खींचड़ा हुआ कवी सम्मलेन
- दो दिन होगी पतंगबाजी, इमली के पानी से बनेगी कोल्ड ड्रिंक
- चाचा-भतीजा ने मिलकर बसाया था शहर
बीकानेर , 9 मई। बीकानेर आज 537 साल का हो गया है। संवत् 1545 में वैशाख के महीने में थावर यानी शनिवार के दिन राव बीका ने इसकी स्थापना की थी। राजतंत्र में बीकानेर खुद एक राज्य था लेकिन अब पश्चिमी राजस्थान का सबसे महत्वपूर्ण शहर है।
पंद्रह सौ पैंतालवे, सुद वैशाख सुमेर
थावर बीज थरपियो, बीका बीकानेर
इन दो लाइनों में बीकानेर की स्थापना का पूरा वर्णन किया गया है। इसकी स्थापना के बाद से इसे पूरे धूमधाम से आज भी मनाया जाता है। बीकानेरवासी इस बार भी अक्षय द्वितीया पर आज और आखातीज (शुक्रवार) पर स्थापना दिवस मनाएंगे। इस खास मौके पर घरों में खींचड़ा बनाया जाता है और पंतगबाजी का रिवाज है।
स खास दिन के मौके पर जानते है इसकी स्थापना कब और कैसे साथी ही बीकानेर के लोग इसे कैसे मनाते है…
चाचा-भतीजा ने मिलकर बसाया था बीकानेर
आज से ठीक 537 साल पहले जोधपुर के राज दरबार में देरी से पहुंचे राव बीका पिता महाराजा जोधा को प्रणाम कर अपने चाचा कांधल के पास बैठकर बातें करने लगे। राज दरबार में चाचा-भतीजे की काना फूसी देखकर राव जोधा ने कहा था- ‘चाचा-भतीजा मिलकर क्या कोई नया राज्य बसाने की योजना बना रहे हैं।’ इस ताने को सुनकर राव बीका ने कहा- ‘ऐसा हो भी सकता है।’
इसके बाद कांधल और राव बीका जोधपुर से निकल पड़े। जहां दूर-दूर तक इंसान तो दूर जंगली जानवर तक नजर नहीं आते थे, वहां राव बीका ने जांगळ प्रदेश की स्थापना कर दी। कालांतर में ये ही जांगळ प्रदेश देश का ख्यातनाम शहर बीकानेर बन गया।
घरों में बनेगा खीचड़ा
बीकानेर के लोग अपने शहर के जन्मदिन को एक नहीं बल्कि दो दिन मनाते हैं। अक्षय द्वितीया को बीकानेर की स्थापना हुई थी, ऐसे में इस दिन पतंगबाजी शुरू हो जाती है जो अक्षय तृतीया तक चलती है। अक्षय तृतीया यानी आखातीज के दिन पतंगबाजी परवान पर होती है। दोनों ही दिन घर में खीचड़ा बनता है।
वहीं लू में पतंगबाजी करने वालों के लिए कोल्ड ड्रिंक के रूप में इमलाणी तैयार होती है। ठंडी इमलाणी यानी इमली के पानी को पीने से तेज धूप में पतंगबाजी करने वालों को लू नहीं लगती। ये सिलसिला दोनों दिन चलता है। दोनों दिन लोगों के घर में पारम्परिक भोजन के रूप में खीचड़ा ही तैयार होता है।
दो दिन होगी पतंगबाजी
बीकानेर में अक्षय द्वितीया के दिन तापमान चालीस डिग्री सेल्सियस से ऊपर है लेकिन इसके बाद भी आधा शहर दिन में ही छत पर चढ़ गया है और बाकी आधा शाम को छतों पर नजर आएगा। परकोटे के अंदर बसे शहर में तो कोई छत ऐसी नहीं होती, जिस पर लोग पतंगबाजी नहीं कर रहे हो। अगर घर बंद है तो उसकी छत पर पड़ोसी पतंगबाजी करते नजर आते हैं। न सिर्फ युवा और बच्चे बल्कि महिलाएं भी जमकर पतंगबाजी करती है। परकोटे से बाहर भी पूरे शहर में जमकर पतंगबाजी होती है।
शहर की प्रतिभाओं का सम्मान
जिला प्रशासन की ओर से राव बीकाजी संस्थान, नगर विकास न्यास, नगर निगम, देवस्थान विभाग व महाराजा रायसिंह ट्रस्ट के तत्वावधान में नगर के 537वें स्थापना दिवस का मुख्य समारोह गुरुवार सुबह साढ़े सात बजे राव बीकाजी प्रतिमा स्थल पर हुआ। मुख्य समारोह में बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी की प्रतिमा स्थल पर प्रतिमा की पूजा, मंगलाचरण के साथ अवार्ड वितरण समारोह आयोजित हुआ।
समारोह में आईएएस परीक्षा में चयनित खुशहाली सोलंकी को श्री करणी माता अवार्ड, गायक राजा हसन को राव बीकाजी अवार्ड, शिक्षाविद् एवं मोटिवेशनल स्पीकर किशोर राजपुरोहित को बीकाणा अवार्ड, पत्रकार धीरेन्द्र आचार्य को महाराजा राय सिंह अवार्ड, वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक जोशी को अज़ीज़ आज़ाद स्मृति अवार्ड, वरिष्ठ संगीतज्ञ ज्ञानेश्वर सोनी को महाराजा अनूप सिंह अवार्ड, शतरंज खेल प्रशिक्षक हर्षवर्धन हर्ष को महाराजा करणी सिंह अवार्ड, हिंदी, उर्दू व राजस्थानी के साहित्यकार गुलाम मोहियुद्दीन माहिर को प.विद्याधर शास्त्री अवार्ड, संजय आचार्य ‘वरूण‘ को जनकवि बुलाकीदास बावरा अवार्ड, डॉ. सीमा भाटी को राजमाता सुशीला कुमारी स्मृति अवार्ड, निर्मल कुमार शर्मा का राव बीदा जी अवार्ड, मनीष कुमार जोशी को बीकाणा अवार्ड, संस्कृतिकर्मी ज्योति स्वामी को देश दीवान राव दुले सिंह बीदावत अवार्ड, साफा विशेषज्ञ कृष्ण चन्द्र पुरोहित को बीकाणा अवार्ड, पतंगबाज ओम सिंह को राव बेलोजी पड़िहार अवार्ड, आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. सुधांशु व्यास को पीर गोविन्द दास अवार्ड व अन्तर्राष्ट्रीय बीयर्ड अवार्डी चन्द्र प्रकाश व्यास को अमर कीर्ति अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा।
खुदाई खिदमतगार कमेटी को संस्थागत सम्मान महाराजा गंगा सिंह अवार्ड प्रदान किया गया। देवस्थान विभाग की ओर से आज करणी माता मंदिर देशनोक तथा लक्ष्मीनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना तथा प्रसाद वितरण का आयोजन करवाया जा रहा है।
कवी ने अपनी अभिव्यक्ति इस तरह से दी है ……..
आई आई रे …..आखातीज
आओ आओ रे भायां
आई आई रे आखातीज
आओ आओ सुगन मनावां
हुवै ली आपां री जीत ।
रंग – रंगीलो , रंग – बिरंगो
बालो घणो है ओ ‘ आभो
टाबर – टोली , बूढ़ा – ठेरा
डागलियै चढ़ गावै गीत ।
भांत – भांत रा किन्ना – मंजा
पतंगां उडावै अर लड़ावै पैच
कट जावै इक – दूजे रा किन्ना
जद बोलै बोई काटा,बोई काटा ।
किन्ना लूंटण घणी हुवै भागदौड़
लूंटण दोड़ै टाबर – जवान – बुढा
छ्ड़े – छड़ी सूं लुंटै ,घाते ढेरिया
लूंटया पछै ,ओ’ बस ,ओ ‘बस करो ।
खिचड़लौ घर – घर में घमकाई जै
सुगन मनावै घर – घर में गौरड़ी
जिमण आलां री थाल्यां घी सूं भर दे
छाण – छाण आम्ल पीवै मोकली ।
पेच लड़ै ढील अर खींचताण सूं
क्टयां पछै काट्णियां रोला करै
तापड़ बल ग्यो , घर मे घुस ग्यो
ओर उडा रे, रोवणियां भ्यारिया ।
टाबर ठंडे पाणी रा कुन्जिया भर लेवै
सगलै घर – घर सगला सुगन मनावै
जमानो अबकै आछो घणो होवैलो
आई आखातीज आपां री हो सी जीत ।
मईनुदीन कोहरी”नाचीज” बीकानेरी मो-9680868028
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कवि सम्मेलन और मुशायरा आयोजित
बीकानेर, 8 मई। बीकानेर नगर स्थापना दिवस के अवसर पर में राव बीकाजी संस्थान और जिला प्रशासन, नगर निगम, यूआईटी के संयुक्त तत्वावधान में श्री जुबली नागरी भण्डार के नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम में बुधवार को कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन किया गया। इसमें नगर के हिन्दी, उर्दू और राजस्थानी के करीब 25 कवियों और शायरों ने बीकानेर की सांस्कृतिक एकता और परंपराओं पर आधारित कविताएं और ग़ज़लें प्रस्तुत कर ख़ूब दाद बटोरी।
कवि सम्मेलन और मुशायरे की अध्यक्षता वरिष्ठ शाइर गुलाम मोहय्युद्दीन माहिर ने की। मुख्य अतिथि गीतकार शंकर सिंह राजपुरोहित और विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि शाइर संजय वरुण ने थे। शंकर सिंह राजपुरोहित ने बीकानेर पर धमाल प्रस्तुत कर ख़ूब दाद ली। शाइर माहिर ने आपसी विश्वास की गजल पेश की और संजय आचार्य वरुण ने ‘मन की बात कहना बड़ा मुश्किल है गीत सुनाया। इस दौरान जाकिर अदीब, संजय पुरोहित, राजाराम लीलाधर सोनी, इमदादुल्लाह बासित, कमल रंगा,राजेंद्र जोशी, अब्दुल जब्बार जज़्बी, राजेंद्र स्वर्णकार, सागर सिद्दीकी, जुगल किशोर पुरोहित, कासिम बीकानेरी, कृष्णा आचार्य गोपाल पुरोहित, आनंद मस्ताना, इसरार हसन क़ादरी, जगदीश अमन आदि रचनाकारों ने प्रस्तुतियां दी। संचालन शाइर इरशाद अजीज ने किया और धन्यवाद फारुक चौहान ने किया।