शराब व शराबियों पर भाजपा सरकार दिल खोलकर हुयी मेहरबान
- राजस्थान की गली-गली में बने छोटे होटल शराब पिला सकेंगे
- शराब बेचकर 17000 करोड़ छापने की तैयारी में सरकार
- पूनम छाबड़ा ने राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को निचे ले जानी वाली निति करार दिया
जयपुर , 31 जनवरी। राजस्थान सरकार ने नई आबकारी पॉलिसी जारी की है। इस पॉलिसी में सरकार ने होटल बार के नियमों में राहत दी है। नई पॉलिसी के तहत अब होटल बार खोलने के लिए 20 कमरों के बजाए 10 कमरों की जरूरत होगी। वहीं, बार के लिए लाइसेंस लेना भी आसान होगा। आवेदन ऑनलाइन करने के बाद वह ऑटो अप्रूव होगा। इसके साथ ही पुरानी नीति के तहत बल्क में दुकानें भी देने का प्रावधान नई पॉलिसी में रखा है। नई पॉलिसी के नियम मार्च 2029 तक के लिए लागू किए गए हैं।
समूहवार में एकाधिकार को रोकने के लिए पूरे स्टेट में 5 समूह की सीमा निर्धारित की है। इसके तहत कई बड़े ग्रुप शेष रही अधिकतम 5 दुकानों (जो लाइसेंस रिन्यू नहीं करवाएगा और नीलामी में नहीं बिकेगी) को एकसाथ खरीद सकेंगे। विभाग ने दुकानों की संख्या को इस साल नहीं बढ़ाया है। पूरे प्रदेश में शराब की इस साल भी 7665 दुकानें के लाइसेंस की ही नीलामी की जाएगी।
समूहवार सीमा और दुकान संख्या
सरकार ने बड़े व्यापारिक समूहों के एकाधिकार को रोकने के लिए पूरे राज्य में अधिकतम 5 समूहों की सीमा निर्धारित की है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई एक समूह पूरे बाजार पर नियंत्रण न कर सके। हालांकि, इस साल प्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है, और 7665 दुकानों के लाइसेंस की ही नीलामी की जाएगी। इस बार 17000 करोड़ रेवेन्यू रखने की तैयारी की जा रही है। यह है पिछले साल 15500 करोड़ था। राजस्थान की नई आबकारी नीति पर्यटन को बढ़ावा देने, छोटे होटलों के लिए अवसर बढ़ाने और शराब व्यवसाय को सुव्यवस्थित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
गली-गली खुल जाएंगे होटल बार
राज लिकर वेलफेयर सोसायटी के कोषाध्यक्ष नरेश पारीक ने बताया- सरकार की होटल बार के लिए लाई गई पॉलिसी से अब शहरों में गली-गली में होटल बार संचालित हो जाएंगे। वर्तमान में अधिकांश छोटे होटल 10 से 15 कमरों के है। वर्तमान में पूरे प्रदेश में 1417 होटल-रेस्टोरेंट बार लाइसेंस लेकर संचालित है। पारीक ने बताया- सरकार को शराब की दुकानों के बिक्री के समय में बढ़ोतरी करने के लिए ज्ञापन दिया था, लेकिन सरकार ने उस पर कोई संज्ञान नहीं लिया। बिक्री का समय कम होने से सरकार की रेवेन्यू भी प्रभावित हो रही है।
पर्यटन स्थलों के लिए सीजन लाइसेंस
जैसलमेर, रणकपुर, माउंट आबू, पुष्कर, कुंभलगढ़, जवाई, सवाई माधोपुर आदि ऐसे स्थान जहां सीजन में पर्यटक ज्यादा आते हैं। वहां पर्यटकों के लिए स्विस टेंट जैसी संरचना बनती है। वहां के लिए अब सीजनल लाइसेंस भी दिए जाएंगे। अभी तक ऐसी जगहों पर शराब बेचने के लिए वार्षिक लाइसेंस का प्रावधान था।
2029 तक करवा सकेंगे रिन्यू
दुकान संचालकों को इस पॉलिसी के तहत 4 साल तक दुकान के लाइसेंस को रिन्यू करवाने का ऑप्शन मिलेगा। यानी कोई दुकान किसी संचालक का लाइसेंस इस साल नीलामी में खरीद लिया तो वह हर साल उसे एक निधारित वृद्धि के साथ रिन्यू करवा सकेगा। हर साल दुकान के लिए उसे नीलामी प्रक्रिया में भाग नहीं लेना पड़ेगा।
राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को निचे ले जानी वाली निति
सरकार का उद्देश्य मात्र धन कमाना रह गया है। गली गली में शराब मिलाने से शराब की लत से ना जाने कितने घर बर्बाद होंगे व कितने चिराग बुझ जाएंगे ? तत्कालीन विधायक स्व. गुरुशरण सिंह छाबड़ा जिन्होंने प्रदेश में शराब बन्दी की मांग को लेकर आंदोलन किया था व अनशन के 33 वे दिन 3 नवम्बर 2015 के अपनी कुर्बानी दी दे थी। उनकी पुत्री पूनम छाबड़ा जिन्होंने भी राजस्थान को शराब मुक्त करवाने की पिता की मुहीम को जारी रखा है ने थार एक्सप्रेस को बताया कि शराब को बढ़ावा देने वाली यह निति राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत के लिए घातक है। उन्होंने आश्चर्य वयक्त करते हुए कहा कि भाजपा जो RSS जैसे सांस्कृतिक व सामाजिक संगठन से जुडी हुयी है फिर ऐसे निर्णय लेकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का आत्मघाती कदम क्यूं उठा रही है।
पूनम छाबड़ा ने कहा कि शराब का प्रचलन बढ़ने से माताओं व बहिनों पर अत्याचार बढ़ेंगे। शराबी लोग रपे की घटनाओं व एक्सीडेंट की घटनाओं में बढ़ोतरी करेंगे। सरकार को तो शराबबंदी करनी चाहिए थी परन्तु इस निति से युवाओं का भविष्य बर्बादी की और बढ़ जाएगा अतः यह पॉलिसी वापिस लेनी चाहिए।