भाजपा को मिलेगा नया संगठन: केन्द्र से जिलों तक होंगे बदलाव
जून के बाद प्रक्रिया संभव , पंचायत और निकाय चुनावों में जिलाध्यक्ष की भूमिका अहम
जयपुर , 12 जून। प्रदेश में विधानसभा और केन्द्र में लोकसभा चुनाव के बाद जैसे ही मंत्रिमंडल में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को कैबिनेट में जगह मिली तो संकेत साफ हो गए कि अब पार्टी को नया सांगठनिक ढांचा मिलेगा।
बदलाव नीचे से हो या ऊपर से पर अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और जिलों के अध्यक्षों को भी बदलने की तैयारी है। बीकानेर के भी अध्यक्षों का कार्यकाल अब पूरा होने वाला है। ये पार्टी को तय करना है कि चुनाव कराकर संगठन में बदलाव होगा या मनोनयन प्रक्रिया से।
दरअसल भाजपा संगठन में मौजूदा सभी पदाधिकारियों का कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका था। सिर्फ लोकसभा और विधानसभा चुनाव के कारण सबका कार्यकाल बढ़ाया हुआ था। अब लोकसभा चुनाव खत्म हो गए तो जून के बाद से संगठन के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू होगी। लोकसभा चुनाव से पहले ही सदस्यता अभियान शुरू हो गया था और ये उसी नए गठन की प्रक्रिया का हिस्सा है जो चुनाव के कारण रुक गया था। अब फिर उसकी शुरूआत होगी।
अगर चुनाव प्रक्रिया के तरीके पर संगठन चुनाव होता है तो सबसे पहले बूथ, फिर मंडल, जिला, प्रदेश और सबसे अंत में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है। मगर मौजूदा भारतीय जनता पार्टी बहुत अलग हो गई है। अब चुनाव प्रक्रिया की जगह मनोनयन होने लगा है। अध्यक्ष व पदाधिकारी ऊपर से तय होने लगे हैं।
चुनाव से वो जीतेगा जिसे ज्यादा वोट मिलेंगे। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जिलाध्यक्षों की टिकटों में भूमिका ज्यादा नहीं होती। विधानसभा में राय शुमारी जरूर होती है पर बड़ी भूमिका नहीं होती। जिलाध्यक्षों के लिए सबसे बड़ी भूमिका निकाय और पंचायती राज चुनावों में होती है जो अब होंगे।
कैसे बनता है भाजपा का संगठन
सबसे पहले बूथ सदस्य मिलकर बूथ अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। एक मंडल के अधीन आने वाले सभी बूथ अध्यक्ष मिलकर मंडल अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। विधानसभाओं के प्रतिनिधि और मंडल अध्यक्ष मिलकर जिलाध्यक्ष चुनते हैं। प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव प्रदेश प्रतिनिधि, जिलाध्यक्ष और कुछ अन्य मनोनीत सदस्य मिलकर करते हैं। कमोबेस यही प्रक्रिया केन्द्र के लिए होती है।
पार्टी की आदर्श प्रक्रिया यही है पर अब केन्द्र में पसंद का विशेष ख्याल रखा जाने लगा है। जो पसंद का नहीं वो कितने ही बड़े कद का हो उसका नंबर नहीं आएगा। इस लिहाज से माना जा रहा है कि जून के बाद पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन होगा। उसके साथ ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भी तय होगा। फिर जाकर जिलाध्यक्षों को बदला जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो माना जाएगा कि नगर निकाय और पंचायती राज के चुनाव नए जिलाध्यक्ष ही कराएंगे। हालांकि कोई रिपीट भी हो सकता है तो कोई बदला भी जा सकता है।