नरपतसिंह सांखला स्मृति राज्य स्तरीय राजस्थानी कहानी पुरस्कार हेतु 15 मार्च 2024 तक पुस्तकें आमंत्रित 

बीकानेर, 29 फरवरी। राजस्थानी एवं हिन्दी के ख्यातनाम साहित्यकार कीर्तिशेष नरपतसिंह सांखला की स्मृति में प्रति वर्ष एक राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदत्त करने के निर्णय बाबत आज वर्ष 2024 के पुरस्कार हेतु संस्थान के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया।
संस्थान के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने बताया कि प्रति वर्ष नरपतसिंह सांखला स्मृति में प्रदत किये जाने वाले पुरस्कारों की श्रृंखला में वर्ष 2024 का तृतीय  पुरस्कार स्व. सांखला की तृतीय पुण्य तिथि के अवसर पर आगामी 21 मार्च 2024 को राजस्थानी भाषा की कहानी विधा में निर्णायकों द्वारा चयनित पुस्तक पर प्रदत्त किया जाएगा।
संस्थान के अध्यक्ष कमल रंगा ने बताया कि पुरस्कार हेतु राजस्थानी कहानी विधा की गत पांच वर्षो में प्रकाशित मौलिक कृति ही स्वीकार्य होगी। अर्थात् 1 जनवरी 2019 से दिसम्बर 2023 तक प्रकाशित राजस्थानी कहानी की पुस्तक मान्य होगी। पुरस्कार बाबत किसी भी तरह के शोधग्रंथ, सम्पादित कृति, सांझा संकलन आदि पुरस्कार हेतु मान्य नहीं होंगी। पुरस्कार के निर्णय हेतु एक निर्णायक मंडल का गठन किया गया है एवं पुरस्कार बाबत किसी बात आदि बाबत अंतिम निर्णय संस्थान का होगा।
संस्थान के सचिव वरिष्ठ शायर कथाकार कासिम बीकनेरी ने बताया कि प्रथम नरपतसिंह साखंला स्मृत राज्य स्तरीय पुरस्कार राजस्थानी की काव्य विधा में नागौर के पवन पहाड़िया को प्रदत किया गया वहीं दूसरा पुरस्कार हिन्दी की कहानी विधा में जयपुर के राजेन्द्र मोहन शर्मा को प्रदत किया गया। इसी तरह वर्षवार विधा का निर्णय के अनुसार इस बार राजस्थानी कहानी विधा पर पुरस्कार प्रदत किया जाएगा।
संस्थान के समन्वयक शिक्षाविद् संजय सांखला ने बताया कि स्व. नरपतसिंह सांखला स्मृति पुरस्कार के तहत पुरस्कृत होने वाली कृति के साहित्यकार को 11000 (ग्यारह हजार रूपये), शॉल, सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न, श्रीफल आदि अर्पण कर सम्मानित किया जाएगा।
पुरस्कार हेतु राज्य के साहित्यकार उक्त अवधि की एक मौलिक राजस्थानी कहानी विधा की पुस्तक आगामी 15 मार्च, 2024 तक- कमल रंगा, रंगा कोठी सुकमलायतन डी 96-97 मुरलीधर व्यास नगर, बीकानेर (राज.) के पत्ते पर सादर आमंत्रित की जा रही है। 15 मार्च, 2024 के बाद प्राप्त पुस्तकों पर निर्णय नहीं किया जाएगा।
bhikharam chandmal

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