चन्द्रप्रभु के मंदिर का जीर्णोंद्धार 19 जुलाई को होगा

बीकानेर, 23 जून। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने शनिवार को ढढ्ढा चौक परिसर ने रविवार को बेगानी चौक के जैन धर्म के 8 वें तीर्थंकर भगवान चन्द्रप्रभु के मंदिर के जीर्णोंद्धार का शुभ कार्य चातुर्मास से एक दिन पूर्व 19 जुलाई को शुरू करने की घोषणा की।

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प्राचीन मंदिर का जीर्णोंद्धार समस्त बेगानी चौक के जैन परिवारों व बेगानी मंदिर ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में होगा। गाजे बाजे के साथ बेगानी चौक के जैन परिवारों ने आचार्यश्री, मुनिवृंद के सान्निध्य में रविवार को दर्शन वंदन किया। आचार्यश्री ने कहा कि एक जिनालय के जीर्णोंद्धार का पुण्य 8 जैन मंदिर का निर्माण करवाने जितना होता है।

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आचार्यश्री ने चेतना का भजन ’’सांसों के तार-तार में प्रभु प्यार को पिरोलो, शुभ कर्म कर के पल का जीवन में बीज बोलो’’ सुनाते हुए कहा कि जीवन के हर पल-क्षण को जिनवाणी श्रवण, चिंतन व मन में लगावें। सुगुरु, सुदेव व सुधर्म का गठ बंधन करें। जिनवाणी के प्रति नजरिया व दृष्टि बदले तथा उसके अनुसार जीवन बनाएं। बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर ने विषय को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जिनवाणी, जिन देशना, सिद्धान्त विश्व में जीव मात्र के लिए कल्याणकारी, उदार व सर्वहितकारी है। जीवन की समस्त समस्याओं का निराकर जिनवाणी में है।

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आचार्यश्री ने बेगानी चौक के झंवर लाल बेगानी, घेवर चंद, भीखमचंद, जीवराज , वीरेन्द्र, प्रमोद, श्रीचंद, नवरतन, मनोज, मनु मुसरफ, पवन पारख,प्रवीन लूणिया, गुमान मल पारख, विनोद दस्साणी व मालचंद बेगानी आदि चौक के गणमान्य श्रावक-श्राविकाओं को मुर्हूत पत्र प्रदान किया।

चिंतामणि जैन मंदिर में सामूहिक स्नात्र महोत्सव में प्राचीन जिन प्रतिमाओं का वंदन
बीकानेर, 23 जून। जैन जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में रविवार को सुबह सात बजे भुजिया बाजार के प्राचीन श्री चिंतामणि आदिनाथ जैन मंदिर में खरतरगच्छ ज्ञान वाटिका के बच्चों की ओर से सामूहिक स्नात्र महोत्सव मनाया गया।

श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल ने बताया कि चिंतामणि आदिनाथ मंदिर में विक्रम संवत् 1380 (701 वर्ष पूर्व) में मंडोर में बनी श्री आदिनाथ दादा की अष्टधातु की प्रतिमा को संवत् 1561(520 वर्ष पूर्व) में किया गया। मंदिर की प्रतिष्ठा तीसरे दादा गुरुदेव श्री जिन कुशल सूरीश्वरजी ने करवाई थी। राव बीकाजी के शासन काल में बने इस जिनालय मं 1016 अष्ट धातु की प्रतिमा व अति प्राचीन प्रतिमाएं भूमिगृह में है जिसे बीकानेर के तत्कालीन महाराजा रायसिंह ने दिल्ली से सुश्रावक कर्मचंद बच्छावत आग्रह पर अकबार से सोना व अन्य कीमती वस्तुएं भेंट कर बीकानेर में लाई गई थी।

स्नात्र पूजा के दौरान श्री जैन युवा परिषद से सम्बद्ध ज्ञान वाटिका के बच्चों ने अदि प्राचीन भगवान आदि नाथ के साथ भूमिगृह में स्थित प्राचीन जिन प्रतिमाओं की भाव वंदना की। बच्चों ने भक्ति गीतों व मंत्रोंच्चारण के साथ स्नात्र पूजा में जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों का जन्म कल्याण मनाया तथा शांति कलश स्थापित कर सबके मंगलमय जीवन कामना की। पूजा ज्ञान वाटिका की सुनीता नाहटा, रविवारीय जिनालय पूजा के समन्वयक ज्ञानजी सेठिया व पवन जी खजांची के नेतृत्व में की गई।
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मिनी मांडोली में भक्ति संगीत के साथ पूजा

’’वसुनंदन शांति सुरीश्वर गुरुवर दयावान’’

बीकानेर, 23 जून। गंगाशहर में स्थित शांति गुरुदेव के मंदिर मिनी मांडोली में शनिवार शाम को भक्ति संगीत संध्या तथा रविवार को सुबह भक्ति गीतों के साथ पूजा की गई। पूजा में बड़ी संख्या मेंं बीकानेर, गंगाशहर व भीनासर के श्रावक श्राविकाओं ने हिस्सा लिया।

सुश्रावक पूजा के लाभार्थी मैना देवी बैद परिवार के राजेश बैद चन्द्रा बैद, किशोर, विकास बैद, हनुमान जोशी, नवीन दुगड़ व शैलेन्द्र गोलछज्ञ के नेतृत्व में योगी सम्राट शांति सूरिश्वरजी की प्रतिमा पर श्रृंगार कर पूजन किया गया। चार्टेड एकाउंटेंट विनोद पारख व उनकी टीम ने राजेश बैद व चंद्रा बैद का प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया। पूजा के दौरान सुनील पारख, विनोद सेठिया, महेन्द्र कोचर, श्रीमती मधु सिंघी ने भक्ति गीत प्रस्तुत किए। वरिष्ठ गायक सुनील पारख की ओर से प्रस्तुत ’’वसुनंदन शांति सूरीश्वर गुरुदेव दयावान’’ आदि के साथ श्रावक-श्राविकाओं ने भक्ति से भाव विभोर होकर साथ दिया।

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