वैज्ञानिक तरीके से भेड़ एवं बकरी पालन हेतु सात दिवसीय प्रशिक्षण का समापन कार्यक्रम आयोजित

  • बीकानेर में पिछले 5 सालों में चारे के कारण ऊन की क्वालिटी खराब हुई- प्रो. मनोज दीक्षित, कुलपति, एमजीएसयू, बीकानेर
  • चारे की क्वालिटी में सुधार को लेकर राजुवास और एसकेआरयू के बीच जल्द होगा एमओयू- डॉ अरुण कुमार, कुलपति, एसकेआरएयू, बीकानेर

 

बीकानेर, 16 दिसंबर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक तरीके से भेड़ एवं बकरी पालन के सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सोमवार को समापन हुआ। मानव संसाधन विकास निदेशालय सभागार में आयोजित समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमजीएसयू कुलपति एवं राजुवास के कार्यवाहक कुलपति डॉ मनोज दीक्षित और विशिष्ट अतिथि चंद्रशेखर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी कानपुर के कॉलेज ऑफ डेयरी टेक्नोलॉजी के डीन प्रो. वेद प्रकाश श्रीवास्तव थे।गेस्ट ऑफ ऑनर कुलसचिव डॉ देवा राम सैनी व वित्त नियंत्रक श्री राजेन्द्र कुमार खत्री थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ अरुण कुमार ने की। अतिथियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे 6 राज्यों राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के 55 प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।

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एमजीएसयू कुलपति डॉ मनोज दीक्षित ने कहा कि बीकानेर उच्च गुणवत्ता की ऊन उत्पादन को लेकर विश्व विख्यात था। लेकिन पिछले पांच सालों में चारे की गुणवत्ता खराब होने से ऊन की क्वालिटी भी खराब हुई है। यहां की ऊन थोड़ी सख्त हो गई है। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना ऊन उत्पादन में हमसे बहुत आगे निकल गए हैं। चारा अब नैसर्गिक नहीं रहा। हमें चारे की क्वालिटी में सुधार करना होगा। इसको लेकर राजुवास जल्द ही कोडमदेसर के पास चारे की क्वालिटी को लेकर रिसर्च करेगा। उन्होने कहा कि जीने की क्वालिटी अगर सुधारनी है तो हमें खाने की क्वालिटी में सुधार करना होगा।

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कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि चारे की क्वालिटी में सुधार को लेकर राजुवास और एसकेआरयू दोनों मिलकर कार्य करेंगे। जल्द ही दोनों विश्वविद्यालयों के बीच इसको लेकर एमओयू किया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 70 वर्षीय महिला के हिस्सा लेने को लेकर कुलपति ने कहा कि ये कृषि विश्वविद्यालय के प्रति लोगों का विश्वास ही है कि 70 वर्षीय महिला भी प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहुंची और सात दिन तक प्रशिक्षण लिया। उन्होने सभी प्रतिभागियों से कहा कि वे इंटरप्रेन्योर बने।

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सीएसयूटी कानपुर के कॉलेज ऑफ डेयरी टेक्नोलॉजी के डीन प्रो. वेद प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि प्रतिभागियों ने यहां जो सीखा वे उसे ग्रास रूट तक ले जाएं। वित्त नियंत्रक श्री राजेन्द्र कुमार खत्रा ने कहा कि प्रशिक्षण की बहुत महत्ता होती है। उन्हें खुशी है कि यहां प्रशिक्षणार्थियों ने पूरी शिद्दत से ट्रेनिंग ली। प्रतिभागियों श्रीमती सरोज, बीटेक इंजीनियर श्री संदीप सिहाग और श्री शिवराम सोलंकी ने प्रशिक्षण के अनुभव बताते हुए कहा कि उन्हें भेड़ और बकरी पालन की बेहतरीन ट्रेनिंग मिली है। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों को साफा पहना कर और शॉल ओढ़ाकर की गई।

कार्यक्रम के आयोजक व पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष और छात्र कल्याण निदेशक डॉ निर्मल सिंह दहिया ने बताया कि यह प्रशिक्षण कृषि महाविद्यालय बीकानेर के पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र बीकानेर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया।आगामी फरवरी माह में के प्रथम या द्वितीय सप्ताह में एक और ट्रेनिंग आयोजित की जाएगी। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि बकरी पालन ज्यादा से ज्यादा करें। यह कम खर्चे में संभव है और बकरियों में ज्यादा बीमारी भी नहीं आती। बकरी का दूध इम्यूनिटी बढ़ाने वाला होता है। हरियाणा के करनाल में बकरी का दूध 1600 रुपए लीटर तक बिक चुका है। 50-50 ग्राम के पाउच बनाकर दूध बेचा जा रहा था।

प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ पी.एस.शेखावत ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में प्रशिक्षण सह संयोजक डॉ. शंकर लाल, कृषि विज्ञान केंद्र बीकानेर के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ दुर्गा सिंह, डॉ. कुलदीप सिंघे एवं अन्य वैज्ञानिक उपस्थिति रहे l मंच संचालन डॉ सुशील कुमार ने किया।

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