राजस्थानी कहानीकार-अनुवादक भंवरलाल भ्रमर का अभिनंदन

बीकानेर, 13 मार्च। साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली का सर्वोच्च अनुवाद पुरस्कार बीकानेर निवासी राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार भंवरलाल भ्रमर को घोषित होने पर साझी विरासत की ओर से बुधवार को उनका अभिनंदन किया गया।

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अभिनंदन समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार थे तथा समारोह कि अध्यक्षता कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की। अभिनंदन समारोह के विशिष्ट अतिथि व्यंगकार-सम्पादक डॉ अजय जोशी रहे। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 का राजस्थानी भाषा का अनुवाद पुरस्कार इस सप्ताह नई दिल्ली में भंवरलाल भ्रमर को उनकी अनुवाद पुस्तक सरोकार पर घोषित किया गया है।

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इस अवसर पर मुख्य अतिथि राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि भंवरलाल भ्रमर राजस्थानी कहानी विधा के बेजोड़ रचनाकार है, उन्होंने कहा कि भंवरलाल भ्रमर राजस्थानी कहानी के चितेरे कहानीकार के रूप में पहचान रखते हैं। स्वर्णकार ने कहा कि उनकी पुस्तकों में एक अलग तरीके की पठनीयता रही है।

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समारोह की अध्यक्षता करते हुए कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि भ्रमर जी राजस्थानी की पहली कथा पत्रिका मनवार एवं मरवण के संपादक रहे हैं, उन्होंने लंबे समय तक जागती जोत के विशेषांक अंक का भी संपादन किया है। उन्होंने कहा कि भ्रमर जी को यह पुरस्कार बहुत पहले मिल जाना चाहिए था भ्रमर जी की छपी हुई किताबों में राजस्थानी कहानी संग्रह तगादो, अमूजो कद तांई, सातूं सुख चर्चित संग्रह रहे है। जोशी ने कहा कि विद्वान आलोचक प्रोफेसर अर्जुन देव चारण ने भी अपनी आलोचनात्मक पुस्तक राजस्थानी कहानी परंपरा और विकास में भ्रमर जी की राजस्थानी कहानियों को स्थान दिया था। जोशी ने कहा कि कहानी परंपरा में मुरलीधर व्यास की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले भ्रमर जी मेरे भी प्रारंभिक शिक्षा के गुरु रहे हैं।

इस अवसर पर डॉ अजय जोशी ने कहा की हिंदी में भ्रमर जी का व्यंग्य संग्रह अंतर्कथा अस्थि आयोग की ई चर्चित संग्रह रहा है । जोशी ने कहा कि उन्होंने कथा संग्रह पगडंडी और उपन्यास कनक सुंदर का भी सांगोपांग संपादन किया, जोशी ने कहा कि संपादन कला में भी भ्रमर जी का अग्रणी पंक्ति में नाम लिया जा सकता है। इस अवसर पर अनेक लोगों ने भ्रमर जी के साहित्य पर विचार रखें। इस अवसर पर राजेन्द्र जोशी और राजाराम स्वर्णकार ने उन्हें पुस्तके भेंट की।

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