उत्कृष्ट चिकित्सकीय सेवाओं के मंथन के साथ सीएसआई कॉन्फ्रेंस राजस्थान का हुआ समापन

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बीकानेर , 10 नवंबर । कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के राजस्थान चैप्टर द्वारा बीकानेर में आयोजित दो दिवसीय द्वितीय वार्षिक कांफ्रेंस में कार्डियक बीमारियों से संबंधित करीब 120 विषयों पर संबंधित विशिष्ट चिकित्सकों द्वारा चर्चा हूई । आयोजन समिति सचिव डॉक्टर पिंटू नाहटा ने बताया कि डब्लूएचओ द्वारा 2025 तक हार्ट के मरीजों की संख्या विश्व में सर्वाधिक भारत देश में होने की संभावना जताई है, इसको ध्यान में रखते हुए इस कॉन्फ्रेंस का विशेष आयोजन का विषय कार्डियक बीमारियों की रोकथाम से शुरू होकर उचित एवं नवीन पद्धतियों द्वारा उपचार के साथ नई तकनीकों जिसमें आधुनिक नए कार्डियक उपकरण एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समावेश किया गया जिससे भारत में हार्ट की बीमारियों की संख्या में कमी के साथ उसका उचित उपचार आम जन को उपलब्ध करवाया जा सके।

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विशेषज्ञों ने साझा किया अनुभव

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डॉ. एस.सी. मनचंदा सेवानिवृत प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष एम्स नई दिल्ली ने बताया कि जीवनशैली में बदलाव तम्बाकू सेवन मे रोक एवं नियमित शारीरिक श्रम के साथ योग एवं प्राणायाम का उपयोग हृदय की बीमारियों के रोकथाम में अत्यंत कारगर साबित हूआ, नवीन खोज के पश्चात यह आश्चर्यजनक आंकडे प्राप्त हूए । इन्होने प्रेक्षा ध्यान पद्धती से हार्ट रोगीयों को होने वाले लाभ की जानकारी दी।

पदमभुषण डॉ. तेजस पटेल ने अपने व्याख्यान के दौरान निजी अनुभव को साझा करते हुए बताया हाथ से एंजियोग्राफी और स्टेण्ट लगाने वाले मरीजों में कॉम्प्लीकेशन कम देखने को मिलता है और उन्होने भी योग और प्रणायाम को स्टेण्ट एवं बाईपास मरीजों के इलाज के साथ उपयोग करने के दौरान अधिक फायदो के बारे में बताया।

कार्डियक सर्जन डॉ. अजीत बाना ने बताया की हृदय से जुड़ी बीमारियों में बाईपास सर्जरी के साथ जीवनशैली में बदलाव एवं मधुमेह पर पूर्ण नियंत्रण से रोगी को अधिक लाभ मिलता है। मेदांता अस्पताल नई दिल्ली के डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बिना चीर-फाड के वॉल रिप्लेसमेंट के संबंध में अपने अनुभव साझा किये।

सर गंगाराम अस्पताल नई दिल्ली के चिकित्सक डॉ. आर.आर मंत्री ने एंजियोग्राफी के दौरान प्रयोग में लाने वाली दवाईयों के बारे में प्रकाश डाला। राममनोहर लोहिया नई दिल्ली के चिकित्सक डॉ. रंजीत नाथ ने स्टंट लगाने के नए नए तरीकों की जानकारी दी। जर्मनी से आए डॉ. दीपक जैन ने हार्ट फेल्योर वाले मरीजों में एंजियोप्लास्टी के दौरान उपयोग में आने वाले पंपीग डीवासेज के बारे में प्रकाश डाला। इस कॉन्फ्रेस में मुंबई के डॉ. किर्ती पूनमिया, अहमदाबाद से डॉ. जयेश प्रजापती, डॉ आनंद शुक्ला, चैन्नई से डॉ. जस्टिन पॉल तथा अन्य विशिष्ट हृदय रोग विशेषज्ञों ने अपना उद्बोधन दिया।

व्याख्यान माला में उदयपुर के डॉ. मुकेश शर्मा, जयपुर से डॉ. एम.एम शर्मा. डॉ. जी.एल. शर्मा, डॉ. रवीन्द्र राव, डॉ. जितेन्द्र मुकड़, अजमेर से डॉ. राकेश महला, डॉ. आनंद अग्रवाल, डॉ. आर.के. गोखरू, एम्स जोधपुर से डॉ. देवेन्द्र देवड़ा, डॉ. राहुल चौधरी, डॉ. रोहित माथुर ने अपनी प्रस्तुती दी।इस कॉन्फ्रेंस में राजस्थान यूनिवर्सिटी हेल्थ साइंसेज जयपुर की प्रोफेसर डॉ. रेशु गुप्ता ने मुख्य कॉर्डिनेटर के रूप में कॉन्फ्रेंस को सफल बनाने के समस्त सुक्ष्म बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई साथ ही हार्ट की बीमारियों को मूलभूत शारीरिक फिजियोलॉजी से समन्वित कर उचित उपचार पर प्रकाश डाला।

कांफ्रेंस की साइंटिफिक समिति के इंचार्ज डॉ. दिनेश चौधरी ने प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी, पीडियाट्रिक हार्ट केयर एवं रिदम केयर के साथ समस्त कार्डियक बीमारियों के विषयों की जानकारी प्रदान की। व्याख्यान श्रृंखला के दौरान पीबीएम अस्पताल से डॉक्टर सचिन बांठिया, डॉक्टर यूनुस खिलजी, डॉक्टर नदीम ने अपना प्रस्तुतीकरण दिया।आयोजन समिति के सचिव डॉक्टर देवेंद्र अग्रवाल ने कहा कि वरिष्ठ विषय विशेषज्ञों के व्याख्यान से बीकानेर एवं आस पास जिलों के हृदय रोग का उपचार कर रहे डॉक्टर्स को आधुनिक उपचार पद्धति की नवीन जानकारियां सीखने को मिली जिससे मरीजों को गुणवत्ता पूर्ण उपचार की सुविधा मिलेगी एवं रोग के प्रति जागरूक करने में आसानी होगी। इस कॉन्फ्रेस को सफल बनाने में एसपीएमसी प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. गुंजन सोनी की विशेष भूमिका रही तथा डॉ. सोनी ने आयोजन समिति को सफल आयोजन पर बधाई दी।

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