8 वीं कक्षा के छात्र दीपंकर छाजेड़ ने 8 दिनों का अनशन किया


गंगाशहर , 29 मार्च । दीपंकर छाजेड़ ( 13 वर्षीय ) का 8 की तपस्या करने पर बाफना अकादमी के सीईओ डॉ परमजीत सिंह वोहरा ने कहा की इतनी छोटी सी उम्र में तपस्या करना बहुत बड़ी बात है तथा हिम्मत का परिचय दिया है। उन्होंने इस तपस्या करने पर बाफना अकादमी के 8 वीं कक्षा के विधार्थी दीपंकर छाजेड़ को स्मृति चिन्ह भेंट करके अभिनन्दन किया। डॉ वोहरा के साथ दिनेश शर्मा भी साथ थे। इससे पहले उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी ने बोथरा भवन में प्रवचन के दौरान कहा कि दीपंकर की संकल्प शक्ति मजबूत है। इसके संस्कार अच्छे हैं। तेरापंथ सभा द्वारा संचालित ज्ञानशाला का प्रतिभाशाली छात्र है। उन्होंने उपस्थित जनता से कहा कि दीपंकर से सीख लेवें और अपने बच्चों को संस्कारित बनावें। उन्होंने कहा कि तपस्या जीवन का श्रृंगार है, मानव जन्म का सार है। तपस्या से कर्म निर्जरा व आत्म शुद्धी होती है परन्तु आज के युग में तपस्या करनी बहुत कठिन हो गयी है। दिन में चार पांच बार खाने वाले की तपस्या सुनकर आश्चर्य होता है। दीपंकर छाजेड़ जिसकी अवस्था भी छोटी है और दुबली पतली काया है परन्तु परिवार वालों की प्रेरणा से प्रेरित होकर इसने अठाई तप करके जीवन में इतिहास बना दिया ये विचार बोथरा भवन में विराजित उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी ने व्यक्त किये। मुनि श्री ने फरमाया मूलचन्द भंवरीदेवी छाजेड़ का परिवार मेरे संसार पक्षीय बड़े भाई स्व. इन्द्रचन्दजी कमलादेवी बैद के साढू शाली बहन बहनोई का परिवार है। इस परिवार में सुन्दर बाई ,बिमला बाई, हनुमानमल जी सब तपस्वी नजर आते है। आज पोते की अठाई पर जैन लूणकरण छाजेड़ ने भी तेला किया है. चाची ने बेला किया है, चाचा व दादी ने उपवास किया है। यह तपस्या आडम्बर मुक्त और साधना युक्त होने से सभी के लिए प्रेरणादायी है। आगे भी तपस्या करने वाले आडम्बर से मुक्त रहने का प्रयास करे। मुनि श्री ने अठाई का प्रत्याख्यान कराते हुए दीपंकर के तप अभिनन्दन पर कविता का निर्माण संगान कर सबको उत्साहित किया। सुरेन्द्र कुमार भूरा ने 17 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।



8 वीं कक्षा के छात्र दीपंकर छाजेड़ ने 8 दिनों का अनशन कियाशांतिनिकेतन सेवा केन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री विशद प्रज्ञा ने उपस्थित सभी साध्वियों की तरफ से तपोनुमोदना कहा कि इस उम्र में संस्कारवान बनने से जीवन सफल हो जाता है। उन्होंने कहा कि छाजेड़ परिवार का संघ में व सेवा कार्य में उच्च स्थान है। गंगाशहर में धर्म की गंगा बह रही है। यहां के श्रावकों में सेवा , आस्था , आध्यात्मिकता है। दीपंकर ने इस छोटी सी उम्र में तपस्या करके हिम्मत का परिचय दिया है। साध्वी लब्धि यशा जी ने कहा की आज का युग प्रतियोगिता का युग है खाने , पीने , खेलने , शिक्षा में कॉम्पिटेशन होता है परन्तु तप के क्षेत्र में कॉम्पिटेशन नहीं हो सकता है। दीपंकर ने तप के क्षेत्र में पहला कदम बढ़ाया है। इसके तप की अनुमोदना करते हैं। साध्वीवृन्द ने सामूहिक गीतिका का संगान करके तप की अनुमोदना की।शिवा बस्ती में विराजित साध्वी ललित कला जी की सहवर्ती साध्वियों ने गीतिका का संगान किया। साध्वीश्री ने कहा कि इस सीजन की तपस्या का श्री गणेश दीपंकर छाजेड़ ने किया है। उन्होंने कहा कि भाग्यवान के घर में तपस्या का योग बैठता है। तप से कर्म निर्जरा होती है। कर्म बंधन टूटते हैं। दीपंकर ने छोटी वय में किया कमाल इससे बंधन टूटे हजार। उन्होंने कहा की तपस्वी के साथ तपस्या करने वाले भी साधुवाद के पात्र है। छाजेड़ परिवार की महिलाओं ने शांतिनिकेतन व शिवा बस्ती में साध्वियों के समक्ष दीपंकर की तपानुमोदना में शानदार गीतिकाएं प्रस्तुत करके सब को भावविभोर कर दिया।

