महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के गेस्ट हॉउस में अमित पांडे कौन व क्यों ?

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राजस्थान के राजयपाल से मांग कुलपतियों के भ्र्ष्ट आचरण की गहनता से जांच हो

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बीकानेर , 26 अगस्त।  राष्ट्रीय अपराध जांच ब्यूरो NGO राजस्थान राज्य की संयुक्त निदेशक ने राजस्थान के राजयपाल को पत्र लिखकर राज्य के विश्वविधालयों में बढ़ रहे भ्र्ष्टाचार की जांच करने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविधालय में खुमलाम खुला हो रही लूट की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए शीघ्र जांच की मांग की है।

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उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि राज्यपाल एवं कुलाधिपति महोदय तथा राजस्थान के शिक्षा जगत से जनता को आशा है कि सूरजगढ़ के विधायक श्रवण कुमार व भरतपुर के विधायक सुभाष गर्ग द्वारा विधानसभा में उत्तर प्रदेश से आये राजस्थान में कार्यरत कुलाधिपतियों के विरुद्ध लगाए गए भ्रष्ट आचरण के आरोपों की जांच करवाएंगे ?

पिछले दिनों राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के इन दोनों विधायकों ने आरोप लगाए थे की पूर्व राज्यपाल के आदेशों से राज्य के अधिकांश विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश मूल के कुलपति नियुक्त हुए जो कि विभिन्न विश्वविद्यालयों में अनैतिक कृतियों को बढ़ावा दे रहे हैं। यहां गौरतलब है कि पूर्व राजयपाल उत्तरप्रदेश थे। इस श्रृंखला में उदयपुर, अजमेर, भरतपुर, बीकानेर व सीकर के विश्वविद्यालयों में नियुक्त कुलपतियों पर लगातार कई आरोप लग रहे हैं, जिनकी जांच नव नियुक्त राज्यपाल महोदय को करवानी चाहिए ।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रो मनोज दिक्षित जो लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। वे अपने निवास में एवं विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में बिना किसी एंट्री के उत्तर प्रदेश के गैर सरकारी कर्मचारी लोगों को शरण दे रहे हैं। जिनमें से एक नाम उजागर हुआ है अमित पांडे जो अपने आप को तथाकथित ओएसडी बताते हैं परंतु विश्वविद्यालय में ओएसडी का पद ना तो स्वीकृत है और न ही नियुक्त है।

निजी महाविद्यालयों के मालिको एवं निविदा ठेकेदारों से अवैध वसूली

सूत्रों के अनुसार कुलपति मनोज दीक्षित एवं अमित पांडे कुलपति निवास पर एवं विश्वविद्यालय गेस्ट हाउस पर निजी महाविद्यालयों के मालिको एवं निविदा ठेकेदारों से मुलाकात कर अवैध वसूली करने का कृत्य कर रहे हैं। प्राप्त सुचना अनुसार विश्वविद्यालय के कार्यालय में पर्याप्त कार्यालय कक्ष होने के उपरांत भी गेस्ट हाउस में निजी महाविद्यालय के मालिकों को दस्तावेज सत्यापन के नाम पर अवैध वसूली के लिए बुलाया जा रहा है, जिसमें मुख्य भूमिका इसी अमित पांडे की ही है तथा इन्होंने अपने साथ एजेंट के रूप में कुछ एक निजी महाविद्यालय के मालिक सतपाल स्वामी
है। कुछ सेवा नियुक्त कार्मिकों तथा कुछ एक चापलूस प्रकार के शिक्षकों को साथ रख रखा है और दस्तावेजों के सत्यापन के नाम पर वसूली की जा रही है।

अनापत्ति प्रमाण पत्र भेजने के उपरांत भी वसूली

पीटीईटी कोऑर्डिनेटर को अनापत्ति प्रमाण पत्र भेजने के उपरांत भी वसूली से वंचित रहे लगभग 90 महाविद्यालयों के मालिकों को पुनः बुलाया जा रहा है चूंकि महाविद्यालय भी सरकार एवं विश्वविद्यालय के नियमानुसार नोर्मस को पूरा नहीं करते इसलिए अधिकांश महाविद्यालय के मालिक भी अपनी सहमति से वसूली अभियान में भुगतान कर रहे हैं ताकि बिना नॉर्म्स को पूरा किये कम खर्च पर ही महाविद्यालय आसानी से संचालित हो सके। क्या महाविद्यालय नोर्म्स की पालन कर रहें है ? यह भी गहन जांच का विषय है। इसके चलते राजस्थान में शिक्षा केस्तर घटता जा रहा है।

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के गेस्ट हॉउस में अमित पांडे कौन व क्यों ?

विश्वविद्यालय में अवैध रूप से रह रहे अमित पांडे विश्वविद्यालय के लाखों करोड़ों रूपयों के टेंडर तथा गोपनीय फाइलों का विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को डरा धमका कर अवलोकन कर कुलपति महोदय को अनैतिक कृत्य करने के सुझाव प्रस्तुत कर रहे हैं। जैसे हाल ही में हुए दीक्षांत समारोह 2021 की उपाधियां भी खुली निविदा के स्थान पर गोपनीय निविदा कर छपाई गई जबकि वर्ष 2004 से 2020 तक की उपाधियां आरबीआई से अनुमोदित फॉर्म से खुली निविदा से छपाई गई ।

विश्वविद्यालय के प्रश्न पत्रों के मुद्रण के समान उपाधियां भी गोपनीय टेंडर से छपवाना संदेह पैदा करता है। संपूर्ण राजस्थान के विश्वविद्यालयों द्वारा गोपनीय टेंडर कर प्रश्न पत्र मुद्रित करवाना पहले से ही अधिक खर्चीला है। चर्चा यह भी हो रही है कि विश्वविद्यालय के कुलपति मनोज दीक्षित, वित्त नियंत्रक अरविंद बिश्नोई एवं अवैध रूप से विश्वविद्यालय में रह रहे तथाकथित ओएसडी अमित पांडे ने मिली भगत कर 20 सालों से राष्ट्रीयकृत बैंक पंजाब नेशनल बैंक में जमा विश्वविद्यालय के अरबो रूपयों के फंड को निजी बैंक एचडीएफसी बैंक व ए यू फाइनेंस में स्थानांतरित करने की कार्रवाई की थी। जबकी विश्वविद्यालय फण्ड को केवल नेशनल बैंक में ही रखा जा सकता है।

निजी बैंकों से मिली भगत

राज्य सरकार और प्रबंध मण्डल की स्वीकृति के बिना गरीब विद्यार्थियों के शुल्क व कर्मचारियों के पसीने की कमाई को निजी बैंकों से मिली भगत कर उनमें जमा करवाने के कृतियों का स्थानीय जनप्रतिनिधियों व विश्वविद्यालय के कार्मिकों ने विरोध दर्ज किया। तथाकथित ओएसडी अमित पांडे ने विश्वविद्यालय को चारागाह समझ रखा हैं।

महाराष्ट्र से आये राजस्थान के नव नियुक्त राज्यपाल महोदय से राजस्थान की जनता की यह आशा है कि वे जल्द से जल्द विधायक श्रवण कुमार व सुभाष गर्ग की मांग पर राज्य के विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्ति और उनके द्वारा विश्वविद्यालय में किए जा रहे अवैध कृतियों की जांच करवाएंगे ।

बहरहाल देखना यह है कि क्या प्रदेश की भाजपा सरकार व महाराष्ट्रा से आये नवनियुक्त राज्यपाल राजस्थान के विश्वविधालयों में चल रहे भ्र्ष्टाचार के खुलमखुला खेल व लूंट को रोक पाएंगे  ?

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