केंद्रीय गृहमंत्री को ज्ञापन देकर यातायात पुलिस द्वारा वाहन जब्त पद्धति एवं जुर्माना वसूली में सुधार करने की मांग
बीकानेर , 9 मार्च। बीकानेर के एडवोकेट गगन कुमार सेठिया ने देश के गृह मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि यह सर्वविदित है कि देश के सभी राज्यों के सभी जिलों में जब भी कही नॉन पार्किंग क्षेत्र में कोई भी वाहन पार्क किया हुआ मिलता है तो यातायात या अन्य सम्बंधित पुलिस थाना की सम्बंधित टीम द्वारा उक्त वाहन को जब्त कर ट्रक में डालकर या क्रेन से टोह करके सम्बंधित पुलिस थाना में ले जाकर खड़ा कर दिया जाता है।
जबकि वर्तमान में पुलिस विभाग के पास अन्य विधिक उपचार उपलब्ध है। पुलिस विभाग चाहे तो नॉन पार्किंग क्षेत्र में पार्क किये हुवे वाहनों के नंबर प्लेट के फोटोग्राफ लेकर नॉन पार्किंग क्षेत्र में वाहन पार्क करने के लिए नियमानुसार पेनल्टी का चालान वाहन मालिक को टेक्स्ट मैसेज के जरिये ऑनलाइन भेजने हेतु अपने सम्बंधित कर्मचारियों और अधिकारियो को इस बाबत निर्देशित कर सकता है और कई दफा भेजे जाते भी हैं।
यदि ऐसा विधिक उपचार उपलब्ध नहीं भी होता तो भी पुलिस विभाग द्वारा वाहन को जब्त करना सुसंगत नहीं माना जा सकता, ऐसी स्थिति में भी पुलिस विभाग को पहले जिस जगह वाहन पार्क किया हुआ है, वहीं पर उसका चालान काट कर वाहन मालिक से पेनल्टी वसूलनी चाहिए। यदि वाहन मालिक उसी समय किसी कारण से पेनल्टी भरने में सक्षम नहीं है तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस या वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जब्त कर उसे रसीद दी जाये ताकि वह सम्बंधित पुलिस थाना में उपस्थित होकर पेनल्टी जमा करवाकर अपने दस्तावेजात प्राप्त कर ले। उसके बाद कोई ऐसी स्थिति बनती है कि यदि वाहन मालिक की जानकारी नहीं हो पायी है या वाहन मालिक के पास दस्तावेजात नहीं है तो उक्त वाहन जब्त कर उसे रसीद दी जाये।
ऐसी स्थिति में कई बार पुलिस विभाग द्वारा वाहन जब्त कर ले जाया जाता है, परन्तु जब वाहन मालिक वापस उस जगह पहुँचता है। जहां उसने अपना वाहन पार्क किया था और उसे अपना वाहन वहां मौजूद नहीं मिलता। ऐसे में उसे कैसे ज्ञात हो कि उसका वाहन पुलिस विभाग द्वारा जब्त कर लिया गया है या किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा चोरी कर लिया गया है। ऐसी स्थिति में वाहन जब्त करने पर भी वाहन मालिक को तत्काल जरिये मैसेज सूचित किया जाना नितांत आवश्यक है।
परन्तु अधिकतर समय जब भी नॉन पार्किंग क्षेत्र में कोई भी वाहन पार्क किया हुआ मिलता है तो यातायात या अन्य सम्बंधित पुलिस थाना की सम्बंधित टीम द्वारा उक्त वाहन को जब्त कर ट्रक में डालकर या क्रेन से टोह करके सम्बंधित थाने में ले जाकर खड़ा कर दिया जाता है। और इसकी सूचना वाहन मालिक को नहीं दी जाती है। जिससे वाहन मालिक को भरसक प्रताडना होती है। और नॉन पार्किंग क्षेत्र में वाहन पार्क कर देना इतना बडा अपराध नही है जिसके लिये किसी व्यक्ति को इतना प्रताडित किया जाये। इसके लिये पैनल्टी लगाया जाना काफी है।
इस पूरी वाहन जब्ती की कार्यवाही के लिए पुलिस विभाग के पास प्रत्येक जिले में स्वयं के कुछ ट्रक है, तथा प्रत्येक जिले में कुछ ट्रक तथा टोइंग क्रेन अनुबंध पर या किराये पर लिये गये है जिनको संचालित करने वाले प्राइवेट कर्मचारियों को भी मासिक भत्ता भी दिया जाता है और यह सब सरकारी कोष से ही दिया जाता है जो कि सरकारी धन का अपव्यय है। जिसकी व्यय की गणना पूरे देष के हिसाब से की जाये तो अरबों में होगी।
जब बिना वाहन जब्त किये भी वाहन मालिक को चालान भेजा जा सकता है तो पुलिस विभाग की यह करवाई जिससे वाहन मालिक भरसक मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक परेशानी हो रही है, यह न्यायोचित नहीं है व भ्रष्टाचार को पनपाने वाली व्यवस्था है।
ऐसे जब्त किये गए वाहनों को वाहन मालिक को माननीय न्यायालय के जरिये सुपुर्दगीनामा के मार्फत वापस सुपुर्द किया जाता है। जिस सुपुर्दगी की प्रक्रिया में दो से तीन दिन तक लग जाते है, जिससे माननीय न्यायपालिका पर अतिरिक्त कार्य भार बढ़ता है व वाहन मालिक को भरसक मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक परेशानी होती है।
इस विषय पर मानवीय दृष्टिकोण रखते हुवे यह भी गंभीरता से विचार किया जाना नितांत आवश्यक है कि जिस समय किसी व्यक्ति का वाहन नॉन पार्किंग क्षेत्र से जब्त किया जाता है, जबकि उस व्यक्ति को कोई ऐसी तात्कालिकता (अर्जेन्सी) हो जो कि अस्पताल से, दवाई लाने ले जाने से, ब्लड बैंक से खून ले जाने से, किसी शैक्षणिक या नौकरी से सम्बंधित परीक्षा में उपस्थित होने से, किसी रेल, बस या फ्लाइट तक पहुंचने से, सम्बंधित हो तो ऐसे में उस व्यक्ति के साथ कितना भरसक मानसिक, शारीरिक और आर्थिक उत्पीड़न होता है, जिसमें कई बार अपूरणीय क्षति भी हो जाती है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
एडवोकेट गगन सेठिया ने उपरोक्त वर्णित समस्या का निराकरण करने हेतु सम्पूर्ण देश के पुलिस विभाग को उचित दिशा निर्देश प्रदान करने की मांग की है।