शेयर बाजार में तबाही के बावजूद 10% तक चढ़े इन कंपनियों के शेयर, देखें लिस्ट

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quicjZaps 15 sept 2025
  • ट्रंप के टैरिफ से वॉल स्ट्रीट में ‘भूकंप’, कोरियन 5% तो जापानी शेयर 8% गिरावट, इंडियन मार्केट पर ब्लैक मंडे का खौफ
  • 1987 में, 19 अक्टूबर के दिन Dow Jones में एक ही दिन में 22.6 फीसदी की गिरावट आई थी, जो अब तक का सबसे बड़ा वन-डे क्रैश माना जाता है.

मुम्बई , 7 अप्रैल। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिख रहा है। सोमवार को घरेलू शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ खुले। सेंसेक्स-निफ्टी दोनों इंडेक्स में करीब 5% की गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों में दहशत का माहौल बन गया।…

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बिजनेस डेस्क के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिख रहा है। सोमवार को घरेलू शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ खुले। सेंसेक्स-निफ्टी दोनों इंडेक्स में करीब 5% की गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों में दहशत का माहौल बन गया। गिरते बाजार में ऐसे शेयर भी हैं जिसमें 10 फीसदी की तेजी आई है।

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2678 में से 98 कंपनियों के शेयर हरे निशान में कर रहे कारोबार
एनएसई के डेटा के अनुसार, सोमवार सुबह 10.03 बजे कुल 2,678 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हो रहा था। इनमें से 2,543 कंपनियों के शेयर लाल निशान में ट्रेड कर रहे थे, जबकि 37 कंपनियों में कोई बदलाव नहीं देखा गया। इस भारी बिकवाली के बीच, 98 कंपनियों के शेयरों ने हरे निशान में कारोबार करते हुए सकारात्मक रुख बनाए रखा।

इन कंपनियों में वेस्टर्न इंडिया प्लाईवुड्स का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा, जिसके शेयरों में 9.92% की उछाल दर्ज की गई और यह 187.54 रुपए के स्तर पर पहुंच गया। सीमेंस लिमिटेड के शेयरों में 8.90% की बढ़त देखी गई, जबकि अक्श ऑप्टीफाइबर लिमिटेड ने 4.40% की तेजी के साथ 9.96 रुपए के स्तर पर कारोबार किया। इसके अलावा क्यूपिड के शेयरों में भी 2.12% की मजबूती देखने को मिली और यह 60.12 रुपए तक पहुंच गया।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ का अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर काफी बुरा असर देखने को मिल रहा है. एशियाई शेयर बाजारों पर सोमवार को भारी गिरावट का दौर देखने को मिला, जहां जापान के निक्केई में मार्केट ओपन होते ही 225 प्वाइंट्स की गिरावट हुई.

जबकि, ऑस्ट्रेलिया के S&P 200 में 6.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 7184.70 तो वहीं दक्षिण कोरिया के कोस्पी में 5.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2328.52 पर रहा. इससे पहले, अमेरिकी नैस्डैक में शुक्रवार को करीब 7 फीसदी की गिरावट पर बाजार बंद हुआ था. हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये गिरावट तो कुछ भी नहीं है, अगर स्थिति नहीं संभली तो अमेरिकी मार्केट का हाल ऐसा हो सकता है, जैसा 1987 में हुआ था.

ब्लैक मंडे का अंदेशा

हांलाकि, अमेरिकी टीवी पर्सनालिटी और मार्केट एक्सपर्ट जिम क्रेमर ने स्टॉक मार्केट को लेकर काफाी डरावना अंदेशा जताया है. उन्होंने कहा कि सोमवार, 7 अप्रैल, 1987 की तरह शेयर बाजार के लिए सबसे बुरा दिन साबित हो सकता है! सीएनबीसी पर अपने शो Mad Money में क्रेमर ने साफ चेतावनी दी कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन देशों से संपर्क नहीं किया जिन्होंने जवाबी टैरिफ नहीं लगाए हैं, तो यह 1987 जैसा क्रैश हो सकता है.

उन्होंने आगे कहा कि अगर राष्ट्रपति ऐसे देशों और कंपनियों को प्रोत्साहित नहीं करते जो नियमों का पालन कर रहे हैं, तो हमें 1987 जैसा नज़ारा देखने को मिल सकता है. आपको बता दें, 2 अप्रैल को ट्रंप ने सभी देशों पर 10 फीसदी बेसलाइन टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. इसके बाद अमेरिका का बाजार बुरी तरह लुढ़क गया. Dow Jones, NASDAQ और S&P 500. तीनों इंडेक्सों में भारी गिरावट देखने को मिली. Dow Jones जहां, 2200 से ज़्यादा पॉइंट्स लुढ़का और 5.50 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ. वहीं, Nasdaq 900 पॉइंट्स गिरा और 5.82 फीसदी नीचे बंद हुआ. जबकि S&P 500 ने 5.97 फीसदी की बड़ी गिरावट झेली.

क्या था ब्लैक मंडे?

ये संकट सिर्फ अमेरिका तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि यूरोप, एशिया और भारत के बाजार भी इस गिरावट की चपेट में आ गए. निवेशकों के अरबों डॉलर मिट्टी में मिल गए. Jim Cramer ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी कहा कि वो 1987 की तरह हालात नहीं चाहते, लेकिन वो उस दौर से गुज़रे हैं और उन्हें याद है कैसे ‘ब्लैक मंडे’ से पहले भी बाजार में गिरावट के ऐसे ही संकेत थे. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इस बार एक पॉजिटिव फैक्टर ये है कि अमेरिका का जॉब डेटा मजबूत है, जिससे यह जरूरी नहीं कि गिरावट सीधे मंदी में तब्दील हो.

1987 में, 19 अक्टूबर के दिन Dow Jones में एक ही दिन में 22.6 फीसदी की गिरावट आई थी, जो अब तक का सबसे बड़ा वन-डे क्रैश माना जाता है. उस वक्त इस घटना ने अमेरिका को झकझोर कर रख दिया था और बाद में कई आर्थिक नीतियों में बदलाव लाया गया.

भीखाराम चान्दमल 15 अक्टूबर 2025
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