डॉक्टर बोले-भविष्य में पक्षियों के जरिए फैल सकता है वायरस
- सरकार इसके लिए तैयारियों में जुटी, SMS में बर्ड फ्लू के खतरे की जानकारी दी
जयपुर , 24 दिसम्बर। राजस्थान समेत दूसरे राज्यों में बर्ड फ्लू के खतरों को देखते हुए आज एसएमएस में वर्कशॉप का आयोजन हुआ। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशन में एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अकेडमिक ब्लॉक में इसका आयोजन हुआ। इसमें विभिन्न राज्यों के अलग-अलग विभागों से आए लोगों को बर्ड फ्लू के खतरें और उसके कंट्रोल करने के तरीके के बारे में जानकारी दी। इस दौरान डॉक्टर्स ने बताया- एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि भविष्य में जूनोटिक डिजिट का अटैक हो सकता है। इसके तहत पक्षियों के जरिए संक्रमण फैलाया जा सकता है।
नेशनल वन हेल्थ प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ जूनोसेस (एनओएचपीपीसीजेड) के तहत जूनोटिक डिजिट (जानवरों से इंसान में फैलने वाले संक्रमण) को कंट्रोल करने के लिए देशभर में प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। इसी के तहत ये वर्कशॉप आयोजित की गई। एनओएचपीपीसीजेड क्षेत्रिय कॉर्डिनेटर और एसएमएस मेडिकल कॉलेज की सीनियर प्रोफेसर (माइक्रो बायोलोजी) डॉ. भारती मल्होत्रा ने बताया- इस वर्कशॉप में हमने दो सेशन में विशेषज्ञों के जरिए इन्फ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) संक्रमित मरे पक्षियों के सैंपल कलेक्शन, उनके बॉर्ड डिस्पोजल करने और उस सैंपल की जांच की ट्रेनिंग दी गई।
उन्होंने बताया- आज हमने राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, दादर एवं नागर हवेली और दमन-द्वीप से आए अलग-अलग विभाग (वाइल्ड लाइफ, पशु चिकित्सक, मेडिकल हेल्थ डिपार्टमेंट) के लोगों को ये ट्रेनिंग दी गई। इस मौके पर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. दीपक माहेश्वरी, एनसीडीसी की संयुक्त निदेशक डॉ. सिम्मी तिवारी, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. प्रवीण असवाल, डॉ. रूचि जैन, गुजरात राज्य से डॉ. कमलेश उपाध्याय, निषाद भोपाल से डॉ. चक्रधर तोष सहित अन्य लोगों ने अपने सेशन के जरिए इस इंफ्लुएंजा और उसके खतरे और बचाव के बारे में जानकारी दी।
भविष्य में जूनोटिक डिजिट से सबसे बड़े अटैक का खतरा
डॉक्टर भारती मल्होत्रा ने बताया- जिस तरह 2020 में कोविड पेंडेमिक आई थी। उसे एक दुनिया में एक तरह का बायोलोजिक अटैक कहा जाने लगा था। अब एक्सपर्ट्स मान रहे है कि भविष्य में जूनोटिक डिजिट का अटैक हो सकता है। इसके तहत पक्षियों के जरिए संक्रमण फैलाया जा सकता है। ऐसे में इसे हम इसे कैसे कंट्रोल करेंगे। इसके लिए अभी से सरकार तैयारियां कर रही है। उसी के तहत एनओएचपीपीसीजेड का ये प्रोग्राम चलाया जा रहा है।
फलोदी में मृत कुरजां पक्षी में मिले थे वायरस
बता दें कि फलोदी जिले के खीचन इलाके में पिछले दिनों मृत मिले डेमोसाइल क्रेन (कुरजां) की विसरा जांच में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी। विसरा के सैंपल 19 दिसंबर को भोपाल(मप्र) की हाई सिक्योरिटी एनीमल डिजीज लैब में भेजे गए थे। 21 दिसंबर की शाम 6 बजे आई रिपोर्ट में बर्फ फ्लू की पुष्टि की गई थी।
2021 में बड़े स्तर पर हुआ था पक्षियों में संक्रमण
इससे पहले साल 2021 में राजस्थान में पक्षियों में बड़े स्तर पर संक्रमण फैला था। उस समय हजारों की संख्या में कौवे, तोते, मोर, चिड़िया आदि में इन्फ्लुएंजा के केस सामने आए थे। हाल ही में जोधपुर के पास फलौदी में दो कुरजां पक्षियों में इन्फ्लुएंजा डिटेक्ट हुआ है। डॉ. मल्होत्रा ने बताया- कि पक्षियों से ये संक्रमण दूसरे जानवरों से होते हुए इंसानों में भी फैलने की आशंका ज्यादा रहती है। ऐसे में इंसानों में ये बीमारी फैले उससे पहले इसे कैसे कंट्रोल किया जाए, इस पर ये पूरा प्रोग्राम और ट्रेनिंग केन्द्रीत है।