श्री तुळजाभवानी मंदिर में लगभग 8.5 करोड के दानपेटी घोटाला मामला

मुम्बई , 12 मई। श्री तुळजाभवानी मंदिर में 8 करोड 45 लाख 97 हजार रुपये का दान पेटी घोटाला हुआ है । मुंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने घोटाले की जांच बंद करने के प्रशासन के फैसले को रद्द कर दिया है और टिप्पणी की है कि सरकारी अधिकारी इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं और प्रशासन उन्हें बचाने की कोशिश कर रहा है।

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मां तुळजाभवानी की कृपा से पिछले 9 वर्षों से अदालती लडाई लडने वाली हिन्दू जनजागृति समिति और हिन्दू विधिज्ञ परिषद के प्रयासों को सफलता मिली है और इस निर्णय से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गोवा, तेलंगना सहित देश भर के करोडो देवीभक्तों को आनंद और सांत्वना प्राप्त हुई है । हिन्दू जनजागृति समिति ने कहा है कि हम इस मामले को तब तक चलाएंगे जब तक सरकारी धन लूटने वाले भ्रष्ट लोगों को सजा नहीं मिल जाती ।

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वर्ष 1991 से 2009 की कालावधि में दानपेटी नीलामी में करोडों रुपए के भ्रष्टाचार के बाद विधानमंडल में चर्चा हुई थी । वर्ष 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के निर्देशानुसार इस घोटाले की जांच राज्य अपराध जांच विभाग द्वारा शुरू की गयी थी; लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की संलिप्तता के कारण ५ वर्ष बाद भी जांच आगे नहीं बढ रही थी । इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति ने हिन्दू विधिज्ञ परिषद की सहायता से वर्ष 2015 में उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की । अंततः न्यायालय के आदेशानुसार वर्ष 2017 में जांच रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपी गयी; हालांकि, पांच साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर समिति ने वर्ष 2022 में दोबारा याचिका दायर की ।

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उच्च न्यायलय ने सरकार से पूछा कि ‘पांच साल बाद भी दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई ?’ तब यह बात सामने आई कि सरकार ने यह कहकर जांच बंद कर दी कि मामला पुराना है । सुप्रीम कोर्ट के ‘ललिताकुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार, 2014 (2 ) एससीसी नंबर 1 मामले में ‘संज्ञेय अपराध होने पर आपराधिक मामला दर्ज करने’ का आदेश दिया गया है ।

अदालत ने बताया कि इसका उद्देश्य सार्वजनिक जवाबदेही, सतर्कता और भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए आवश्यक है। शंकर केंगर कमेटी के मुताबिक 8. 45 करोड रुपए की लूट होने पर कोर्ट ने दोषियों के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज करना उचित बताते हुए जांच जारी रखने का आदेश दिया है । वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव देशपांडे, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक सदस्य अधिवक्ता (पू.) सुरेश कुलकर्णी और अधिवक्ता उमेश भडगवनकर ने न्यायमूर्ति मंगेश पाटील और न्यायमूर्ति शैलेश ब्रह्मे की पीठ के समक्ष समिति की ओर से पैरवी की ।

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