बुआ – भतीजी में विवाद के चलते बीकानेर राजघराने के शाही ट्रस्ट के खाते पर हाईकोर्ट की रोक
- बैंक से हर महीने 50 हजार रुपए ही निकाल सकेंगे; संपत्ति को भी नहीं बेच सकेंगे
जोधपुर \ बीकानेर , 26 अगस्त। बीकानेर के पूर्व राजपरिवार का विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। हाईकोर्ट ने करणी चैरिटेबल फंड ट्रस्ट के बैंक खाते पर रोक लगा दी है। अब ट्रस्ट की दैनिक जरूरतों के लिए खाते से हर महीने 50 हजार रुपए ही निकाल जा सकेंगे। हाईकोर्ट ने ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।
साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि नए ट्रस्टी अपील का फैसला होने तक ट्रस्ट की संपत्ति को खुर्द-बुर्द (बेच) नहीं कर सकेंगे। न ही किसी अन्य का अधिकार सृजित कर सकेंगे।
सिद्धि कुमारी अध्यक्ष बनीं, 4 ट्रस्टियों को बदला
दरअसल, बीकानेर के पूर्व राजपरिवार के ट्रस्ट करणी चैरिटेबल फंड ट्रस्ट में बीकानेर पूर्व की विधायक सिद्धि कुमारी के अलावा उनकी दो बुआ राज्यश्री कुमारी और मधुलिका कुमारी ट्रस्टी के रूप में थीं। इसके अलावा राजपरिवार से जुड़े हनुवंत सिंह अध्यक्ष थे। नवंबर 2023 में सिद्धि कुमारी स्वयं इस ट्रस्ट में अध्यक्ष बन गई थीं और चार ट्रस्टियों को बदल दिया था। इसके बाद ट्रस्ट के तत्कालीन अध्यक्ष हनुवंत सिंह ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
गलत तरीके से तत्कालीन अध्यक्ष को हटाने का आरोप
ट्रस्ट के तत्कालीन अध्यक्ष हनुवंत सिंह का आरोप है कि सिद्धि कुमारी ने नवंबर 2023 को उन्हें गलत तरीके से पद से हटाकर खुद को अध्यक्ष घोषित कर दिया। साथ ही मदन सिंह, संजय शर्मा, मनीष कुमार शर्मा और धीरज भोजक को ट्रस्टी बना दिया। इससे संबंधित फॉर्म को देवस्थान विभाग में जमा करवाया गया था। देवस्थान विभाग ने हनुवंत सिंह की आपत्ति को अस्वीकार कर दिया और सिद्धि कुमारी के निर्णय को सही ठहराया था। इसके बाद हनुवंत सिंह ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
30 सितंबर तक मामले का निस्तारण करने का आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए करणी चैरिटेबल फंड ट्रस्ट की दैनिक जरूरतों के लिए बैंक खातों से महीनेभर में सिर्फ 50 हजार रुपए निकालने की छूट दी है। ट्रस्टी इससे ज्यादा राशि नहीं निकाल सकेंगे। हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार नए ट्रस्टी अपील का निर्णय होने तक ट्रस्ट की संपत्ति को खुर्द-बुर्द नहीं कर सकेंगे। न ही किसी अन्य का अधिकार सृजित कर सकेंगे। साथ ही कोर्ट ने देवस्थान विभाग को 30 सितंबर तक मामले का निस्तारण करने का आदेश दिया है।
देवस्थान विभाग की भूमिका पर उठाए सवाल
जो मामला हाईकोर्ट में पहुंचा है, उसमें देवस्थान विभाग की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। याचिका में बताया गया कि अक्टूबर 2023 में ट्रस्टियों ने मिलकर सिद्धि कुमारी को ट्रस्ट की सदस्यता से हटा दिया था। इसके लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया। सिद्धि कुमारी पर ट्रस्ट विरोधी गतिविधियां करने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद नवंबर 2023 में सिद्धि कुमारी करणी चैरिटेबल फंड ट्रस्ट की अध्यक्ष बन गईं। सिद्धि कुमारी ने नई कार्यकारिणी में बुआ राज्यश्री और मधुलिका कुमारी के साथ ही हनुवंत सिंह को भी हटा दिया।
याचिका में कहा गया कि जो परिवर्तन अक्टूबर 2023 में किए गए थे, उस पर देवस्थान विभाग ने कोई निर्णय नहीं किया, लेकिन नवंबर 2023 में सिद्धि कुमारी ने जो कागजात पेश किए, उसके आधार पर आदेश जारी कर दिया। कुछ सूचनाओं के लिए देवस्थान विभाग में सूचना के अधिकार कानून (RTI) के तहत आवेदन किए गए, लेकिन वहां भी टालमटोल हो रही है।
सिद्धि कुमारी बोलीं- अभी कुछ नहीं कहूंगी
मामले को लेकर मीडिया ने जब बीकानेर पूर्व से विधायक सिद्धि कुमारी से बात की तो उन्होंने कहा कि वह अभी कहीं बैठी हैं और इस मुद्दे पर कोई बात नहीं कर सकती हैं। वहीं राज्यश्री कुमारी की ओर से भी कोई अधिकृत बयान नहीं आया है। राज्यश्री कुमारी इन दिनों बीकानेर में नहीं है।
ट्रस्ट के अधीन अरबों रुपए की संपत्ति
करणी चैरिटेबल फंड ट्रस्ट के अधीन अरबों रुपए की संपत्ति है। शूटिंग रेंज की वो जमीन भी शामिल है, जो लालगढ़ पैलेस के ठीक पास में है। इस जमीन पर कभी ओलिंपियन पूर्व महाराजा करणी सिंह और उनकी बेटी ओलिंपियन राज्यश्री कुमारी शूटिंग करते थे।