ईडी का बुलाना और केजरीवाल का नहीं जाना, इसका अंत कहां व कैसे होगा ?
ED V/S KEJARIWAL वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ का प्रावधान नहीं- ED का अरविंद केजरीवाल को जवाब
नयी दिल्ली , 4 मार्च। दिल्ली में कथित शराब घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने जांच में शामिल होने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चार मार्च को फिर से बुलाया .परन्तु केजरीवाल ने ईडी के समक्ष पेश होने के बजाय लिखित जवाब दिए हैं.. ये ईडी का केजरीवाल को आठवां समन है. केजरीवाल अभी तक ईडी की जांच में शामिल नहीं हुए हैं. केजरीवाल ने ईडी के समक्ष पेश होने के बजाय लिखित जवाब दिए हैं. जरीवाल अब तक सात समन को नज़रअंदाज़ कर चुके हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अरविंद केजरीवाल ने ईडी से कहा है कि वह 12 मार्च के बाद वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए पूछताछ में शामिल हो सकते हैं।
वहीं ED वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिल्ली के सीएम से पूछताछ को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ का प्रावधान नहीं है. ईडी इस मामले में अरविंद केजरीवाल से फिजिकली पूछताछ करना चाहती है. सूत्रों के मुताबिक- अरविंद केजरीवाल को आठवें समन का जवाब ईडी आज ही देगी.
सुप्रीम कोर्ट में भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई होती है – सौरभ भारद्वाज
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हमारा स्टैंड वही है, समन गैर कानूनी है. बीजेपी वाले बहुत दिन से कह रहे थे कि अरविंद केजरीवाल सवालों के जवाब क्यों नहीं दे रहे. अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया कि उनको सवालों के जवाब देने में कोई दिक्कत नहीं है इसलिए ईडी को ये जवाब भेजा. पहले लिखित में सवालों के जवाब देने की बात कही तो अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की बात कही. अगर ED को इसमें भी दिक्कत है तो इसका मतलब ईडी या तो अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करना चाहती है या उनको अपमानित करना चाहती है. सुप्रीम कोर्ट में भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई होती है तो क्या ED सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ी हो गई? बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने ईडी के आठवें समन के जवाब में ये भी कहा कि हालांकि ये समन गैर कानूनी है, फिर भी वे जवाब देने को तैयार हैं.
कोर्ट ने 16 मार्च को अरविंद केजरीवाल को पेश होने को कहा है…
प्रवर्तन निदेशालय ने इससे पहले भी केजरीवाल को कई समन जारी किए थे, लेकिन उन्होंने इन समन को अवैध बताया था और वह केंद्रीय एजेंसी के समक्ष पेश नहीं हुए थे. उन्होंने एजेंसी से कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय को समन जारी करने से पहले इस मामले में अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए. केजरीवाल को 16 मार्च को शहर की एक अदालत के सामने भी पेश होना है। अदालत ने समन को नजरअंदाज करने को लेकर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर एक शिकायत के मामले में केजरीवाल से व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है.
प्रीवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के सेक्शन 50 क्लाज़ तीन के तहत प्रवर्तन निदेशालय के पास जांच के दौरान किसी भी व्यक्ति को समन करने का अधिकार है.इस प्रावधान के तहत ‘समन पर बुलाये गए व्यक्ति के लिए स्वयं या अपने एजेंट के ज़रिए’ जांच में शामिल होना और संबंधित विषय पर बयान देना और मांगे गए दस्तावेज़ उपलब्ध करवाना अनिवार्य होता है.
इस क़ानून के तहत दिए गए बयानों को अदालत के समक्ष शपथपत्र माना जाता है.
अरविंद केजरीवाल को जब सातवीं बार समन किया गया था और 26 फ़रवरी को ईडी के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया था, तब उन्होंने जांच में शामिल होने से इनकार कर दिया था. आम आदमी पार्टी की तरफ़ से कहा गया था कि प्रवर्तन निदेशालय को समन जारी करने के बजाय अदालत के फ़ैसले का इंतज़ार करना चाहिए. अरविंद केजरीवाल ने ईडी की तरफ़ से जारी सभी समन को अवैध क़रार दिया है. केजरीवाल ने ईडी को पत्र लिखकर इन समन को ख़ारिज करने के लिए भी कहा है. सातवें समन के बाद आम आदमी पार्टी ने बयान जारी करके कहा था कि मुख्यमंत्री ईडी के समक्ष पेश नहीं होंगे.
दिल्ली की एक अदालत के ईडी के समन की वैधता को लेकर चल रहे मुक़दमे में अब 16 मार्च को सुनवाई करनी है.
ईडी ने ही अदालत में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समन को ‘जानबूझकर नज़रअंदाज़’ करने को लेकर याचिका दायर की है. आम आदमी पार्टी ने कहा था कि ईडी को समन भेजने के बजाय अदालत का फ़ैसला आने का इंतज़ार करना चाहिए. ईडी के समन पर अरविंद केजरीवाल कह चुके हैं कि एजेंसी ने अभी तक उन्हें ये जानकारी नहीं दी है कि उन्हें एक अभियुक्त के रूप में बुलाया जा रहा है, चश्मदीद के रुप में बुलाया जा रहा है या फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री या आम आदमी पार्टी के प्रमुख की हैसियत से बुलाया जा रहा है.
समन पर हाज़िर ना हों तो क्या हो सकते हैं गिरफ़्तार?
ये सवाल उठ रहा है कि अगर केजरीवाल बार-बार समन पर पेश नहीं होते हैं तो क्या होगा?
विशेषज्ञ मानते हैं कि भले ही इससे सीधे तौर पर उन्हें गिरफ़्तार ना किया जाए लेकिन ये ज़रूर समझा जा सकता है कि वो जानबूझकर जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. इसे आधार बनाकर गिरफ़्तारी की संभावना बन सकती है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े कहते हैं, “समन की ऐसी कोई तय संख्या नहीं है, जिनके नज़रअंदाज़ करने के बाद गिरफ़्तारी अनिवार्य हो जाती है. ये ईडी पर निर्भर करता है कि वो गिरफ़्तारी करना चाहती है या नहीं. यदि ईडी के पास पर्याप्त कारण हैं तो वो बिना समन किए भी सीधे गिरफ़्तार कर सकती है.”
संजय हेगड़े कहते हैं, “ईडी किसी आम आदमी को पहले समन के बाद या फिर बिना समन किए ही गिरफ़्तार कर लेती है. ये मामला हाई प्रोफ़ाइल है, इसलिए ईडी सावधानी से चल रही है. ईडी की जांच में अगर ईडी को कभी भी लगता है कि गिरफ़्तारी ज़रूरी है तो वो गिरफ़्तार कर लेती है. अगर ऐसी धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें सात साल से कम सज़ा का प्रावधान हो तो पहले समन किया जाता है और ज़रूरत होने पर गिरफ़्तार किया जाता है.”
संजय हेगड़े कहते हैं, “आमतौर पर समन अगर नज़रअंदाज़ किए जाते हैं तो इसका नतीजा गिरफ़्तारी ही होती है. लेकिन यहां शायद ईडी नहीं चाहती होगी कि मामले पर राजनीति हो इसलिए वो गिरफ़्तारी से बच रही होगी.” आमतौर पर समन जांच में शामिल होने या जांच में मदद करने के लिए दिया जाता है. अभियुक्त या चश्मदीद को पूछताछ के लिए समन किया जा सकता है. संजय हेगड़े कहते हैं, “जांच के दौरान अगर जांचकर्ता को ये लगता है कि समन किया गया व्यक्ति अपराध में शामिल है तो चश्मदीद को भी अभियुक्त में बदला जा सकता है.”
दिल्ली में हुए कथित शराब घोटाले में दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह समेत कई लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
सीबीआई ने 26 फ़रवरी 2023 को मनीष सिसोदिया को दिल्ली की आबकारी नीती में कथित अनियमितताओं की जांच के दौरान गिरफ़्तार किया था. मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में नवंबर 2021 में दिल्ली में नई आबकारी नीति को लाया गया था.
हालांकि अगस्त 2022 में दिल्ली सरकार ने इस नई शराब नीति को रद्द कर दिया था.
आरोप हैं कि इस नीति को लागू करने में बड़ा घोटाला हुआ है. इस नई नीति के तहत दिल्ली सरकार को दिल्ली में शराब के कारोबार से पूरी तरह बाहर होना था और शराब का कारोबार निजी कंपनियों के हाथ में आना था. जब ये नई नीति लाई गई थी तब सरकार ने दावा किया था कि इसका मक़सद राजस्व बढ़ाना, शराब की काला बाज़ारी रोकना, बिक्री लाइसेंस की प्रक्रिया को आसान बनाना और शराब ख़रीदने के अनुभव को बेहतर करना है. इस नई नीति के तहत शराब की होम डिलीवरी करने जैसे नए क़दम भी शामिल थे. यही नहीं शराब विक्रेताओं को शराब के दाम में छूट देने की अनुमति भी दी गई थी.
जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल को भेजी रिपोर्ट में शराब नीति में कई अनियमितताओं का दावा किया था और आरोप लगाया था कि मनीष सिसोदिया ने विक्रेताओं को लाइसेंस देने के बदले रिश्वत ली है. इस रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने सीबीआई से मामले की जांच करने का अनुरोध किया था और दिल्ली सरकार को नई शराब नीति को वापस लेना पड़ा था.
सीबीआई ने अगस्त 2022 में मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया था. इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय अलग से जांच कर रहा है. ईडी ने इस जांच के दौरान कई लोगों को गिरफ़्तार भी किया है.