ईडी सभी सीमाएं पार कर रहा है’, सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के निगम के ख़िलाफ़ जांच पर रोक लगाई



- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (टीएएसएमएसी) के ख़िलाफ़ जांच पर रोक लगा दी और ईडी को सभी सीमाएं पार करने के लिए फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि व्यक्तियों के ख़िलाफ़ तो मामला दर्ज कर सकते हैं, लेकिन निगम के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज नहीं कर सकते ?
नई दिल्ली , 23 मई। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (22 मई) को सरकारी तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (टीएएसएमएसी) के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को ‘सभी सीमाएं पार करने’ के लिए फटकार लगाई। भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की पीठ तमिलनाडु सरकार और टीएएसएमएसी द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 23 अप्रैल को मद्रास हाईकोर्ट द्वारा उनकी याचिका को खारिज करने को चुनौती दी गई थी, जिसमें कथित अनियमितताओं को लेकर 6 से 8 मार्च, 2025 के बीच टीएएसएमएसी मुख्यालय पर ईडी द्वारा की गई छापेमारी को अवैध घोषित करने की मांग की गई थी। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई गवई ने केंद्रीय जांच एजेंसी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू से पूछा, ‘आप व्यक्तियों के खिलाफ तो मामला दर्ज कर सकते हैं, लेकिन निगम के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं कर सकते? आपका ईडी सभी हदें पार कर रहा है।




सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली टीएएसएमएसी द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर ईडी को नोटिस जारी किया। टीएएसएमएसी और उसके कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि एजेंसी ने बिना उचित प्रक्रिया के मोबाइल फोन की क्लोनिंग और व्यक्तिगत डिवाइस जब्त करके अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है।सिब्बल ने कहा, ‘हमने पाया कि जिन लोगों को आउटलेट दिए गए हैं, उनमें से कुछ लोग वास्तव में नकद ले रहे हैं. इसलिए, राज्य ने खुद 2014-21 से व्यक्तियों के खिलाफ 41 एफआईआर दर्ज कीं, निगम के खिलाफ नहीं. ईडी 2025 में सामने आता है और निगम (टीएएसएमएसी) और हेड-ऑफिस पर छापा मारता है. सभी फोन ले लिए गए, सब कुछ ले लिया गया. सब कुछ क्लोन किया गया।


सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान जो करारी फटकार लगाई,
वह न केवल ED की मनमानी पर कड़ा प्रहार है, बल्कि देश के संघीय ढांचे और संवैधानिक मर्यादाओं की रक्षा का एक ऐतिहासिक कदम भी है।
CJI गवई ने… pic.twitter.com/KQiHnD1Crf
— Akash Rathore (@akashrathore77) May 22, 2025
इस पर सीजेआई ने पूछा, ‘निगम के खिलाफ अपराध कैसे हो सकता है? आप व्यक्तियों के खिलाफ तो आपराधिक मामला दर्ज कर सकते हैं, लेकिन निगम के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं कर सकते?’ उन्होंने कहा, ‘आप देश के संघीय ढांचे का पूरी तरह उल्लंघन कर रहे हैं.’ सिब्बल ने शीर्ष अदालत से ईडी को फोन और डिवाइस से क्लोन किए गए डेटा का उपयोग करने से प्रतिबंधित करने का भी आग्रह किया. उन्होंने कहा, ‘यह निजता का मुद्दा है!’ हालांकि, पीठ ने माना कि याचिकाकर्ताओं को पहले ही अंतरिम राहत दी जा चुकी है और वह आगे कोई निर्देश नहीं दे सकती.
मद्रास हाईकोर्ट की एक पीठ ने 23 अप्रैल को टीएएसएमएसी की ईडी द्वारा अपने मुख्यालय में की गई तलाशी और जब्ती कार्रवाई के खिलाफ दायर तीन रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया था. पीठ ने याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि छापेमारी और औचक निरीक्षण के दौरान कर्मचारियों को हिरासत में लेना प्रक्रिया का मामला है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईडी ने हाल ही में तमिलनाडु में कई जगहों पर नए सिरे से छापेमारी की, जिसमें टीएएसएमएसी के प्रबंध निदेशक एस. विसकन और फिल्म निर्माता आकाश भास्करन के घर भी शामिल हैं. विसकन से कथित तौर पर करीब 10 घंटे तक लंबी पूछताछ की गई।