जैन मुनियों का चेन्नई नगर में प्रवेश

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चेन्नई , 22 अप्रैल। युगप्रधान आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य मुनिश्री मोहजीत कुमार जी, मुनि भव्यकुमार जी, मुनि जयेश कुमार जी का गींडी से चेन्नई नगर प्रवेश हुआ। मुनिवरों के प्रवेश पर स्वागत यात्रा में नगर के गणमान्य व्यक्ति एवं संघीय संस्थाओं के पदाधिकारों, कार्यकर्ता गणों की उपस्थिति बढ़ चढ़ कर रही।
स्वागत यात्रा की परिसम्पन्नता एस. एस. जैन स्थानक में परिषद के रूप में परिणत हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ मंजू गेलड़ा, कविता मुथा के मंगलाचरण से हुआ। चेन्नई महिला मंडल ने स्वागत गीत का संगान किया।

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स्वागत-अभिनंदन समारोह में समुपस्थित जन मेदिनी को संबोधित करते हुए मुनिश्री मोहजीत कुमार ने कहा की साधु-साध्वियों का आगमन जन जागरण एवं आत्म उत्थान के लिए होता है। उन्होंने आचार्य महाश्रमण जी के प्रति अहोभाव प्रकट करते हुए गुरु के आशीर्वाद को प्रसाद रूप में स्वीकार किया। मुनिश्री ने श्रावक समाज से कहा कि, शक्ति, भक्ति, अनुरक्ति को सार्थक बनाने का प्रयास करना है। जीवन को पवित्र बनाने के लिए संयम, तप, स्वाध्याय आदि के साथ सद्भाव, अन्तः जागरण, श्रद्धा की सधनता का विकास आवश्यक है। समारोह में प्रेरणा प्रदान करते हुए मुनि भव्यकुमार ने कहा कि हर कार्य में भव्यता होनी चाहिए। जीवन के हर पल को सुरम्य बनाने के लिए विशेष प्रयत्न करने का प्रयास करना है। समय का सम्यग विनियोजन कर आगे बढ़ने का लक्ष्य बनाएं।

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इस अवसर पर मुनि जयेश कुमार ने कहा कि जीवन में कुछ नया करने का भाव जागृत करें। नया चिंतन, निर्णय और क्रियान्वित के बिना किसी कार्य को सफलता नहीं मिल सकती। हमे नये विकास के लिए अपने आपको विस्तृत करना होगा। पेड़ की जड़े अगर नहीं फैलेगी तो जड़ों में मजबूती नहीं आएगी। हमे अपने संस्कारों को सक्षम बनाना होगा। चेन्नई प्रवेश पर स्वागत समारोह में किल्पॉक सभा अध्यक्ष अशोक कुमार परमार, चेन्नई सभा अध्यक्ष अशोक खतंग, तेयुप उपाध्यक्ष विशाल सुराणा ने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन अशोक मुथा ने किया। महेन्द्र खांटेड में आभार प्रकट किया। जानकारी संतोष सेठिया ने प्रदान की।।

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