स्वामी श्रद्धानंद जी के 98 वें बलिदान दिवस पर आयोजन

उमंग, उल्लास एवं सद्भावना के पर्व लोहड़ी की सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

बीकानेर , 23 दिसम्बर। स्वामी श्रद्धानंद ने ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे अभियान के अंतर्गत विद्यालयों के माध्यम से ईसाई बनाने के कुचक्र के विरुद्ध गुरु कुलीय शिक्षा प्रारम्भ करने के लिए कांगडी ग्राम में गुरुकुल प्रारम्भ किया जो आज गुरुकुलीय शिक्षा विश्वविद्यालय बन चुका है। ये शब्द इसी विश्वविद्यालय की पूर्व स्नातक एवं पी एच डी की हुयी डॉ सुमित्रा आर्य ने आर्य समाज के नूतन भवन के लोकार्पण महोत्सव के अंतिम दिन स्वामी श्रद्धानंद के 98 वें बलिदान दिवस के अवसर पर अपने उद्बोधन मे कहे।

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कोलकाता से पधारे आर्यसमाज, बड़ा बाजर के ट्रस्टी और समाज सेवी चाँद रत्न दमानी ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद 20 वीं सदी के सर्वाधिक प्रतिभा शाली, तेजस्वी, विद्वान और निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने चांदनी चौक में आंदोलन के समय जब अँग्रेजी सेना ने जुलूस पर संगिने तान ली थी तो सीना तानकर कहा था कि हिम्मत है तो चलावे गोलियां। ग्वालियर से पधारे भजनोपदेशक अशोक आचार्य ने कहा कि सत्संग के द्वारा कुमार्ग पर चलने वाला दुर्वयसनी भी सत्य और कल्याण मार्ग का पथीक बन सकता है का उदाहरण है स्वामी श्रध्दानंद। उन्होंने उनकी जीवनी का बखान भजन के माध्यम से प्रस्तुत किया। दिल्ली से पधारे यश वीर शास्त्री ने कहा कि स्वामी जी महान अछूतो उद्यारक थे। य़ह बात भीम राम अंबेडकर स्वयं कहते हैं कि वो मेरे प्रेरक है। शास्त्री जी ने ये भी कहा कि अज्ञान, डर या प्रलोभन से बने गैर हिन्दुओ को पुनः वापिस लाने के लिए शुद्धी आंदोलन चलाया और लाखों व्यक्तियों को हिन्दू धर्म में दीक्षित किया।

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यजुर्वेद परायण यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य श्री शिव कुमार शास्त्री ने यज्ञ के समापन करते हुवे कहा कि यज्ञ और वेद मार्ग पर चलने से ही हम लोगो का कल्याण सम्भव है। प्रधान महेश आर्य ने नए भवन निर्माण को ईश्वर की कृपा और दानदातावो का सहयोग बतया। उपप्रधान श्रीमती अमिता ठाकुर ने आगंतुकों और इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जिन जिन का सहयोग रहा उनके प्रति आभार प्रकट करते हुवे धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुवे भगवती प्रसाद ने विश्वास दिलाया कि आर्य समाज में वेदिक धर्म और महर्षि के मंतव्य पूरा करने का पुर जोर प्रयास किया जाएगा। शांति पाठ पश्च्यात वेदिक उद्घोष और स्वामी श्रद्धानंद की जय कारों से कार्यक्रम का समापन हुआ।

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