विद्यार्थियों के जीवन निर्माण कार्यशाला में शुभ भविष्य निर्माण के सूत्रों की व्याख्या

गंगाशहर 10 अगस्त । श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गंगाशहर के तत्वावधान में विद्यार्थियों के जीवन निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुभ शुरूआत तेरापंथ युवक परिषद् गंगाशहर ने विजय गीत से की। स्वागत वक्तत्वय तेरापंथी सभा गंगाशहर के निवर्तमान अध्यक्ष अमरचन्द सोनी ने देते हुए कहा की आज के कार्यक्रम की सान्निध्य प्रदान कर्त्ता साध्वी चरितार्थ प्रभा व प्रांजल प्रभा जी साध्वी दीक्षा से पूर्व समणी काल में दुनियां के अनेक देशों में भारतीय व जैन संस्कृति के बारे में प्रवचन दिए और बड़े बड़े विश्वविधालयों में पढ़ाया ।

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विषय प्रवर्तन करते हुए तेरांपथी महासभा के संरक्षक और आयोजन प्रभारी जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि तेरापंथी सभा गंगाशहर ने यह कार्यक्रम इसलिए आयोजित किया है की विद्यार्थियों का भविष्य उज्जवल बने। हर नया दिन हमें एक नई शुरुआत करने का अवसर देता है। जब हम भविष्य की बात करते हैं, तो हमारे सामने कई चुनौतियां और संभावनाएं होती हैं। परंतु, यह हमें तय करना होता है कि हम इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और इन संभावनाओं को कैसे साकार करते हैं।

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छाजेड़ ने कहा कि हमारा वर्तमान हमारे भविष्य का आधार है। अगर हम आज सही दिशा में कदम बढ़ाते हैं, तो हमारा भविष्य निश्चित रूप से उज्ज्वल होगा। अगर हम सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हैं, तो कठिनाइयाँ भी सरल हो जाती हैं। इतिहास गवाह है कि जिन लोगों ने कभी हार नहीं मानी, वे अंततः अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा भविष्य हमारे आज के प्रयासों पर निर्भर करता है। हमें अपने वर्तमान को सुदृढ़ बनाना होगा ताकि हमारा भविष्य उज्ज्वल और समृद्ध हो। अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रखें व सोच को अनेकांतवादी रखें।हम सभी के पास अपने भविष्य को बेहतर बनाने का अवसर है, बस हमें उसे पहचानने और सही दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत है।

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साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी ने अपने मंगल उद्बोधन में विद्यार्थियों को जापान में पाई जाने वाली एक प्रकार की मछली के उदाहरण के साथ बताया कि उसे जितने साईज के टब या तालाब में या समुद्र में रखो वो उसी के बराबर अपने आपको अपने शरीर को विस्तार दे देती है। उसी प्रकार आपके भीतर भी अनन्त क्षमताएं है आप जो चाहो वो पा सकते हो कोन्फीडेन्स (CONFIDENCE )  प्रबल होना चाहिए। आपके संकल्प मजबूत है तो सब कुछ है। आप सब अपने  आप में यूनिक  है बस लक्ष्य निर्धारित करो कि मेरे अन्दर क्या क्वालिटी (QUALITY) है जिसे में बेस्ट (BEST ) बन सकता हूं ।

जीवन निर्माण कार्यशाला में उपस्थित विद्यार्थीगण

साध्वी श्री प्रांजल प्रभाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि बच्चों अगर आपको अपना फ्यूचर ब्राइट (FUTURE BRIGHT)   बनाना है तो अपना नजरिया अलग रखो थॉट पॉजिटिव ( THOUGHT POSITIVE )  रखो। संसाधन कम हो या ज्यादा यह मायने नहीं करता मायने यह करता है कि आपका नजरिया और आपका डिफरेंट वर्क (DIFFERENT WORK )  हो ।

प्रांजल प्रभा जी ने कहा कि डायरेक्ट्री में आपका नाम आए या ना आए कोई बात नही पर काम ऐसा करो की काम से आपकी पहचान बन जाए।  समाज ,परिवार,आपके दोस्त व हर व्यक्ति के दिल से आपका नाम आए। इसके साथ-साथ यह भी बताया कि लेना आसान है देना बहुत मुश्किल है। हर विधार्थी अपनी तरफ से देना सीखें।  उन्होंने तीन सूत्र दिए कि थॉट & सी डिफ्रेंट्ली,स्पीक डिफ्रेंट्ली , एक्ट डिफ्रेंट्ली तब आपका भविष्य सुनहरा बनेगा। उन्होंने नजरिया सकारात्मक रखने पर बल देते हुए  महान  चितंकों के उदाहरण देते हुए शतरंज के खेल में प्यादे के महत्व को बताया।

कार्यक्रम में साध्वीश्री चरितार्थ प्रभा जी ने बच्चों के प्रश्नो का उत्तर भी देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया।

एक बच्चे ने जिज्ञास की कि पढ़ने में मन नहीं लगता तो क्या कर सकते हैं साध्वी श्री ने समझाते हुए कहा कि एक समय में एक ही काम करें एकाग्रता सिद्ध करें तो मन  लगेगा ।

विधार्थियों ने प्र्शन पूछा की भगवान ने हमें बनाया भगवान को किसने बनाया इसके उतर में चरितार्थ प्रभा जी ने कहा कि  हम सबमें भगवान बनने की क्षमता है।

एक छात्रा ने पूछा की परिवार के लोग हमारे निर्णय में सपोर्ट नहीं करते उनका जबाब हमेशा नेगेटिव रहता है तो हम क्या करें ? साध्वीश्री ने कहा की परिजनों को सकारात्मक दंग से समझाएं  आप जिद ना करें तथा अपने शिक्षकों के माध्यम से परिजनों को समझाने का प्रयास करें, धैर्य रखें और कोशिश जारी रखें सफलता मिलेगी।

एक रोचक प्रश्न पूछा की घरवाले खेल में आगे क्यों नहीं बढ़ने देते ? इस पर साध्वीश्री जी ने कहा कि आज के पेरेन्ट्स  को यह समझना होगा कि केवल डॉ , वकील , CA , इन्जिनियर , IAS , आईपीएस   इत्यादि सर्विस की तरफ ही बच्चों को आगे बढ़ने के लिए ना कहें।  उन्होंने कहा कि भारत की 140 करोड़ संख्या में ओलिंपिक में कितने मैडल मिले हैं ? इस तरफ भी ध्यान देना व खेलों को भी केरियर बनाने की तरफ बच्चों को आगे बढ़ाएं।

जीवन निर्माण कार्यशाला में उपस्थित विद्यार्थीगण

बच्चों ने कॉन्फिडेंस कैसे बढ़ें  व एकाग्रता कैसे बढ़ाएं जैसे भी प्र्शन पूछे।  साध्वी श्री ने कहा कि दीर्घ श्वांस का प्रयोग करें तथा एक समय में एक ही कार्य करें,इससे एकाग्रता बढ़ेगी व आपका कॉन्फिडेंस भी बढ़ेगा ।जब एक विधार्थी ने पूछा कि मेहनत करने के बावजूद सफलता क्यों नहीं मिलती इस पर पूर्व वीसी साध्वी चरितार्थ प्रभा ने कहा कि  जीवन में नंबर ज्यादा लाना ही सफलता नहीं होती।  आप अपने लक्ष्य का निर्धारण करें और उसको प्राप्त करने के लिए संकल्पबद्ध हो जाएँ।  अपनी तुलना दूसरों से ना करें सफलता अवश्य मिलेगी।

एक बच्चे से साध्वीश्री  ने पूछा कि आप क्या बनना चाहते हो तो बच्चा बोला क्रिकेटर । साध्वी जी ने पूछा क्यों बनना चाहते हो क्रिकेटर ?तो बच्चे ने कहा अपने देश का नाम ऊंचा करना चाहता हूं । इस तरह के कई रोचक प्रश्नोत्तर भी हुए । कार्यशाला में गंगाशहर , भीनासर , सुजानदेसर , किसमिदेशर व उदयरामसर की 37 स्कूलों के हजारों विधर्थियों ने सक्रियता के साथ भाग लिया। बच्चों ने नशामुक्ति के  संकल्प साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी  से ग्रहण किए ।

स्कूल  से विद्यार्थियों के साथ आये शिक्षकगणों ने कार्यक्रम को बहुत सराहा और भविष्य में ऐसे कार्यक्रम करने का आग्रह किया। स्कूलों से आए शिक्षकों ने साध्वीश्री  जी से निवेदन किया कि आप हमारी शाला में भी पधारें ।

कार्यक्रम में  तेरापंथी सभा अध्यक्ष जतनलाल छाजेड़, महिला मंडल अध्यक्ष  संजू लालाणी , तेयुप अध्यक्ष  महावीर फलोदिया व सभी संस्थओं के  पदाधिकारियों व कार्यकारणी सदस्यों  कार्यक्रम में पधारे शिक्षकों का जैन पताका पहनाकर व साहित्य भेंट करके स्वागत किया। आभार ज्ञापन तेरापंथी सभा के मंत्री जतनलाल संचेती ने किया व कार्यक्रम का संचालन सभा के कोषाध्यक्ष  रतनलाल  छलाणी ने किया।कार्यक्रम में तेरापंथ भवन का प्रांगण भरा हुआ था।

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