जयराम रमेश का निशाना बीजेपी के घोटाले के चार तरीके, चंदा दो-धंधा लो, ठेका लो-घूस दो, रिश्वत लेने का नया तरीका,शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग

Electoral Bond Case: जयराम रमेश ने कहा, “बीजेपी सरकार ने निजी कंपनियों का सिर्फ इस्तेमाल किया है. हमारा निशाना कोई प्राइेट कंपनी है, हमारा निशान बीजेपी सरकार है और प्रधानमंत्री हैं.”

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नई दिल्ली, 23 मार्च । कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को कहा कि पार्टी शुरू से ही चुनावी बॉन्ड में गुप्त रूप से लेन-देन के ख़िलाफ़ रही है। उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में प्रमुखता से इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को समाप्त करने का वादा किया था।

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Jairam Ramesh on Electoral Bond: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “पिछले कुछ दिनों में इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी भरपूर तरीके से आई है. सबको यह जानकारी मिली कि कितना इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा गया है. कितना बेचा गया है और वो किस-किस पार्टी को दिया गया. बीजेपी सरकार ने निजी कंपनियों का सिर्फ इस्तेमाल किया है. हमारा निशाना कोई प्राइेट कंपनी है, हमारा निशान बीजेपी सरकार है और प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने इस इलेक्टोरल बॉन्ड को सोचा और इसे अंतिम रूप दिया.”

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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को कहा कि पार्टी शुरू से ही चुनावी बॉन्ड में गुप्त रूप से लेन-देन के ख़िलाफ़ रही है।

‘चंदा दो-धंधा लो, ठेका लो-घूस दो’

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “बीजेपी ने चार तरीके से घोटाला किया. पहला रास्ता है चंदा दो धंधा लो, यह प्रीपेड घूस है. दूसरा रास्ता है ठेका दो घूस दो, ये पोस्टपेड घूस है. तीसरा रास्ता है हफ्ता वसूली और ये पोस्ट रेड है. इसका मतलब है कि पहले ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स को कंपनी के खिलाफ छोड़ो और उससे बचने के लिए ये कंपनियां इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदेंगी और बीजेपी को चंदा देगी.”

‘फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया गया’

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “चौथा रास्ता फर्जी कंपनियों, सेल कंपनियों का अपनाया गया. साल 2014 में प्रधानमंत्री बार-बार लंबे-चौड़े भाषण करते थे कि मैं फर्जी कंपनियों को बंद कर दूंगा, लेकिन इस इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले में फर्जी कंपनियों के भरपूर इस्तेमाल किया गया है. बड़े तौर पर 38 कॉरपरेट ग्रुप हैं, जिन्हें पिछले 6 महीने में मोदी सरकार से 179 कॉन्ट्रैक्ट मिले हैं. इन्हीं 38 ग्रुप ने 2000 करोड़ रुपये का बॉन्ड को खरीदा है.”

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “हमारे युवा साथियों ने सिर्फ 5 लाइन का एक कम्यूटर कोड लिखा है, जिससे सिर्फ 15 सेकंड में सुप्रीम कोर्ट की ओर से मांगी गई इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी हमारे सामने आ गई. इसी जानकारी को देने के लिए SBI ने 30 जून तक का समय मांगा था, इससे साफ है कि मोदी सरकार ये जानकारी बाहर नहीं लाना चाहती थी.”

कांग्रेस महासचिव ने एक बयान में कहा कि भारतीय स्टेट बैंक प्रयास कर रहा था कि किसी तरह चुनावी बॉन्ड से संबंधित डेटा जारी करने का समय 30 जून 2024 तक टल जाए। उन्‍होंने अंदेशा जताया कि संभवतः यह मोदी सरकार के इशारे पर किया जा रहा था।

रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बार-बार हस्तक्षेप के बाद एसबीआई को 21 मार्च 2024 को चुनावी बॉन्ड का डेटा जारी करना पड़ा। राजनीतिक दलों के साथ चंदा देनेवालों का मिलान करने में पायथन कोड की तीन लाइंस और 15 सेकंड से भी कम समय लगा। उन्‍होंने कहा कि इससे एसबीआई का यह दावा बेहद हास्यास्पद साबित हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मांगा गया डेटा उपलब्ध कराने में उसे कई महीने लगेंगे।

रमेश के अनुसार, कांग्रेस पार्टी ने कुछ दिन पहले “चुनावी बॉन्ड घोटाले” में कथित भ्रष्टाचार के चार पैटर्न को हाइलाइट किया था जो प्रीपेड रिश्वत, पोस्टपेड रिश्वत, छापेमारी के बाद रिश्वत और फर्जी कंपनियां यानी शेल कंपनियां हैं। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की वजह से चुनावी बॉन्ड का डेटा सामने आने से लोगों को इन सभी चार श्रेणियों में गंभीरता से आंकलन करने की इजाज़त मिल गई है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जाँच एजेंसियों को नियंत्रित करती है।

रमेश ने कहा कि अपारदर्शी स्कीम ने यह सुनिश्चित किया कि रिश्वत को अब इलेक्टोरल बांड के रूप में बैंकिंग चैनल के माध्यम से भेजा जा सकता था। रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने डेटाबेस इकट्ठा किया है, जिसमें सभी को भाजपा के इलेक्टरल बांड डोनर्स (चंदा देने वाले) के डेटाबेस में मैप किया गया है।

1. "चंदा दो, धंधा लो" (Quid Pro Quo)
जयराम रमेश ने दावा किया है कि ऐसी कई कंपनियों के मामले हैं जिन्होंने चुनावी बॉन्ड दान किया है और इसके तुरंत बाद सरकार से भारी लाभ प्राप्त किया है.

मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा ने चुनावी बॉन्ड के जरिए 800 करोड़ से अधिक दिए हैं. अप्रैल 2023 में कंपनी ने 140 करोड़ डोनेट किया और इसके एक महीने बाद ही कंपनी को 14,400 करोड़ का ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल का प्रोजेक्ट मिल गया.

7 अक्टूबर 2022 को जिंदल स्टील और पावर ने 25 करोड़ का बॉन्ड लिया, इसके तीन दिन बाद यानी 10 अक्टूबर 2022 को कंपनी ने गारे पाल्मा IV/6 कोयला खदान का टेंडर जीता.

2. "हफ्ता वसूली"
जयराम रमेश ने बीजेपी पर हफ्ता वसूली का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, "बीजेपी की हफ्ता वसूली रणनीति सरल है- ईडी/सीबीआई/आईटी के माध्यम से किसी लक्ष्य पर छापा मारना, और फिर कंपनी की सुरक्षा के लिए हफ्ता ("दान") मांगना." उन्होंने कहा कि टॉप 30 दानदाताओं में से कम से कम 14 पर छापे मारे गए हैं.

उन्होंने दावा किया कि इस साल की शुरुआत में एक जांच में पाया गया कि ईडी/सीबीआई/आईटी छापे के बाद, कंपनियों को चुनावी ट्रस्टों के माध्यम से बीजेपी को दान देने के लिए मजबूर किया गया था. हेटेरो फार्मा और यशोदा अस्पताल जैसी कई कंपनियों ने ईबी के माध्यम से दान दिया है.

आईटी विभाग ने दिसंबर 2023 में शिरडी साईं इलेक्ट्रिकल्स पर छापा मारा और जनवरी 2024 में उन्होंने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 40 करोड़ का चंदा दिया.

फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स ने 1200 करोड़ रुपये से अधिक का दान

दिया है, जिससे यह अब तक के आंकड़ों में सबसे बड़ा दानदाता बन गया है.

क्रोनोलॉजी समझाते हुए जयराम रमेश का दावा है कि,

2 अप्रैल 2022: ईडी ने फ्यूचर पर छापा मारा और 5 दिन बाद (7 अप्रैल) उन्होंने ईबी में 100 करोड़ रुपये का दान दिया.

अक्टूबर 2023: आईटी विभाग ने फ्यूचर पर छापा मारा और उसी महीने उन्होंने ईबी में 65 करोड़ रुपये का दान दिया.

3. "रिश्वत लेने का नया तरीका"
जयराम रमेश ने बताया कि आंकड़ों से एक पैटर्न बनता दिख रहा है, जहां केंद्र सरकार से कुछ मदद मिलने के तुरंत बाद कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से एहसान चुकाया है.

वेदांता को 3 मार्च 2021 को राधिकापुर पश्चिम निजी कोयला खदान मिली और फिर अप्रैल 2021 में उन्होंने चुनावी बॉन्ड में 25 करोड़ रुपये का दान दिया.

मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा को अगस्त 2020 में 4,500 करोड़ रुपये की जोजिला सुरंग परियोजना मिली, फिर अक्टूबर 2020 में चुनावी बॉन्ड में 20 करोड़ रुपये का दान दिया.

मेघा को दिसंबर 2022 में बीकेसी बुलेट ट्रेन स्टेशन का ठेका मिला और उन्होंने उसी महीने 56 करोड़ रुपये का दान दिया.

4. "शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग"
जयराम रमेश ने कहा कि "चुनावी बॉन्ड योजना के साथ एक बड़ा मुद्दा यह है कि इसने यह प्रतिबंध हटा दिया कि किसी कंपनी के मुनाफे का केवल एक छोटा प्रतिशत ही दान किया जा सकता है, जिससे शेल कंपनियों के लिए काला धन दान करने का रास्ता खुल गया."

"ऐसे कई संदिग्ध मामले हैं, जैसे कि क्विक सप्लाई चेन लिमिटेड द्वारा 410 करोड़ रुपये का दान दिया गया है, एक कंपनी जिसकी पूरी शेयर पूंजी MoCA फाइलिंग के अनुसार सिर्फ 130 करोड़ रुपये है."
इसके साथ ही उन्होंने मिसिंग डाटा का भी मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा, "एसबीआई द्वारा उपलब्ध कराया गया डेटा केवल अप्रैल 2019 में शुरू होता है, लेकिन एसबीआई ने मार्च 2018 में बॉन्ड की पहली किश्त बेची. इस डेटा से कुल 2,500 करोड़ रुपये के बॉन्ड गायब हैं."

"मार्च 2018 से अप्रैल 2019 तक इन गायब बॉन्ड्स का डेटा कहां है? उदाहरण के लिए, बॉन्ड की पहली किश्त में बीजेपी को 95% धनराशि मिली. बीजेपी किसे बचाने की कोशिश कर रही है?"
बात दें की चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डाटा सार्वजनिक किया है. शीर्ष अदालत ने फरवरी में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि ये संविधान के तहत सूचना के अधिकार, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है.

 

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