चार साल की बच्ची के साथ रेप, 10 साल और 17 साल के नाबालिगों पर लगा आरोप

इंदौर, 31 दिसम्बर। मध्यप्रदेश के इंदौर से चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां परिवार वालों की गैरमौजूदगी में चार साल की एक बच्ची के साथ दो नाबालिगों ने उसके ही घर में ही दुष्कर्म करने का प्रयास किया. घटना के बाद जब बच्ची ने रोना नहीं बंद किया तो परिजन उसे लेकर थाने गए. थाने पहुंचने पर बच्ची का मेडिकल कराया गया.

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बच्ची के मेडिकल के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ. इसके बाद पुलिस ने दोनों आरोप‍ियों को 4 घंटे की मशक्कत के बाद हिरासत में ले लिया. हिरासत में लिए गए युवकों में एक की उम्र 17 साल व दूसरे की उम्र 10 साल है.

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बच्ची को चोटें भी आईं
बच्ची के घर वाले जब घर में नहीं थे, तो दो पड़ोस के दो नाबाल‍िगों ने बच्ची के साथ बलात्कार करने की कोशिश की. बच्ची को चोटें भी आईं. घटना की जानकारी देते हुए डीएसपी ऋषिकेश मीणा ने मीडियाकर्मियों को बताया, “शनिवार दोपहर द्वारकापुरी थाने के अंतर्गत एक बहुत ही गंभीर घटना हमारे संज्ञान में आई. द्वारकापुरी में रहने वाले दंपत‍ि की चार साल की एक बेटी और पांच साल का एक बेटा है.

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लगातार रोती रही बच्ची
घटना के द‍िन पति-पत्नी दोनों ही काम पर बाहर गए हुए थे. बच्चे घर पर अकेले थे. इसी दौरान पड़ोस में रहने वाले दो नाबालिग लड़कों ने बच्‍ची के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की. इससे उसे चोट भी आई और वह रोने लगी. जब उसका रोना बंद नहीं हुआ, तो आरोप‍ियों के माता-पिता और एक अन्य पड़ोसी ने बच्‍ची के माता-प‍िता को फोन करके बताया कि वह लगातार रो रही है. शाम को जब बच्‍ची के परिजन काम से वापस आए, तो उसे हमारे पास थाने लेकर आए. हमने तुरंत उसकी मेडिकल जांच कराई और उसके इलाज की भी व्यवस्था की।

आरोपियों में एक की उम्र 10 साल
पुलिस ने कहा, ” मामले की जांच से पता चला कि पड़ोस में रहने वाले दो नाबालिग लड़कों द्वारा उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की गई. उनमें से एक की उम्र 17 साल और दूसरे की 10 साल है. दोनों पड़ोसी हैं. एक मूल रूप से धार का रहने वाला है और यहां अपने नाना-नानी के साथ रहता है. जैसे ही घटना हमारे संज्ञान में आई हमने आरोप‍ियों की तलाश में दो टीमें बनाईं. करीब चार घंटे की कोशिश के बाद हमने दोनों को हिरासत में ले लिया. उन्हें किशोर न्यायालय में पेश किया गया।

उन्होंने कहा, “पुल‍िस ने बाल अपचारियों के परिजनों को एक नोटिस भेजकर उन्‍हें आगाह क‍िया है क‍ि अगर इतनी छोटी उम्र में बच्चों की इस तरह की मानसिकता है, तो ऐसे बच्चों को मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक की जरूरत है, ताक‍ि उनकी काउंसलिंग हो सके.”

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