भजन भी भगवान से तारतम्य जोड़ने का एक सशक्त माध्यम-साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी

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  • गंगाशहर तेरापंथी सभा द्वारा धम्म जागरणा का आयोजन

गंगाशहर, 22 जुलाई। तेरापंथी सभा गंगाशहर द्वारा 265 वें तेरापंथ स्थापना दिवस के अवसर पर भव्य धम्म जागरणा का आयोजन साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी एवं साध्वी श्री प्रांजल प्रभा जी के सानिध्य में शांतिनिकेतन सेवा केंद्र में हुआ।
इस अवसर पर साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी ने कहा कि गीत-संगीत भारतीय संस्कृति की आत्मा है । भारत में हर शुभ कार्यों की शुरुआत गीत-संगीत से होती है। एक पूरा भक्ति का युग रहा है जिसमें भजनों द्वारा भगवान की भक्ति की जाती थी और भगवान के गुणों का गुणानुवाद किया जाता था।
भारतीय संगीत में राग रागिनी का बड़ा महत्व था। हर समय की अपनी राग होती है। महान संगीतज्ञय तानसेन को याद करते हुए कहा कि वह राग मल्लार में भजन गाते तो वर्षा होने लग जाती।

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साध्वी श्री जी ने कहा कि तेरापंथ धर्म संघ में हजारों गीतों का संकलन है। आचार्य भिक्षु के जीवन दर्शन पर अनेकों गीत आचार्य श्री तुलसी ने लिखे हैं। आचार्य तुलसी द्वारा लिखे गए गीत आज हर तेरापंथ श्रावक के रोम रोम में समाए हुए हैं। भजन भी भगवान से तारतम्य जोड़ने का एक सशक्त माध्यम है।
धम्म जागरण में निम्न भजन गायकों ने अपनी प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में शम्मा बांध दिया- कोमल पुगलिया व एकता पुगलिया, प्रवीण मालु ,राजेन्द्र बोथरा, धमेन्द्र डाकलिया, धीरज रांका, निर्मल बैद ,पवन छाजेड, इन्द्रचन्द छाजेड़ , तोलाराम सामसुखा, छगनलाल साम‌सुखा, प्रिया पारख, यश राखेचा, मंजू देवी आंचलिया। तेरापंथी सभा के मंत्री जतन लाल संचेती ने सभी का आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम का कुशल संचालन मनोज छाजेड़ ने किया।

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