दादा-दादी हमारे जीवन के अमूल्य रत्न है , सदियों से घर की शान रहे हैं

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दादा-दादी चित्त समाधि शिविर का आयोजन हुआ

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चेन्नई, 1 नवम्बर। साध्वी श्री लावण्यश्री के सानिध्य में श्रावक समाज की भव्य उपस्थिति में “दादा-दादी चित्त समाधि शिविर” का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम मंगलाचरण श्रीमती रंजू कोठारी द्वारा किया गया। तत्पश्चात सभा अध्यक्ष उगमराज सांड के द्वारा स्वागत स्वर में आगंतुकों का स्वागत किया गया।

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हेमंत डूंगरवाल ने आज के विषय पर सुंदर मधुर गीतिका का संगान किया। आज के कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सुधीर कांकरिया थे। जो पैशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है, आपका पूरा परिचय सभा के उपाध्यक्ष एम.जी. बोहरा के द्वारा दिया गया। जिसके उपरांत मुख्य वक्ता ने आज के विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा- दादा-दादी हमारे जीवन के अमूल्य रत्न है। उनके साथ वक्त बिताने से हम अपने संस्कृति और परंपराओं को सीखते हैं। वो हमारे जीवन का अमूल्य हिस्सा है। आपने आज के विषय पर सुंदर एंव सार गर्वित वक्तव्य दिया।

साध्वी श्री दर्शितप्रभा जी ने अपने जीवन के अपने पारिवारिक अनुभव को बताया की हम संयुक्त परिवार में कैसे रहते थे, बड़े बुजुर्गों के साथ में रहने से कितना फायदा है। आज के विषय पर सुंदर विवेचना की। इसी क्रम में साध्वी श्री सिद्धांतश्री जी ने आज के विषय पर अपने विचार रखें।

साध्वी श्री लावण्यश्री जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए फरमाया की दादा-दादी हमारे लिए एक आदर्श है। जीवन में सफलता और असफलता के किस्से सुनाकर महत्वपूर्ण सिख हमें देते हैं। दादा-दादी सदियों से घर की शान रहे हैं। आज विशेष रूप से दादा-दादी के लिए आयोजित कार्यक्रम में बुजुर्गों के चेहरे पर एक अलग खुशी देखने को मिली, जिसे देखकर हर कोई भाव विभोर हो गया।

आज के कार्यक्रम के संयोजक संपतराज चोरडिया के अथक प्रयास से यह दादा-दादी चित्त समाधि शिविर बहुत ही रोचक रहा। आभार ज्ञापन सभा के कर्मठ मंत्री अशोक खतंग द्वारा दिया गया।

शिविर के पश्चात आने वाले कार्यक्रमों की सूचनाओं के बाद साध्वी श्री जी द्वारा तपस्याओं के प्रत्याख्यान एवं मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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