साध्वी श्री कीर्तियशा जी विनम्रता, सहजता, सरलता, सहिष्णुता, ओर गुरू भक्ति आदि गुणों से परिपूर्ण साध्वी थी- मुनि कमल कुमार


- कष्टों को धैर्य व समता से सहन करना आर्ट ऑफ लाइफ- साध्वी लब्धि यशा
- साध्वी कीर्तियशाजी ने अनशन कर आत्मा का उद्धार किया-साध्वी श्री विशदप्रज्ञा जी
- साध्वीश्री कीर्तियशाजी की गुणानुवाद सभा आयोजित
गंगाशहर , 30 मई। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी, मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी, सुशिष्या शासन श्री साध्वीश्री बसंतप्रभा जी, शासन श्री साध्वी श्री शशिरेखा जी सेवा केन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री विशदप्रज्ञा जी, साध्वी श्री लब्धियशा जी, साध्वीश्री जिनबाला जी के सान्निध्य में संथारा साधिका साध्वी श्री कीर्तियशा जी की गुणानुवाद सभा आयोजित हुई।
इस अवसर पर बोलते हुए उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी स्वामी ने कहा कि साध्वी श्री कीर्तियशा जी विनम्रता, सहजता, सरलता, सहिष्णुता, ओर गुरू भक्ति आदि गुणों से परिपूर्ण साध्वी थी। अपने 43 वर्षों से अधिक साध्वी जीवन में धर्मसंघ की बहुत सेवा की। कैंसर जैसी असाध्य बीमारी में उच्च भावों से संथारा स्वीकार किया। ओर बड़ी ही दृढ़ता के साथ चढते- बढते भावों के साथ काम सिद्ध किया। साध्वी श्री मल्लिकाश्री जी ने छाया बनकर सेवा की। साध्वी श्री विशद प्रज्ञा जी एवं साध्वी श्री लब्धियशा जी ने उनको त्याग, अनशन आदि प्रत्याख्यान करवाने का मौका मुझे दिया। मुनि श्री ने कहा गंगाशहर की सभी संस्थाओं ने सेवा दर्शनों का लाभ लिया। तेरापंथी सभा गंगाशहर ने हर तरह से अपना दायित्व पूर्ण सजगता से निभाया है। इससे आचार्यों के दिलों में स्थान बनता है और पुरे क्षेत्र में गौरव बढ़ता है। मुनि श्री श्रेयांस कुमार जी ने मुक्तकों के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।





इस अवसर पर शासन श्री साध्वी श्री बसंतप्रभा जी ने कहा कि साध्वी श्री कीर्तियशा जी में तीन विषेशताऐं मुख्य रूप से थी। समता, व्यवहारकुशलता और श्रमशीलता। इन विषेशताओ को हम सभी ने प्रत्यक्ष देखा है। साध्वी श्री कीर्तियशा जी के संथारा संलेखना के लक्ष्य को साध्वी मल्लिकाश्री जी ने पूर्ण जागरूकता से सम्पूर्ण करवाया। शासन श्री साध्वी श्री शशिरेखा जी ने कहा कि तेरापंथ धर्म संघ की सबसे बड़ी विशेषता है सेवा भावना। इसे हम गंगाशहर सेवा केन्द्र में देख सकते हैं। किस प्रकार कीर्तियशा जी की सेवा साध्वी श्री मल्लिकाश्री के साथ अन्य साध्वियों ने अग्लान भाव से की। यह सभी के लिए अनुकरणीय ओर अनुमोदनीय है। गंगाशहर सभा के द्वारा किया जा रहा चिकित्सा व अन्य व्यवस्था का कार्य भी उदारहणीय है।


साध्वी श्री विशद्प्रज्ञा जी ने कहा कि- अनशन कर्म निर्जरा का विशेष साधन है। साधक अनशन द्वारा अपने कर्मों की निर्जरा कर हल्का होकर उर्ध्वगामी बन जाता है साध्वी कीर्तियशाजी ने अनशन कर आत्मा का उद्धार किया।कुछ निकाचित कर्मों का योग था जिन्हें तोड़े बिना छुटकारा नही मिलता। साध्वी श्री कीर्तियशा जी ने धर्म ध्यान के द्वारा रोग जनित कष्टों को सहन किया ओर जीवन के अंतिम समय में कर्मो की निर्जरा की विशेष साधना संथारा संलेखना के साथ अपनी आत्मा को मोक्ष गामी बनाया। साध्वी लब्धियशा जी ने कहा कि – जीवन में कष्ट आना पार्ट ऑफ लाइफ है। उन कष्टों को धैर्य व समता से सहन करना आर्ट ऑफ लाइफ है। साध्वी कीर्तियशा जी के भयंकर कष्ट होने के बाद भी उन्होंने उन कष्टों को समता से सहन किया।

साध्वी श्री मल्लिका श्री जी ने साध्वी कीर्तियशाजी के साथ बिताये क्षणों का अनुभव शेयर करते हुए कहा कि वे एक अप्रमत्त सरल, उपशांत कषाय, विनम्र,स्वाध्यायशील साध्वी थी । जप और तप को अपना मित्र बनाये हुए थी जो असाध्य बिमारी में भी उन्हें सम्बल प्रदान करते थे। साध्वी भव्यप्रभाजी ने कहा- जन्म और मृत्यु के बीच का जो जीवन है उसे कैसे जीना यह व्यक्ति की अपनी चोइस है। साध्वी कीर्तिर्यशाली ने साधना का आलम्बन लेकर अपने जीवन को सार्थक बनाया। साध्वी मननयशा जी ने पूज्य प्रवर द्वारा प्रदत्त और साध्वी कौशलप्रभायी ने साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा जी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन किया और भी अनेकों साध्वियों के संदेश प्राप्त हुए जिनमें शासन गौरव साध्वीश्री राजीमती जी, साध्वीश्री अमितप्रभा जी, साध्वीश्री कमलप्रभा जी (बोरज), साध्वीश्री गुप्तिप्रभा जी, साध्वीश्री पुण्ययशा जी, साध्वीश्री प्रबलयशा जी, साध्वीश्री पावनप्रभा जी, साध्वीश्री सोमयशा जी, साध्वीश्री चरितार्थप्रभा जी, साध्वीश्री प्रांजलप्रभा जी, साध्वीश्री परमयशा जी, साध्वीश्री निर्वाणश्री जी, साध्वीश्री कनकरेखा जी प्रमुख थे। साध्वी वृन्द ने समवेत स्वर में श्रद्धांजलि में सुमधुर गीत का संगान किया

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गुणानुवाद सभा में जैन लूणकरण छाजेड़ नेकहा कि तेरापंथ धर्म संघ में जो सेवा होती है उससे अच्छी गृहस्थ जीवन में भी नहीं हो सकती। समता भाव से कीर्ति यशा जी ने असाध्य रोग से मुकाबला किया और साध्वी मल्लिका श्री ने प्रतिछाया बनकर सेवा की वह अद्भुत रही। एक प्रशिक्षित नर्स भी ऐसी सेवा नहीं कर सकती है। हम उनकी आत्मा की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना करते हैं.

गुणानुवाद सभा में आसकरण पारख, जतन लाल संचेती, मांगीलाल बोथरा, संजू देवी लालाणी, श्रीमती मंजू बोथरा, श्रीमती केसर देवी भादाणी डागा परिवार से गीतिका, हितेश डागा, मुकेश डागा आदि जनों ने साध्वी श्री कीर्तियशा जी के जीवनवृत पर प्रकाश डाला एवं उनकी आत्मा के उतररोतर आध्यात्मिक उन्नति की करती हुई मोक्ष को प्राप्त करे ऐसी कामना की। मुनिश्री ने उपस्थित सभी जनों के साथ में 4 लोगस्स का ध्यान करवाते हुए साध्वीश्री की आत्मा के उत्तरोत्तर विकास की मंगलकामना की।