11 केवी विद्युत लाइन की चपेट में आने से हंसराज की दर्दनाक मौत, शव 15 घंटे तक तारों में लटका रहा, ग्रामीणों का धरना जारी

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महाजन, 26 जून। बीकानेर जिले के महाजन कस्बे के निकटवर्ती साबणिया गांव में मंगलवार रात एक हृदयविदारक हादसा हो गया। खेत से लौटते समय गांव के हंसराज मेघवाल (40) की 11 केवी विद्युत लाइन की चपेट में आने से मौत हो गई। तार इतने नीचे झूल रहे थे कि वह पैदल चलते हुए भी उनकी चपेट में आ गया। दुर्घटना के विरोध में ग्रामीणों ने बुधवार सुबह से धरना शुरू कर दिया और करीब 15 घंटे तक शव को तारों से नहीं उतरने दिया।

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रात को खेत से लौटते वक्त हुआ हादसा
मृतक हंसराज, साबणिया निवासी श्योपतराम मेघवाल का पुत्र था और हर रोज की तरह मंगलवार को खेत गया हुआ था। रात करीब 10 बजे लौटते समय वह 11 केवी लाइन की चपेट में आ गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। बुधवार सुबह ग्रामीणों को जब शव नजर आया, तो उन्होंने परिजनों को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन ग्रामीणों ने ढीली विद्युत लाइन को हादसे की वजह मानते हुए आक्रोश जताया और धरने पर बैठ गए।

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चार-से-पांच फीट की ऊंचाई पर थी लाइन
जनप्रतिनिधि छगनलाल सियाग ने बताया कि यह विद्युत लाइन काफी समय से झूल रही थी, जिसकी ऊंचाई जमीन से मात्र 4-5 फीट थी। इस संबंध में कई बार विभागीय अधिकारियों को सूचित किया गया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इससे पहले भी इस लाइन की चपेट में आने से पशु हानि की घटनाएं हो चुकी हैं।

मुआवजे की मांग पर अड़े ग्रामीण
घटना के बाद सैकड़ों ग्रामीण मौके पर एकत्र हो गए और मृतक के परिवार को एक करोड़ रुपए मुआवजा, एक परिजन को सरकारी नौकरी, और लापरवाह बिजलीकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे। इस मौके पर नेता प्रभु दयाल सारस्वत भी पहुंचे और ग्रामीणों को समर्थन दिया।

प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे, पर हल नहीं निकला
प्रशासन की ओर से विभागीय अधिशासी अभियंता, लूणकरणसर के एसडीएम, महाजन नायब तहसीलदार सुंदर पाल गोदारा, डीएसपी नरेंद्र पूनिया, और थाना अधिकारी सहित कई अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन ग्रामीणों ने शव को उतारने से इनकार कर दिया।

शव अब भी तारों में फंसा, बिजली आपूर्ति बंद
बिजली विभाग ने क्षेत्र की बिजली आपूर्ति बंद कर दी है, लेकिन ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे शव को नहीं उतारने देंगे। बुधवार देर शाम तक भी हंसराज का शव तारों में लटका रहा और ग्रामीण धरने पर जमे हुए हैं। यह घटना प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर उदाहरण है, जो अब जनआक्रोश का रूप ले चुकी है। यदि शीघ्र समाधान नहीं निकला तो स्थिति और भी तनावपूर्ण हो सकती है।

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