स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम की काव्य गोष्ठी में ख़ूब रंग जमा

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हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के रचनाकारों ने समां बांध दिया

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बीकानेर, 2 जून। स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम के राष्ट्रीय कवि चौपाल की तरफ से शार्दुल स्कूल मैदान स्थित राजीव गांधी भ्रमण पथ स्थित पंचवटी में स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम राष्ट्रीय कवि चौपाल के साप्ताहिक काव्य पाठ कार्यक्रम की 466वीं कड़ी आयोजित की गई।

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कार्यक्रम समन्वयक क़ासिम बीकानेरी में बताया कि आज हुई काव्य गोष्ठी में नगर के हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के युवा एवं वरिष्ठ रचनाकारों ने काव्य की त्रिवेणी प्रवाहित की। सभी रचनाकारों की रचनाओं पर श्रोताओं ने भरपूर दाद देकर कवियों और शायरों की ख़ूब हौसला अफ़ज़ाई की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थानी एवं हिंदी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार सरदार अली पड़िहार ने की। आपने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि कवि चौपाल जैसा कार्यक्रम अपने आप में एक अलग तरह का कार्यक्रम है, जिसमें हर रविवार को सुबह नगर के रचनाकार पंचवटी में इकट्ठा होकर काव्य पाठ से श्रोताओं का ज्ञानार्जन करते हैं।

काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि नगर में पिछले 9 वर्षों से राष्ट्रीय कवि चौपाल बीकानेर द्वारा लगातार साप्ताहिक काव्य गोष्ठी आयोजित की जा रही है। यह एक अनूठा कार्यक्रम है जिसमें काव्य पाठ से निर्मल आनंद की अनुभूति होती है तथा रूह को सुकून मिलता है। काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि समाजसेवी श्री गोपाल स्वर्णकार ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम से नए कवियों को काव्य पाठ का अवसर मिलता है जो अपने आप में बहुत नेक काम है।

आज हुई काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ कवि सरदार अली पड़िहार ने अपनी लोकप्रिय कविता ‘चलता चल’ की इन पंक्तियों “चलता चल भाई चलता चल/ चलने का है नाम ज़िंदगी रुक कर मौत बुलाना मत/बाधाओं के रस्ते पर हंसकर आगे बढ़ता चल” के प्रस्तुतीकरण से जीवन के पथ पर लगातार आगे बढ़ते रहने का संदेश दिया। वरिष्ठ शायर क़ासिम बीकानेरी ने अपनी ताज़ा ग़ज़ल के इस शे’र के माध्यम से मेहनत की अहमियत बयान करते हुए काव्य गोष्ठी को परवान चढ़ाया-“सिर्फ मेहनत से ही बनती है ये तक़दीर अपनी/ तुमने तक़दीर पे क्यूं ताला लगा रखा है।”

वरिष्ठ शायर वली मोहम्मद ग़ौरी ने अपने क़तआ़ की इन पंक्तियों के ज़रिए श्रोताओं को लुत्फ़अंदोज़ कर दिया-“ज़माने में वफ़ा की इक कहानी छोड़ जाऊंगा/ मैं जाऊंगा तो उल्फ़त की निशानी छोड़ जाऊंगा।” हास्य कवि बाबूलाल ‘बमचकरी’ ने ‘तसियो सब्जी रो’ कविता की इन पंक्तियों से श्रोताओं को भरपूर गुदगुदाया- “उगते दिन ही चिंता खावे/मनै कदैई समझ नीं आवे/ तसियो सब्जी रो।” कवयित्री कृष्णा वर्मा ने वर्तमान समय में ‘मतदान की अहमियत’ पर उम्दा कविता प्रस्तुत की।

कवि किशन नाथ खरपतवार ने अपनी राजस्थानी कविता ‘म्है भारत री बिंदणी” के प्रस्तुतीकरण से काव्य गोष्ठी में नया रंग भरा। कवि लीलाधर सोनी ने ‘मां शारदे ऐसा निर्मल ज्ञान दे’ कविता के ज़रिए मां शारदे की वंदना प्रस्तुत की। कवि जुगल किशोर पुरोहित ने ‘मालिक को पाने की ख़ातिर रस्ते-रस्ते भटका हूं”। कविता से भरपूर दाद लूटी। कवि शमीम अहमद ‘शमीम’ ने ‘हमने हर दौर में तूफ़ानों से टकराके देखा है’, कैलाश टाक ने ‘देशभक्तिपूर्ण रचना’,अब्दुल शकूर बीकाणवी ने ‘देश हित मे सब काम हम करें’, हंसराज साध ने ‘क्षणिकाएं’, शिव प्रकाश शर्मा ने ‘ज्ञान की पोथी में छल कपट का नाम नहीं’, लक्ष्मी नारायण आचार्य ने ‘मां’ पर उम्दा कविता पेश की।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय गान की प्रस्तुति करके समस्त कवियों ने देश के प्रति अपने सम्मान को प्रकट किया।

साथ ही कवि चौपाल के संरक्षक नेमचंद गहलोत के अस्वस्थ होने पर उनकी सेहत और तंदुरुस्ती के लिए सभी आगंतुकों ने दुआएं एवं प्रार्थनाएं की।

काव्य गोष्ठी में गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) के कवि आशुतोष शुक्ल ने कार्यक्रम के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किये। काव्य गोष्ठी में श्रोताओं के रूप में पवन चड्ढा, वरिष्ठ गायक एम रफ़ीक़ क़ादरी सहित अनेक लोग मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन लीलाधर सोनी ने किया। आभार श्रीगोपाल स्वर्णकार ने ज्ञापित किया।

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