हिन्दी दिवस विभिन्न जगहों पर मनाया गया

  • हिंदी दिवस पर हुआ समारोह, साहित्यकारों को सृजन पुरस्कार अर्पित

श्रीडूंगरगढ़, 14 सितम्बर। हिन्दी समूचे विश्व में पांच हजार भाषाओं में तीसरे स्थान पर है और देश विदेश में वह अपनी जड़ों को जमा रही है। अगर देश में कोई भाषा अपना सामर्थ्य, कोशिश, व्यवहार व व्यापार की इच्छा रखती है तो वो भाषा हिन्दी है।
ये उद्गार यहां संस्कृति भवन में शनिवार को राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति व जनार्दनराय नागर राजस्थान वि‌द्यापीठ, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात साहित्यकार सूरज सिंह नेगी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि दुःख की बात यह है कि हिंदी भाषा अपने देश में जिस समान की अधिकारिणी है वो सम्मान प्राप्त नहीं कर पा रही है।

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक ताराचंद सारस्वत ने कहा कि हिन्दी का सम्मान करना इस देश के हर नागरिक का कर्तव्य है। वर्तमान काल में यह समझा जा रहा है की अगर अंग्रेजी नहीं आती है तो वह पिछड़ा हुआ है। लेकिन यह सोच गलत है। हिंदी और अधिक सुदृढ़ बने, इसमें अध्यापकों की बड़ी भूमिका हो सकती है।

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विशिष्ट अतिथि संस्कृतिकर्मी व समाजसेवी रतननगर के बसन्त हीरावत ने हिंदी और हिंदुस्तान को एक दूसरे का पर्याय बताते हुए कहा कि हिन्दी देश की एकता व अखंडता के साथ जुड़ी हुई है और इसके माध्यम से ही भारत विश्व गुरु के रूप में उदयमान होगा।

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“वैश्विक भाषायी परिदृश्य और हिन्दी” विषय पर बीज भाषण करते हुए युवा आलोचक बृजरतन जोशी ने कहा कि हिन्दी हमें सनातन चेतना से जोड़ती है। भारतीय सांस्कृतिक परिदृश्य को वह अपने भीतर समाये हुए है। उन्होंने कहा कि वैश्विक उन्नति के मूल में भाषा की पूरी-पूरी उपस्थिति रहती है।

लेखक प्रफुल्ल प्रभाकर ने कहा कि सरकार को साहित्य अकादमियों पर ध्यान देना चाहिए। रिंकल शर्मा ने कहा कि हिन्दी को अन्य भाषाओं से कोई ऐतराज नहीं है। बशर्ते की वे हिन्दी की सहयोगी बने।

संस्था के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि यह संस्था साहित्यिक क्षेत्र में एक स्कूल की तरह कार्य कर रही है। भाषा और साहित्य के प्रतिबद्ध इस संस्था ने विगत 62 वर्षों में अनेक मानक स्थापित किए हैं। संस्था मंत्री रवि पुरोहित ने संस्था की गतिविधियों से अवगत करवाया और पुरस्कृत रचनाकारों का परिचय साझा किया। कार्यक्रम का संयोजन करते हुए साहित्यकार सत्यदीप ने हिंदी के बढ़ते आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश को रेखांकित किया।

इनका हुआ सम्मान
यहां राष्ट्रीय राज मार्ग पर स्थित संस्कृति भवन में संस्था के वार्षिक उत्सव के अवसर पर संस्था की सर्वोच्च मानद उपाधि मलाराम माली स्मृति साहित्यश्री अजमेर के प्रफुल्ल प्रभाकर को दी गई। इसी तरह डॉ. नंदलाल महर्षि स्मृति हिन्दी साहित्य सृजन पुरस्कार जयपुर के प्रबोध कुमार गोविल, शिवप्रसाद सिखवाल स्मृति महिला लेखन पुरस्कार दिल्ली की रिंकल शर्मा, सामाजिक सरोकारों को समर्पित रामकिशन उपाध्याय स्मृति समाज सेवा सम्मान बीकानेर के डॉ. नरेश गोयल को प्रदान किया गया। इसी तरह दिल्ली की सुमन बाजपेयी को श्यामसुंदर नागला स्मृति बाल साहित्य पुरस्कार, लखनऊ के प्रभु झिंगरन को सुरेश कंचन ओझा लेखन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इस दौरान ताराचंद इंदौरिया, साहित्यकार डॉ. मदन सैनी, डॉ. चेतन स्वामी, भंवर भोजक, बजरंग शर्मा, महावीर माली, रामचंद्र राठी, कांति भवानी उपाध्याय, विजय महर्षि, विनोद सिखवाल, भरतसिंह राठौड़, अब्दुल स्कूर सिसोदिया, कन्हैयालाल सारस्वत, ओमप्रकाश गांधी, दयाशंकर शर्मा सहित काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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श्री जैन कन्या पी.जी. महाविद्यालय में आज हिन्दी दिवस मनाया गया

बीकानेर , 14 सितम्बर। श्री जैन कन्या पी.जी. महाविद्यालय में आज हिन्दी दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में प्राचार्य डा.संध्या सक्सेना ने छात्राओं को भाषा की गहनता और इसे अधिकतम प्रयोग की बात कही।

हिन्दी व्याख्याता श्रीमती निर्मला सांखला ने हिन्दी की विराटता और इसके संदर्भों के बारे में छात्राओं को जानकारी दी।छात्राएं गोपिका प्रजापत, खुशबू गहलोत और रेखा जीनगर ने भी विचार व्यक्त किए।

व्याख्याता डा प्रीति मोहता और सुश्री पल्लवी चौहान ने भी हिन्दी भाषा की आवश्यकता पर विचार प्रेषित किए। साथ ही आज प्राचार्य के निर्देशन में महाविद्यालय की छात्राओं ने व्याख्याता विशाल सोलंकी के नेतृत्व में अग्रवाल भवन में लगी बीकाणा मुद्रा महोत्सव का भी अवलोकन किया।

प्रदर्शन प्रभारी किशन लाल सोनी ने छात्राओं को भारत में समय समय पर प्रचलित विभिन्न प्रकार की मुद्राओं और नोट की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
छात्राएं प्रदर्शनी में लगी इन ऐतिहासिक मुद्राओ की स्टॉल्स को देखकर आश्चर्यचकित हुई।
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श्री जैन स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन

बीकानेर , 14 सितम्बर। श्री जैन स्नातकोत्तर महाविद्यालय में दिनांक 14 सितंबर 2024 को ’हिंदी दिवस’ के अवसर पर ’युवा पीढ़ी और हिंदी भाषा’ विषय पर हिंदी विभाग, राष्ट्रीय सेवा योजना व एन.सी.सी. के संयुक्त तत्वाधान में निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं भाग लिया।

प्रतियोगिता में हर्षिता साखंला ने प्रथम, महक हरवानी नें द्वितीय व सीताराम सोंलकी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. वंदना शुक्ला ने कहा कि हिंदी केवल हमारी राजभाषा या राष्ट्रभाषा ही नहीं अपितु यह राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक है। महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. शिवराम सिंह झाझड़िया ने सभी विद्यार्थियों को हिंदी भाषा का सम्मान करने और हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार करने को कहा।

प्राचार्य डॉ. राजेंद्र चौधरी ने कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसमें सदियों से देश की सभ्यता संस्कृति और साहित्य को जोड़कर रखा है। मीडिया सह-प्रभारी फरसा राम चौधरी ने बताया कि निबंध प्रतियोगिता का आयोजन हिंदी विभाग अध्यक्ष डॉ वंदना शुक्ला, राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डॉ.सतपाल मेहरा एवं डॉ.भारती सांखला के नेतृत्व में संपन्न हुआ। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्यों का सराहनीय योगदान रहा।


हिन्दी राष्ट्रीय अस्मिता को पहचान – डॉ. आचार्य

बीकानेर , 14 सितम्बर। हिन्दी भाषा केवल राष्ट्र नागरिकों एक माध्यम मात्र न होकर यह सम्पूर्णराष्ट्र की अस्मिता की पहचान का प्रतीक है। हिन्दी भाषा एक वैज्ञानिक, वैश्विक मंच की सर्वसमर्थ भाषा है। जिसमें विश्व समुदाय के अनगिनत मानव अपने सांस्कृतिक आदान प्रदान का मंच बनाकर अपना व्यक्तित्व निर्माण कर मानव सभ्यता का सचनात्मक विकास कर रहे है। उक्त उद्गार महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. अरूणा आचार्य ने हिन्दी दिवस पर आयोजित परिचर्चा के दौरान व्यक्त किए।
इस अवसर पर विभिन्न संकायो की छात्राओ व विशेषकर हिन्दी साहित्य की अनेक छात्राओ ने अपने अपने विचार श्रंखला में हिन्दी भाषा के उद्भव-विकास हिन्दी भाषा परिवार वैश्विक हिन्दी का सामर्थ्य तथा तकनीकी क्षेत्र व अन्य क्षेत्रो में हिन्दी के बढ़ते वर्चस्व पर प्रकाश डालते हुए हिन्दी भाषा के अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला।

हिन्दी प्रवक्ता डॉ घनश्याम व्यास ने इस अवसर पर छात्राओ को हिन्दी भाषा के बढ़ते सामार्थ्य का कारण समझाते हुए वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारत विश्व का सबसे बड़ा बाजार है। सांस्कृतिक दृष्टि से हिन्दी भारत की आत्मा है। ऐसे में आर्थिक व सांस्कृतिक मंच हिन्दी भाषा के विकास को सर्वोच्च विकास की ओर गतिमान करेंगें हमें भी इसका भरपूर फायदा उठाना है। इसी क्रम में अनेक प्रवक्ताओ ने हिन्दी भाषा के कवियों , रचनाकारों , लेखकों व उनके भारतीय समाज के योगदान पर अपने विचार साझा किए।

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