हिन्दी को अब राजभाषा से राष्ट्र भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए

khamat khamana
  • हिंदी अब रोजगार सृजन का माध्यम- डॉ मेहता

बीकानेर , 20 सितम्बर। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, बीकानेर परिसर पर आज हिन्दी सप्ताह का समापन समारोह आयोजित किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्र के प्रभागाध्यक्ष डॉ एस सी मेहता ने कहा की हिंदी को राजभाषा बने अब 75 वर्ष पुरे हो चुके हैं एवं इन 75 वर्षों में हिंदी ने बहुत प्रगति की है, चाहे वह शब्दकोष हो या आम बोलचाल में इसका प्रचलन । इन्हीं कारणों से आज हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा बन गई है लेकिन अफसोस है कि यह राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई ।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

उन्होंने कहा की आज जरुरत इस बात की है कि जिस इच्छा शक्ति से देश में धारा 370 समाप्त की गई, उसी प्रकार की इच्छा शक्ति से इसे एक ही दिन में राजभाषा से राष्ट्र भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए । उन्होंने कहा की अब हिंदी रोजगार सृजन का माध्यम भी बन गया रहा है । पहले जहां सिर्फ अंग्रजी के प्रश्न पत्र, साक्षात्कार एवं अन्य बातचित होती थी वहां भी अब आप हिंदी में बात करने का या लिखने का चयन कर सकते हैं ।उन्होंने यह भी कहा की जिन्होंने भी हिंदी एवं हिंदी भाषा बोलने वालों का बहिष्कार पूर्व में किया, अगर वह आज करें तो भूख से मर जाएं ।

pop ronak

इस अवसर पर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ राजेश कुमार सावल ने कहा की वह स्वयं न केवल हिंदी में रोज अभिवादन करते हैं बल्कि किसानों के लिए प्रतिदिन कोई न कोई प्रकाशन हिंदी में तैयार करते हैं एवं इसे आगे बढाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने इस अवसर पर बहुत अच्छी कविताएँ भी सुनाई ।

CHHAJER GRAPHIS

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि शुष्क क्षेत्र अनुसन्धान केंद्र के अध्यक्ष डॉ नव रतन पंवार ने कहा की हिंदी से ज्यादा शुद्ध हम लोगों को और कुछ आता भी नहीं है, उन्होंने हिंदी भाषा को लेकर उनके केंद्र पर क्या प्रयास किए जा रहे हैं एवं उन्होंने क्या-क्या नवाचार किए हैं उसके बारे में जानकारी दी।

इस अवसर पर केन्द्रीय शुष्क बागवानी के पूर्व राजभाषा अधिकारी प्रेम प्रकाश परिक ने भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् में हिंदी राजभाषा के क्रियान्वयन पर अपना व्याख्यान दिया एवं हिंदी को आगे बढ़ाने में समय-समय पर किस तरह के प्रावधान किए गए, उनके बारे में विस्तार से जानकारी दी लेकिन यह भी बताया की किस तरह कई सरे प्रयासों पर पानी फिर गया एवं वांछित प्रगति नहीं हो पाई । उन्होंने समाचार पत्रों में लिखी जाने वाली हिंदी एवं अनावश्यक अंग्रजी के उदाहरण भी प्रस्तुत किए ।

इस अवसर पर परिसर के राजभाषा अधिकारी सत्यनारायण पासवान ने बताया कि बैठक में माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री का सन्देश पढ़ कर सुनाया गया एवं हिंदी शद्ध-अशुद्ध लेखन एवं पोस्टर प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया । आज के कार्यक्रम का संचालन सुहेब कुरेशी ने किया एवं कार्यक्रम मे डॉ रमेश,डॉ राव , डॉ कुट्टी , डॉ जितेन्द्र सिंह एवं केंद्र के अन्य अधिकारीयों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया ।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *