हमले और उत्पीड़न से परेशान हिंदुओं का गुस्सा फूटा, सड़कों पर उतरे
नई दिल्ली \ बांग्लादेश, 2 नवम्बर। टीम डिजिटल। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के हजारों सदस्यों ने शनिवार को रैली निकालकर अंतरिम सरकार से सिलसिलेवार हमलों व उत्पीड़न से सुरक्षा देने और इस समुदाय के नेताओं के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मामलों को रद्द करने की मांग की।
लगभग 30,000 हिंदुओं ने दक्षिण-पूर्वी शहर चटगांव के एक प्रमुख चौराहे पर रैली करते हुए नारे लगाए। देश में अन्य जगहों पर भी विरोध प्रदर्शन होने की सूचना मिली। हिंदू समूहों का कहना है कि अगस्त की शुरुआत में प्रधानमंत्री शेख हसीना की धर्मनिरपेक्ष सरकार के बेदखल होने और हसीना के देश छोड़कर चले जाने के बाद हिंदुओं के खिलाफ हजारों हमले हुए हैं।
हसीना की सरकार के पतन के बाद नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया था। छात्रों का आंदोलन हिंसक होने के बाद शेख हसीना देश छोड़कर चली गई थीं। बांग्लदेश में हिंदुओं की आबादी करीब 1 करोड़ 70 लाख है, जो कुल आबादी का आठ प्रतिशत है जबकि 91 प्रतिशत आबादी मुसलमान है।
देश के प्रभावशाली अल्पसंख्यक समूह ‘बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई यूनिटी काउंसिल’ ने कहा है कि चार अगस्त के बाद से हिंदुओं पर 2,000 से अधिक हमले हुए हैं। हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों का कहना है कि अंतरिम सरकार ने उनकी पर्याप्त सुरक्षा नहीं की है और हसीना के जाने के बाद कट्टरपंथी इस्लामवादी तेजी से प्रभावशाली होते जा रहे हैं।
शहर में 25 अक्टूबर की रैली को लेकर प्रमुख पुजारी चंदन कुमार धर समेत 19 हिंदू नेताओं के खिलाफ बुधवार को राजद्रोह के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। इसके खिलाफ शुक्रवार को चटगांव में विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। दो नेताओं की गिरफ्तारी से हिंदू समुदाय के लोग नाराज हैं। आरोप है कि 25 अक्टूबर की रैली में शामिल लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर एक खंभे पर बांग्लादेश के झंडे के ऊपर भगवा झंडा लगा दिया था।
इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना गया। हिंदू समुदाय के नेताओं का कहना है कि मामले राजनीति से प्रेरित हैं और बृहस्पतिवार को उन्होंने मांग की थी कि 72 घंटे में ये मामले वापस लिए जाएं। हिंदू समुदाय के सदस्यों ने शनिवार को एक और रैली आयोजित करने की योजना बनाई है।